कब बनेगा धतुरीया – चौमहला चंबल का पुल पांच साल में भी नहीं बना

लोग जान जोखिम में डालकर, स्टीमर के सहारे चंबल नदी पार कर आते -जाते
सीतामऊ। मप्र के मंदसौर जिले को सीतामऊ के धतुरीया से चौमहला राजस्थान से जोड़ने वाले चंबल नदी पर पुल बनाने का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया।सुवासरा विस के कई गांवो को राजस्थान से जोड़ने वाला चंबल नदी पर बना पुल घटिया निर्माण के चलते वर्ष 2019 की बाढ़ में बह गया था।उस समय कांग्रेस की सरकार थी और विधायक हरदीप सिंह डंग भी कांग्रेस में थे, बाद में वह भाजपा ज्वाइन कर मंत्री बन गए, लेकिन क्षेत्र में पुल निर्माण विकास कार्यों में रहा ऐसे में शासन स्तर तक मामला पहुंचा, लंबे समय बाद इसकी मंजूरी हुई लेकिन, प्रक्रियाओं में उलझकर ब्रिज का निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया।
पिछले पांच वर्षों से पुल कि उपेक्षा होने से चंबल पर पुल के अभाव में लोग जान जोखिम में डालकर स्टीमर से चंबल पार कर रहे है। बच्चों से लेकर महिलाएं भी इसमें हर दिन स्टीमर में सवार हो कर आते जाते हैं। स्टीमर में पुरुष महिलाओं और बच्चों के साथ उनके सामान व दो पहिया वाहन भी सवार होते हैं। इस प्रकार हर दिन जान जोखिम में डालकर लोग चंबल नदी पार कर रहे है। यह मार्ग सुवासरा की ओर से चौमहला जाना वाला मार्ग लंबा होने के कारण लोग आने जाने का जोखिम ले रहे है। पांच साल से यह चला आ रहा है। इसी तरह पार करते रहे तो कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती हैं।
जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में चंबल में पानी गहरा होने के कारण टेंडर लेने कोई नहीं आया। चौथी बार टेंडर लगाने के बाद वर्क ऑर्डर तक की प्रक्रिया हुई तो अब नदी में पानी कम होने का इंतजार किया जा रहा है। ऐसे में अब चौमहला सीतामऊ के रास्ते से आने जाने वाले लोगों को कब तक इंतजार करना पड़ेगा यह तय नहीं है।
वही पुल के अभाव में ही राजस्थान का डग चौमहला क्षेत्र 8 लेन एक्सप्रेस वे से अब तक नहीं जुड़ पाया।330 मीटर लंबा और 12 मीटर चौड़ा यह ब्रिज लोगों का 50 से 60 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर बचाएगा और आवागमन में सुविधा उपलब्ध करवाएगा। अभी अगर किसी को सीतामऊ से चौमहला जाना है तो उसे सुवासरा या आलोट होते हुए जाना पड़ता है। 50 से 60 किलोमीटर के इस अतिरिक्त सफर में समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। वहीं ब्रिज के अभाव में आसपास के गांव के किसानों का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है।