धर्म संस्कृतिमंदसौर जिलासीतामऊ

सुहागिनों ने अपने पति परमेश्वर परिवार के साथ करवा चौथ कथा श्रवण कर आसमान में चांद को निहारते हुए व्रत किया पूर्ण

 

सीतामऊ। जैसे-जैसे शाम ढल रही है, वैसे-वैसे चांद के दीदार का इंतजार भी कम हो रहा है। सुहागिनों के साथ-साथ उनके परिवार की आंखें भी आसमान में चांद को तलाश रही हैं। क्योंकि, चांद के दीदार के बाद ही करवा चौथ का पावन व्रत पूरा माना जाता है।

ऐसे में आज चांद का दीदार अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। भारत के अलग-अलग शहरों में चांद निकलने का समय अलग है। ऐसे में मंदसौर में करवा चौथ का समय सिंगरौली के आधे घंटे बाद 8.15 बजे रात्रि में चंद्र दर्शन कर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अपने पति परमेश्वर परिवार के साथ हाथ मे करवा पुजन थाली तथा दुसरे साथ में छलनी लेकर अपने मकानों कि छत्तों या मैदान में पहुंच कर करवा चौथ व्रत कथा का श्रवण कर खुले आसमान को निहारते हुए चंद्र दर्शन के साथ अपने जीवन साथी हमसफ़र कि पूजन कर छलनी से दर्शन किए वहीं पति परमेश्वर ने अपनी भार्या पत्नी को करवा से जल ग्रहण करवा कर करवा चौथ व्रत पूर्ण किया।

वीडियो कॉलिंग के माध्यम से पूर्ण किया व्रत 

सीतामऊ- देश सेवा मे बॉर्डर ड्यूटी पर तैनात मंदसौर जिले के खेजडिया निवासी भारतीय सेना में पदस्थ सैनिक श्री सुनील राठौर जी ने करवाचौथ पर अपनी धर्मपत्नी श्रीमती बुलबुल राठौर को वीडियो कॉलिंग के माध्यम से अपना चेहरा दिखाकर करवा चौथ का व्रत संपन्न किया।

मध्य प्रदेश के सिंगरौली में सबसे पहले 7.44 बजे ही चांद दिख जाएगा, इसके अलावा इंदौर के आसपास अन्य कुछ प्रमुख शहरों में शाजापुर 8.12, आगर मालवा 8.12, देवास 8.15, मंदसौर 8.15,इंदौर में 8.16 पर खंडवा 8.16, रतलाम 8.17, नीमच 8.17, धार 8.18, बुरहानपुर 8.18, राजगढ़ 8.19, उज्जैन में 8.15, बड़वानी 8.21, खरगोन 8.21, झाबुआ 8.21 बजे चांद दिखाई दिया।

महिलाएं करवा चौथ क्या मनाती हैं और क्या है करवा चौथ 

करवा चौथ महिलाओं का एक प्रमुख त्योहार है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाता है। इस पर्व पर सुहागिन स्त्रीयाॅं पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं और शाम को चंद्रमा दर्शन के उपरांत भोजन करती हैं। आज देशभर में करवा चौथ का पर्व मनाया है। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जल व्रत रखती है। और शाम को महिलाएं करवा चौथ माता की कथा सुनकर रात में चांद को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूर्ण करती है।

करवा का महत्व –

करवा चौथ में करवा का अधिक महत्त्व है। क्योंकि, यहां करवा को भगवान गणेश का प्रतीक माना गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं करवा में पानी भरकर दिनभर रखती हैं और शाम को पूजा करती हैं। करवा की नली को भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है।

छलनी का महत्त्व-

करवा चौथ की कथा के अनुसार, सुहागिनों द्वारा चांद को छलनी से देखने पर पति की उम्र लंबी होती है और वह स्वस्थ रहता है। ऐसे में इस पर्व पर चांद को छलनी से देखा जाता है।

करवा चौथ पर प्रमुख मंत्र

-भगवान शिव का मंत्र- ऊं नमः शिवाय

-भगवान गणेश का मंत्र- श्री गणेशाय नमः

-पार्वती जी का मंत्र- ऊं पार्वती पतेय नमः

-चंद्रमा पूजन मंत्र- ऊं सोमाय नमः  मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

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