भक्ति/ आस्थादलौदामंदसौर जिला
आकोदड़ा कालका (मगरा) माताजी मंदिर है भक्तों के आस्था का केंद्र
आकाश मार्ग से उतरा मंदिर, दर्शन मात्र से असाध्य रोगी हो जाते है रोग मुक्त
कई संगठन सेवाभाव के साथ दे रहे है प्रतिदिन सेवाएं
आकोदड़ा। मंदसौर से मात्र 25 किलोमीटर दूर दलौदा तहसील के गांव आकोदड़ा में कालिका माता का मंदिर है जो कि मगरा माताजी के नाम से प्रसिद्ध है यहां सैकड़ों भक्त प्रतिदिन दर्शन हेतु आते हैं वहीं नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु और लकवा, अंधत्व और असाध्य रोगी मां के दरबार में जयकारा लगाते हुए आते है और स्वस्थ होकर जाते है।
24 गांवों के बीच बसा यह मंदिर वर्षों पुराना है यह किवदंती है कि यति लोगों ने अपने प्रभाव से इस मंदिर को आकाश मार्ग से उतारा था। आराधना याचना अर्चना के साथ साथ यहां सेवा कार्य भी पूरी शिद्दत से किया जाता है । माता के भक्त चाय ,पानी,भोजन की व्यवस्था निशुल्क करते हैं प्रति शनिवार और रविवार को मंदिर समिति की ओर से निशुल्क भोजन की व्यवस्था पूरे वर्ष की जाती है।
जय माता दी ग्रुप, जय माता जी सेवा समिति,कालिका माता सेवा समिति, भक्त सेवा समिति, जलपान सेवा समिति सहित माता भक्त यहां सेवा देते है तथा वर्ष में कई बाद निशुल्क स्वास्थ्य शिविर, निशुल्क नेत्र शिविर जैसे सेवा कार्यों को नये आयाम देते रहते हैं।
जय माताजी ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि पिछले 11 सालों से दानदाताओं के सहयोग और ग्रुप के माध्यम से निशुल्क चाय की सेवा करता आ रहा है। स्वच्छता के साथ-साथ स्टील के गिलास में मां के भक्तों को चाय वितरण होती है। ग्रुप के सदस्य नित्य रोज प्रातः 5.30 बजे से इस कार्य में लग जाते हैं और लगभग 7.30 बजे तक यह सेवा कार्य चलता है। रोज प्रातः 40 से 50 लीटर दूध की चाय बनती है और सभी भक्तों को माताजी के प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है । ग्रुप के सेवा कार्यों को श्रद्धालुओं के साथ-साथ आमजन का भी बहुत सहयोग ओर प्रशंसा मिल रही है ।दानदाताओं के सहयोग से और जय माता दी युवा ग्रुप के माध्यम से यह सेवा कार्य पिछले 11 वर्षों से निरंतर चलता आ रहा है।
मां के दरबार में लकवा, आंखों की रोशनी, मिर्गी सहित अनेक बीमारियों का दुःख मां इन नौ दिनों में पुरी तरह से खत्म कर देती है और मरीज स्वस्थ होकर खुशी-खुशी अपने घर जाते हैं जो बोल नहीं पाते हैं वह भक्तजन भी नौ दिनों में मां का जयकारा लगाने लग जाते हैं। मां के यहां ठहरे श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क भंडारे की व्यवस्था भी है।
24 गांवों के बीच बसा यह मंदिर वर्षों पुराना है यह किवदंती है कि यति लोगों ने अपने प्रभाव से इस मंदिर को आकाश मार्ग से उतारा था। आराधना याचना अर्चना के साथ साथ यहां सेवा कार्य भी पूरी शिद्दत से किया जाता है । माता के भक्त चाय ,पानी,भोजन की व्यवस्था निशुल्क करते हैं प्रति शनिवार और रविवार को मंदिर समिति की ओर से निशुल्क भोजन की व्यवस्था पूरे वर्ष की जाती है।
जय माता दी ग्रुप, जय माता जी सेवा समिति,कालिका माता सेवा समिति, भक्त सेवा समिति, जलपान सेवा समिति सहित माता भक्त यहां सेवा देते है तथा वर्ष में कई बाद निशुल्क स्वास्थ्य शिविर, निशुल्क नेत्र शिविर जैसे सेवा कार्यों को नये आयाम देते रहते हैं।
जय माताजी ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि पिछले 11 सालों से दानदाताओं के सहयोग और ग्रुप के माध्यम से निशुल्क चाय की सेवा करता आ रहा है। स्वच्छता के साथ-साथ स्टील के गिलास में मां के भक्तों को चाय वितरण होती है। ग्रुप के सदस्य नित्य रोज प्रातः 5.30 बजे से इस कार्य में लग जाते हैं और लगभग 7.30 बजे तक यह सेवा कार्य चलता है। रोज प्रातः 40 से 50 लीटर दूध की चाय बनती है और सभी भक्तों को माताजी के प्रसाद के रूप में वितरण की जाती है । ग्रुप के सेवा कार्यों को श्रद्धालुओं के साथ-साथ आमजन का भी बहुत सहयोग ओर प्रशंसा मिल रही है ।दानदाताओं के सहयोग से और जय माता दी युवा ग्रुप के माध्यम से यह सेवा कार्य पिछले 11 वर्षों से निरंतर चलता आ रहा है।
मां के दरबार में लकवा, आंखों की रोशनी, मिर्गी सहित अनेक बीमारियों का दुःख मां इन नौ दिनों में पुरी तरह से खत्म कर देती है और मरीज स्वस्थ होकर खुशी-खुशी अपने घर जाते हैं जो बोल नहीं पाते हैं वह भक्तजन भी नौ दिनों में मां का जयकारा लगाने लग जाते हैं। मां के यहां ठहरे श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क भंडारे की व्यवस्था भी है।