MP में डॉक्टरों को सरकारी नौकरी में रुचि नहीं, सीधी भर्ती में भी 888 में 57 प्रतिशत पद ही भर पाए

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MP में डॉक्टरों को सरकारी नौकरी में रुचि नहीं, सीधी भर्ती में भी 888 में 57 प्रतिशत पद ही भर पाए
भोपाल। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद भरना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सरकार ने पहली बार वर्ष 2022 में विशेषज्ञों के 25 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय लिया था। वर्ष 2023 में मप्र लोक सेवा आयोग से साक्षात्कार के माध्यम से भर्ती की गई। इसमें अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ डॉक्टरों कुल 888 पदों पर भर्ती शुरू की गई।
आयोग को नहीं मिले डॉक्टर
पहले तो आयोग को ही सभी पदों पर योग्य डॉक्टर नहीं मिल पाने से चयन नहीं हो पाया। इसके बाद कुछ ने ज्वाइन भी नहीं किया। कुल मिलाकर 506 (57 प्रतिशत) विशेषज्ञ डॉक्टर ही मिले। चयनित डॉक्टरों को वर्ष 2023 के अतिरिक्त इस वर्ष भी ज्वाइनिंग का अवसर दिया गया। इसमें भी इक्का-दुक्का ने ही ज्वाइन किया। अब आगे मौका नहीं दिया जाएगा।
रिक्त पदों के विरुद्ध फिर से विशेषज्ञों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बता दें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल अस्पताल और जिला अस्पताल मिलाकर विशेषज्ञों के तीन हजार 725 पद हैं, जिनमें दो हजार 374 रिक्त हैं।
रेडियोलाजिस्टों की भर्ती सबसे कम
विशेषज्ञों की भर्ती में सबसे बुरी स्थिति रेडियोलाजी की रही। 24 पदों के विरुद्ध मात्र छह ने ही ज्वाइन किया। इसकी वजह यह कि प्रदेश में रेडियोलाजिस्टों की संख्या आवश्यकता की तुलना में बहुत कम है, जिससे निजी क्षेत्र में उन्हें अच्छे अवसर मिल जाते हैं। कुछ रेडियोलाजिस्ट अपना परीक्षण केंद्र खोल लेते हैं।
इसी तरह से मेडिसिन की स्थिति भी अच्छी नहीं रही। 160 पदों के विरुद्ध 72 यानी आधे से भी कम मिले हैं। सर्जिकल विशेषज्ञ के 159 पदों के विरुद्ध 76 ने ज्वाइन किया। बचे पदों पर सरकार लोक सेवा आयोग से फिर सीधी भर्ती करने जा रही है।
क्यों नहीं आ रहे डॉक्टर
यह तो सरकार को मूल्यांकन करना चाहिए कि उनके यहां डॉक्टर क्यों नहीं आना चाहते। वे पड़ोस के राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरान में नौकरी करना चाहते हैं, पर मप्र में नहीं। जो डॉक्टर जिस पद पर भर्ती हो रहा है वहीं से सेवानिवृत हो जाता है।
सरकार ने डीएसीपी (डायनेमिक एश्योर्ड करिअर प्रोग्रेशन) देने की बात की थी। मेडिकल कॉलेजों में यह व्यवस्था लागू भी हो गई, पर बाकी अस्पतालों में डॉक्टरों को लाभ नहीं दिया जा रहा है। अन्य सेवा शर्तें भी बेकार हैँ।
-डा. माधव हसानी, अध्यक्ष, मप्र मेडिकल आफिसर्स एसोसिएशन