
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मुस्लिम पक्षकारों ने भी सराहा
मुस्लिम समुदाय की तरफ से दूसरी सबसे बड़ी आपत्ति राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित थी. याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि पदेन सदस्यों के अलावा, केवल मुसलमानों को ही इन निकायों का प्रबंधन करने की अनुमति दी जानी चाहिए. मुस्लिमों का कहना था कि वक्फ बोर्ड और परिषद में सिर्फ मुस्लिम सदस्य होने चाहिए.
मुस्लिम समुदाय की इस आपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे और राज्य के लिए 3 से अधिक नहीं होना चाहिए. इस तरह, वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में सेंट्रल बॉडी में चार और राज्य में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम न हों. इस तरह वक्फ बोर्ड के ढांचे में मुस्लिम समाज का बहुमत होगा. नए कानून में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या निर्धारित नहीं थी, लेकिन कोर्ट ने इसे तय कर दिया है. *पांच साल के मुसलमानों पर लगी रोक* सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने कहा कि हम वक़्फ करने के लिए वाकिफ के 5 साल तक इस्लाम में ईमान रखने यानी इस्लामिक प्रैक्टिस की न्यूनतम अवधि की अनिवार्यता पर रोक लगा रहे हैं. सरकार चाहती थी कि कोई अगर मुसलमान वक्फ करता है तो उसे पांच साल का प्रैक्टिस मुस्लिम होना चाहिए. सरकार के इस प्रावधान पर मुस्लिम समुदाय को विरोध था, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम समुदाय को राहत दी है.
कलेक्टर की जांच पर क्या लगी रोक ? मुसलमानों को वक्फ कानून में कलेक्टर की जांच करने पर आपत्ति थी. वक्फ कानून में एक प्रावधान था जिसमें कहा गया था कि अगर कलेक्टर जांच करता है कि कोई संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो ऐसी संपत्ति को जांच के दौरान वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. अगर कलेक्टर को शक है कि कोई ज़मीन सरकारी है, तो जाँच होने तक उसे वक्फ की ज़मीन नहीं माना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने यह माना है कि किसी कानून की संवैधानिकता का अनुमान हमेशा उसके पक्ष में होता है. कोर्ट ने वक्फ अधिनियम के उस प्रावधान पर भी रोक लगाई जिसमें जिला कलेक्टर को यह निर्धारित करने का अधिकार दिया गया था है कि क्या वक्फ के रूप में घोषित संपत्ति कहीं सरकारी संपत्ति है और इसके परिणामस्वरूप उस प्रॉपर्टी की स्थिति पर आदेश जारी करेगा.
अदालत के फैसले से सभी पक्षकार खुश सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मुस्लिम पक्षकारों ने भी सराहा और कानून के समर्थक हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने भी संतोषजनक बताया. निर्णय सुनने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता और शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि अंतरिम निर्णय बहुत राहत देने वाला है। वक्फ की संपत्तियों पर अब कोई खतरा नहीं।