नीमचमध्यप्रदेश

नीमच में दीपावली पर्व 01 नवंबर को ही मनाया जाएगा

नीमच में दीपावली पर्व 01 नवंबर को ही मनाया जाएगा

नीमच। व्रत-त्यौहार आदि के विषय में शास्त्रोक्त एवं प्रामाणिक निर्णय देने वाली विश्वसनीय संस्था श्री कर्मकांडीय विप्र परिषद नीमच के तत्वाधान में नीमच के समस्त ज्योतिषियों, पुरोहितों आदि के द्वारा धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु एवं नीमच के अक्षांश और रेखांश के आधार पर शास्त्रों का निर्णय लेते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि नीमच जिले में 1 नवंबर शुक्रवार के दिन ही दीपावली पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा।

इस विषय में जनमानस में भ्रांति चल रही थी कि दीपावली पर्व 31 अक्टूबर को मनाएं या 1 नवंबर को मनाएं। इसी को ध्यान में रखते हुए कर्मकांडीय विप्र परिषद एवं समस्त ज्योतिषियों, पुरोहितों के द्वारा धर्म सिंधु और निर्णय सिंधु का अध्ययन किया गया तथा यह निर्णय लिया गया कि 1 नवंबर को दीपावली पर्व मनाना ही सबसे ज्यादा शुभ फलदायी रहेगा।

परिषद के संरक्षक पंडित मालचंद शर्मा एवं अध्यक्ष पंडित राधेश्याम उपाध्याय ने संयुक्त रूप से बताया कि 1 नवंबर को दीपावली पर्व मनाने के शास्त्रोक्त कारण निम्नलिखित है –

(1) 1 नवंबर के दिन सूर्योदय काल में अमावस्या आ रही है जबकि 31 अक्टूबर को सूर्योदय काल में अमावस नहीं है। लक्ष्मी पूजा के लिए उदयव्यापिनी अमावस्या सर्वाधिक शुभ फलदायी मानी गई है।

(2) 1 नवंबर के दिन स्वाति नक्षत्र का भी योग मिल रहा है जो लक्ष्मी पूजा हेतु उत्तम है।

(3) 31 अक्टूबर एवं 1 नवंबर दोनों दिन अमावस्या तिथि प्रदोष में आ रही है ऐसी स्थिति में निर्णय सिंधु के द्वितीय परिच्छेद में पृष्ठ संख्या 300 पर लेख है कि यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष काल को स्पर्श करे तो दूसरे दिन वाली अमावस्या के दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए इसलिए इस मत से 1 नवंबर के दिन लक्ष्मी पूजन करना शुभ है।

(4) 1 नवंबर के दिन अमावस्या तिथि सुबह सूर्योदय काल में भी रहेगी। गृहस्थ लोगों के लिए पितृ कार्य, पितृ पूजन, तर्पण आदि करने के बाद ही शाम को लक्ष्मी पूजन करना उचित रहता है, इसलिए यह योग भी 1 नवंबर के दिन ही मिल रहा है।

(5) 1 नवंबर के दिन ही अमावस्या युक्त प्रतिपदा का योग बन रहा है जो कि वृद्धिकारक होकर महाशुभफलदायी माना गया है, जबकि 31 अक्टूबर को रिक्ता तिथि चतुर्दशी अमावस्या का योग है, जो कि ऋणात्मक योग है।

(6) शुक्र अतुल धन, वैभव और सम्पन्नता का द्योतक है इसलिए 1 नवंबर शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ है।

(7) निर्णय सिंधु प्रथम परिच्छेद के पृष्ठ संख्या 26 पर निर्देश है कि जब अमावस्या तिथि 2 दिन विद्यमान हो, तो अमावस्या व प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया है अर्थात अमावस्या को प्रतिपदा युक्त ग्रहण करना महाफलदायी होता है और उसमें लिखा है कि उल्टा होय ( अर्थात यदि पहले दिन चतुर्दशी युक्त अमावस्या ग्रहण की जाए) तो महादोष होता है और पूर्व में किए गए पुण्यों को नष्ट भी कर सकता है इसलिए 31 अक्टूबर के बजाय 1 नवंबर को दीपावली पर्व लक्ष्मीपूजन करना श्रेश्ठ, शास्त्र सम्मत व फलकारक है। अस्तु

उपरोक्त सभी शास्त्रसम्मत मतों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि 1 नवंबर के दिन दीपावली पर्व के दिन लक्ष्मी पूजा करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

नीमच नगर के सभी प्रमुख मंदिरों श्री बिचला गोपाल मंदिर, श्री नृसिंह मंदिर, श्री बूढ़ा गोपाल मंदिर, श्रीराम मंदिर, श्रीसांवरिया मंदिर, श्री सत्यनारायण मंदिर, श्री बड़े बालाजी मंदिर, श्री गोपाल मंदिर बघाना, श्री चौपडा गणेश मंदिर, श्री स्वयंसिद्ध गणेश मंदिर, श्री बालाजी धाम आदि समस्त मंदिरों के पुजारीगणों द्वारा भी 1 नवंबर के दिन दीपावली पर्व मनाने की सहमति दी गई है। उपरोक्त जानकारी परिषद के मीडिया प्रभारी पं.राहुल (मनोज) शर्मा ने दी।

अध्यक्ष – पं.राधेश्याम उपाध्याय

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