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सुप्रीम कोर्ट में मुर्दा घोषित हुआ बिहार का डॉन सतीश पांडेय: बृजबिहारी हत्याकांड के फैसले में गंभीर चूक

सुप्रीम कोर्ट में मुर्दा घोषित हुआ बिहार का डॉन सतीश पांडेय: बृजबिहारी हत्याकांड के फैसले में गंभीर चूक

 

 

पटना – बिहार के कुख्यात डॉन सतीश पांडेय, जिसे गोपालगंज और आसपास के क्षेत्रों में आतंक का पर्याय माना जाता था, को सुप्रीम कोर्ट में मृत घोषित कर दिया गया है। हालांकि, सतीश पांडेय अभी जीवित है और कई संगीन मामलों में आरोपी है। यह चूक सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले में हुई, जब उसने पूर्व मंत्री बृजबिहारी हत्याकांड में 3 अक्टूबर को अपना निर्णय सुनाया।

बृजबिहारी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट का फैसला

13 जून 1998 को बिहार के गोपालगंज जिले में तत्कालीन मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या कर दी गई थी। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने 3 अक्टूबर 2023 को 40 पृष्ठों का निर्णय दिया, जिसमें सतीश पांडेय को मृत बताया गया। जबकि वास्तविकता में, सतीश पांडेय जीवित है और उसके खिलाफ अभी भी केस चल रहे हैं। कोर्ट ने इस फैसले में बृजबिहारी हत्याकांड के नौ आरोपियों में से छह की बरी को सही ठहराया और दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी।

सतीश पांडेय पर आरोप और फरारी

बृजबिहारी हत्याकांड में कुल 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इनमें से नौ लोगों के खिलाफ ट्रायल हुआ, जिसमें आठ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सतीश पांडेय, जो इस हत्याकांड का एक मुख्य आरोपी था, फरार होने के कारण उसके खिलाफ ट्रायल अलग से चला। बाकी छह फरार अभियुक्तों के खिलाफ भी अलग ट्रायल चलाया गया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में गलती

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला, भूपेंद्र नाथ दुबे, कैप्टन सुनील सिंह, शशि कुमार राय, और सतीश पांडेय को मृत घोषित किया। जबकि सतीश पांडेय अभी जीवित है। बाकी चार व्यक्तियों की मौत हो चुकी है, लेकिन सतीश पांडेय के जीवित होने के बावजूद इसे मृत मान लिया गया, जो कि एक गंभीर चूक मानी जा रही है।

सारण का कुख्यात डॉन सतीश पांडेय

गोपालगंज का निवासी सतीश पांडेय बिहार और उत्तर प्रदेश में कुख्यात डॉन के रूप में जाना जाता है। उसके खिलाफ दर्जनों संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसके भाई अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय वर्तमान में जेडीयू के विधायक हैं और उनके परिवार का उस इलाके में राजनीति और ठेका-पट्टा में बड़ा दबदबा है। सतीश पांडेय की पत्नी उर्मिला पांडेय और बेटा मुकेश पांडेय भी गोपालगंज में राजनीतिक पदों पर काबिज रहे हैं।

निचली अदालत और हाईकोर्ट का फैसला

इस हत्याकांड में निचली अदालत ने 12 अगस्त 2009 को सूरजभान सिंह, मुन्ना शुक्ला, और राजन तिवारी सहित आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। एक आरोपी शशि कुमार राय को दो साल की सजा दी गई थी। सभी आरोपियों ने इस फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जहां 24 जुलाई 2014 को सभी को बरी कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में अपील

पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई और बृजबिहारी की पत्नी और पूर्व सांसद रमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 3 अक्टूबर को अपने फैसले में दो आरोपियों मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की सजा को बरकरार रखा, जबकि अन्य छह आरोपियों की बरी को सही ठहराया।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में सतीश पांडेय को मृत बताने की गलती को लेकर कानूनी विशेषज्ञों और समाज में चर्चा का विषय बन गया है।

 

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