मंदसौर जिलासीतामऊ

वर्ष 2024-25 के लिए अफीम निती घोषित नहीं होने से किसानों में आक्रोश 

वर्ष 2024-25 के लिए अफीम निती घोषित नहीं होने से किसानों में आक्रोश 

सीतामऊ।अफीम नीति घोषित होने में विलंब के कारण किसानों में आक्रोश साथ ही विलंब से बोवनी होने के करण अफीम का औसत उत्पादन कम होने की प्रबल संभावना ।

प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच आगामी वर्ष के लिए अफीम फसल का उत्पादन करने के लिए जिला अफीम अधिकारी द्वारा लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं , एवं किसान दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन, बेल पूजन, एवं भगवान को अन्नकूट का भोग लगाकर उसी दिन शुभ मुहूर्त में अफीम की बोवनी करते हैं । बुजुर्ग किसानों का कहना है कि अन्नकूट के दिन की गई बोवनी को मौसम के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ समय मानते हैं एवं अफीम का औसत उत्पादन भी अच्छा होता है, इस दिन बोई गई अफीम की फसल लगभग 110 दिन में चीरा लगाने युक्त हो जाती है एवं यह अवधि 15 फरवरी के आसपास पूरी होती है जो की अफीम की फसल के लिहाज से बहुत ही अनुकूल समय रहता है। यदि बोवनी दीपावली के बाद विलंब से की जाती है तो चीरा मार्च के प्रथम सप्ताह में लगाया जाता है जिससे औसत उत्पादन कम होने की संभावना होती है, क्योंकि मार्च के प्रथम सप्ताह में गर्मी प्रारंभ हो जाती है जो की अफीम की फसल के लिए प्रतिकूल होती है ।

उपरोक्त आशय की जानकारी देते हुए गांव लदुना के अफीम कास्तकार गोविन्द सिंह पंवार जो लगभग 50 वर्षों से अफीम की खेती कर रहे हैं ने बताया कि अफीम विभाग द्वारा विगत 5 वर्षों में अफीम के लाइसेंस माह अक्टूबर में ही जारी कर दिए थे, वर्ष 2018 में 15 अक्टूबर को, 2019 में 15 अक्टूबर को, 2021 में 20 अक्टूबर को, 2022 में 14 अक्टूबर को एवं वर्ष 2023 में 31 अक्टूबर को जिला अफीम अधिकारी तृतीय खंड द्वारा अफीम लाइसेंस जारी कर दिए गए थे । श्री पवार ने बताया कि इस वर्ष अक्टूबर माह का अंतिम सप्ताह भी बीतने को है किंतु अभी तक नई अफीम नीति घोषित नहीं होने से बोवनी देरी से होगी एवं औसत उत्पादन भी कम होगा जिसका खामीयाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा । श्री पवार ने मांग की है कि गत वर्ष जिन किसानों ने अफीम की कास्त चिरा अथवा सीपीएस पद्धति से की थी तथा तौल केंद्र पर औसत उत्पादन सरकार को दिया था उन समस्त किसानों के लाइसेंस एक मुश्त बिना किसी औपचारिकता के जारी किये जावे एवं नई अफीम नीति जारी होने पर संपूर्ण वैधानिक कागजी कार्यवाही की जावे , ताकि विलंब के कारण औसत उत्पादन प्रभावित न हो।

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