मिट्टी के दीये बनाने वाले कायम रख रहे है संस्कृति, शासन,प्रशासन इन्हें करे प्रोत्साहित
दीये बनाने वाले परिवार का कांग्रेस नेतागणों ने पुष्पमाला पहना कर किया स्वागत
मल्हारगढ़ । दीपावली व अन्य तीज त्योहारों पर मिट्टी के दिये का अलग ही महत्व है विगत 50 वर्षो से कुंदा बा प्रजापत का परिवार मिट्टी के दिये बनाकर भारत की संस्कृति को कायम रख रहा है।
बुधवार को मल्हारगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा,जिला कांग्रेस के सचिव किशनलाल चौहान,मंडलम अध्यक्ष द्वय दिनेश गुप्ता काचरिया,किशोर उणियारा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बंशीलाल पाटीदार,देवेंद्र कराड़ा ने दिये बनाने वाले प्रजापत के निवास पर पहुंचकर उनका पुष्पमाला से स्वागत कर उनसे संवाद किया इस अवसर पर भगवान प्रजापत ने बताया कि हमारा परिवार विगत 50 वर्षों से मिट्टी के दिये बनाने का काम कर रहा है इस सीजन में हमने 35 हजार दिये बनाये है,थोक में एक दीपक की कीमत मात्र 65 पैसे है। दीये के लिए महंगी मिट्टी लाकर उसे अच्छे से छानकर गुथना पड़ती है फिर दीये बनते है उसमें भी बिजली खर्च होती है,इन्हें भट्टी में भी पकाना पड़ता है।प्रजापत ने बताया कि इतनी महंगाई और कड़ी मेहनत के बाद भी दीये ओने पोने दामो में ही बेचना पड़ते है इसकी कीमत कमसे कम 2 रुपये तो होनी ही चाहिए।
मिट्टी के दिये से आती है सुख,शांति
मल्हारगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि प्रजापत परिवार महंगाई के समय मे भी संस्कृति को बचाने का काम कर रहा है।शर्मा ने कहा कि मिट्टी का दीपक जलाने से घर मे सुख,समृद्धि और शांति का वास होता है,मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है मंगल साहस,पराक्रम में वृद्धि करता है और तेल शनि का प्रतीक माना जाता है इस कारण पूजा में इसे जलाना शुभ होता है।
शासन,प्रशासन इन्हें प्रोत्साहित करें
कांग्रेस नेतागणों ने शासन,प्रशासन से मांग करी है कि मिट्टी के दिये बनाने वालों को प्रोत्साहित कर इनकी हर सम्भव मदद की जाना चाहिए।जो दीये बनाते है उनके दियो की कीमत उन्हें अच्छी मिले साथ ही दिये बनाने के काम आने वाली मिट्टी एवं बिजली 2 माह तक फ्री कि जाय।
इस मौके पर मल्हारगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा,जिला कांग्रेस के सचिव किशनलाल चौहान,मंडलम अध्यक्ष द्वय दिनेश गुप्ता काचरिया,किशोर उणियारा,वरिष्ठ कांग्रेस नेता बंशीलाल पाटीदार,देवेंद्र कराड़ा,अनिल मुलासिया,राकेश कुमार प्रजापत,रवि कुमार,सुनीता बाई,दुर्गा बाई,गिरजा बाई आदि मौजूद थी।