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आईएएस अधिकारियों के मकड़ जाल में फँसी है म. प्र. के शिक्षा विभाग की सभी इकाइयां – रमेशचन्द्र चन्द्रे

अंग्रेजी मानसिकता एवं संस्कृति विरोधी-

आईएएस अधिकारियों के मकड़ जाल में फँसी है म. प्र. के शिक्षा विभाग की सभी इकाइयां – रमेशचन्द्र चन्द्रे

मध्य प्रदेश में सरकार भले ही भारतीय संस्कृति की पोषक हो किंतु उसको पलीता लगाने का काम शिक्षा विभाग में नियुक्त अधिकारी जम के कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं की बैंड जोर-जोर से बजाई जा रही है किंतु धरातल पर काम नजर नहीं आ रहा है और ना ही नीतियों में कोई स्थायित्व दिखाई देता है। जैसे-

नि:शुल्क गणवेश-

नये शिक्षा सत्र के 4-5 महीने बीत गए हैं किंतु कक्षा 1से 8 तक गणवेश वितरण की कोई व्यवस्था सरकार नहीं कर पा रही है। पिछले साल स्व- सहायता समूह से गणवेश का निर्माण कर, प्रदान की गई थी किंतु अभी तक अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है।

साईकिल वितरण-

इसी प्रकार प्रदेश में करीब प्रतिवर्ष साढ़े चार लाख साइकिलों का वितरण किया जाता है। पिछले सत्र में विद्यार्थी के खाते में ₹4500 साइकिल के लिए जमा कराए गए थे किंतु अब पूरे प्रदेश में साइकिलों का वितरण किया जाएगा। यह साइकिलें कक्षा छठी एवं नवी में वितरण की जाती है। किंतु उसके लिए भी बार-बार नीतियां बदलते रहते है।

निशुल्क पुस्तक वितरण-

प्रतिवर्ष शासन के द्वारा कक्षा 1 से 12 तक निशुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण करने की व्यवस्था की जाती है किंतु अभी तक प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों का वितरण नहीं हो पाया है और यदि कहीं हुआ है तो वहाँ पूर्ण व्यवस्था नहीं हो पाई है जबकि शिक्षा सत्र प्रारंभ हुई चार से पांच महीने बीत चुके हैं।

शासन द्वारा वितरित पाठ्यपुस्तक में से प्रश्न ही कम पूछे जाते हैं क्योंकि प्राइवेट प्रकाशकों का खेल चलता है-

आपको यह जानकर हैरत होगी कि सरकार द्वारा वितरित कक्षा ग्यारहवीं एवं 12वीं में जो डायवर्सिफाइड विषय होते जैसे रसायन, शास्त्र, जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित एवं वाणिज्य विषय के अतिरिक्त अन्य से वार्षिक बोर्ड परीक्षा में प्रश्न पूछने का जो औसत है वह केवल 15 से 20% प्रश्न पूछे जाते हैं जबकि प्राइवेट प्रकाशन से जो पुस्तकें अनुशंसित की जाती है, उनमें से अधिक प्रतिशत % प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसके कारण कक्षा 12वीं का परीक्षा फल हमेशा बिगड़ता है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है स्कूल के वे निर्धन छात्र जो केवल शासकीय किताबों पर आधारित है उनका तो फेल होना या पूरक में आना निश्चित ही है।

माध्यमिक शिक्षा मंडल

माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा परीक्षा शुल्क में एवं नामांकन शुल्क में निरंतर वृद्धि की जा रही है तथा श्रमिकों की संबल योजना के अंतर्गत ढाई लाख विद्यार्थियों की 1550 रुपए प्रति विद्यार्थी परीक्षा शुल्क विगत 6 वर्षों से माध्यमिक शिक्षा मंडल लौटा नहीं रहा है जो लगभग चार अरब रुपए के आसपास है।

सी एम राईज स्कूल-

सी एम राईज स्कूल खोलने से जहां एक और विद्यार्थियों को एक बड़े स्कूल का लाभ मिलेगा वहीं आसपास के छोटे-छोटे स्कूल बंद होने के कगार पर हैं ,जबकि प्रदेश के अनेक शहरी और ग्रामीण स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ का प्रबंध अभी तक नहीं हो पाया है।

ऐसे अनेक प्राइमरी, मिडिल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल भी है जिनमें स्टाफ का पूर्णतःअभाव है।

अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जी अभी तक सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है।

यदि बड़ी-बड़ी स्कूल बिल्डिंग बना भी ली हो तो उसका फायदा तो तभी होगा जब शिक्षकीय स्टाफ वहाँ मौजूद हो।

इसके साथ ही वर्ष भर त्योहारों की छुट्टियों का विभाजन भी पूर्णतः अवैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग में संस्कृति विरोधी आई ए एस अधिकारी इस सरकार को असफल करना चाहते हैं, तथा मध्य प्रदेश के त्योहारों को बिगाड़ना चाहते हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रदेश में लागू हुई करीब 4 वर्ष हो गए किंतु धरातल पर यह शिक्षा नीति कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है।

अतः शिक्षा मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि- आपकी सरकार का दबाव इन आईएएस अधिकारियों एवं शिक्षा अधिकारियों पर बनाएं ना कि उनके दबाव में आपकी सरकार चले ।

रमेशचन्द्र चन्द्रे

शिक्षाविद एवं समाजसेवी मंदसौर

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