भैरव भक्ति महोत्सवः पांचवे दिन बोले राष्ट्र संत डॉ. वसंत विजयजी महाराज,
जैसे बिना रूपए के बच्चे को चॉकलेट नहीं मिलती है, तो बगैर भक्ति के कैसे पुण्य मिलेगा,
भैरव भक्ति महोत्सवः पांचवे दिन बोले राष्ट्र संत डॉ. वसंत विजयजी महाराज, –
जैसे बिना रूपए के बच्चे को चॉकलेट नहीं मिलती है, तो बगैर भक्ति के कैसे पुण्य मिलेगा
– जीवन में किसी के काम आओगे, तो लोग आपके काम आएंगे
नीमच। जिस तरह बिना रूपए के दुकानदार बच्चे को चॉकलेट नहीं देता है, उसकी तरह बगैर भक्ति के आपको के कैसे पुण्य मिलेगा। अगर आप जीरन में किसी के काम आते हैं, तो लोग आपके काम आएंगे। ये जीवन परस्पर सहयोग से चलता है।
यह बात राष्ट्र संत डॉ. वसंत विजयजी महाराज ने कहीं, वे दशहरा मैदान में आयोजित भैरव भक्ति महोत्सव के अंतर्गत प्रवाहित हो रही भैरव महापुराण कथा में पांचवे दिन मंगलवार को भक्तों को सहयोग और भक्ति का महत्व समझा रहे थे। उन्होंने कहा कि जब बचपन में हम छोटे थे, तो माँ का आंचल नहीं छोड़ते थे, थोड़े बड़े हुए तो इधर-उधर दौड़ने लगे। कुछ ओर बड़े हुए तो दोस्तों के साथ खेलने लगे। फिर जवान हुए नौकरी और शादी के लिए दौड़भाग करने लगे। उसके बाद कुछ ओर उम्र बीती, बच्चों की शिकायत, उनके पालन पोषण में समय निकल गया, उसके बाद बीमारियों ने शरीर को घेरना शुरू कर दिया और जब वृद्धा अवस्था आई, तो शरीर ने श्मशान का रूख कर लिया। गुरूदेव ने कहा कि ऐसे में सत्संग और भक्ति का समय तो आप को मिला ही नहीं, तो कैसे जीवन संकट मुक्त होगा। उन्होंने कहा कि जीवन में भक्ति के साथ ही हंसना और खुश रहना भी जरूरी है। रोज हंसोंगे तो स्वस्थ्य रहोगे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में हंसी हजार करोड़ की है, लेकिन गुस्सा खाक का है।
हड़ताल से नुकसान, पर मेहनत से मिला है लाभ-
राष्ट्र संत ने कहा कि आज कल सुनने में आता है कि लोग अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी शामिल रहते हैं, पर कभी किसी ने सोचा हड़ताल शब्द ही नुकसान भरा है, जबकि मेहनत शब्द के फायदे का है। उन्होंन कहा कि जो लोग दिन में सपने देखते और आलसी रहते है, उनका जीवन बेकार है। मेहनत करने से जीवन बढता है, पर मेहनत के साथ ही जीवन में कुछ समय प्रभु की भक्ति के लिए भी निकालना चाहिए। गुरूदेव ने कहा कि आज भैरव भक्ति महोत्सव में जो प्रतिदिन भक्ति कर रहे हो, यह भक्ति नहीं है, यह तो मृत्यु के पूर्व भगवान को याद करने का अभ्यास है। यह अभ्यास जारी रखोंगे, तो जब अंत समय आएगा, तो यमराज के दूत आपको वैकुंट में छोड़कर आएंगे।
दक्षिण में कृष्ण का कोई घर है, तो वह कृष्णागिरी है-
गुरूदेव ने कहा कि कृष्ण का धाम उत्तर में मथुरा, वृंदावन, द्वारिका माना जाता है, लेकिन दक्षिण में भी कृष्ण का घर है, जिसे कृष्णागिरी धाम कहते हैं। उन्होंने जीवन में खाद्य पदार्थ जैसे फल आदि के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान ने प्रत्येक फल की प्रकृति अलग-अलग बनाई है। सीताफल ठंडा होता है, जो सर्द में आता है, जबकि कटहल की प्रकृति गर्म होती है, जो गर्म में आता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में संयम बना रहे, उसी तरह प्रभु ने प्रकृति बनाई है। कथा में उन्होंने भगवान को चढाने वाले छप्पन भोग की भी व्यख्या की। इस दौरान गुरूदेव ने अनेक भजन सुना कर पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
श्रद्धालुओं ने लिखी अर्ज, माँ पद्मावती को होगी भेंट-
कथा के दौरान गुरूदेव ने एक दिन पूर्व कह दिया कि श्रद्धालु अपने साथ कागज-कलम लेकर आए और जो भी उसकी समस्या है, वह अर्ज के रूप में कागज पर लिख दें। समस्या के नीचे सिर्फ अपना नाम और गांव का नाम लिखे, कोई मोबाईल नंबर या पता नहीं लिखे। इस पर पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने अपनी समस्याओंे के निराकरण की अर्ज लिखी, जिन्हें एकत्रित करवा कर गुरूदेव ने कहा कि आपकी लिखी अर्ज को कृष्णागिरी में माँ पद्मावती को समर्पित करेंगे। माता आपके दुखा का निवारण करेगी।
कार्यक्रम संयोजक व पूर्व नपाभैरव भक्ति महोत्सव में सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक साधना हुई, जिसके बाद दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक भैरव महापुराण कथा, इसके बाद भंडारा और अष्टकुंड यज्ञ में आहुतियां दी गई। इस दौरान बड़ी संख्या में मप्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उड़िसा, असम आदि प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया।