पं. दीनदयाल उपाध्यायजी की जयंती के अवसर पर अंत्योदय विचारधारा पर जिला स्तरीय व्याख्यानमाला आयोजित
रतलाम : म.प्र. जन अभियान परिषद्, जिला रतलाम द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्यायजी की जयंती के अवसर पर अंत्योदय विचारधारा पर जिला स्तरीय व्याख्यानमाला का आयोजन जनचेतना विधालय परिसार रतलाम में आयोजित किया गया । कार्यक्रम का शुभांरभ पं.दीनदयाल उपाध्याय जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीपप्रज्जवलित कर शुभांरभ किया गया, कार्यक्रम में जनचेतना विधालय के छात्र छात्राओं के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गयी। संस्था प्राचार्य श्री सतीश तिवारी के द्वारा जन चेतना परिषद के द्वारा कियें जा रहे कार्यो की प्रस्तुत किया । कार्यक्रम स्वच्छता ही सेवा की शपथ अंतर्गत स्वच्छता की शपथ करायी गयी तथा शिक्षकों का सम्मान किया गया ।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता व अतिथि महर्षि पंतजलि संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विद भरतदास बैरागी, विशेष अतिथि भारत सरकार के एमआईडीएच कमेटी सदस्य अशोक पाटीदार, जनजातीय कार्य प्रमुख विजेन्द्र सिंह चौहान, मानव सेवा समिति अध्यक्ष मोहनलाल पाटीदार मुरलीवाला, समाजसेवी गोविंद काकानी, स्वयंसेवी प्रकोष्ठ जिला संयोजक राजेश रांका, मॉय भारत अभियान के जिला समन्वयक सौरभ श्रीवास्तव, व कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी मनोहर पोरवाल के द्वारा की गई ।
मुख्य वक्ता महर्षि पंतजलि संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विद भरतदास बैरागी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानव दर्शन दिया, एकात्म मानव दर्शन ही संपूर्ण मानव जगत को सही मार्ग पर ले जा सकता है । समाज के अंतिम व्यक्ति को मूलभूत सुविधा मिलना अंत्योदय है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी मनोहर पोरवाल दीनदयाल जी के मतानुसार अस्तित्व के लिए संघर्ष से अधिक सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है। भारत की सनातन संस्कृति सर्वत्र सहयोग एवं सामंजस्य देखती आई है।
विशेष अतिथि भारत सरकार के एमआईडीएच कमेटी सदस्य श्री अशोक पाटीदार ने बताया कि एकात्म मानववाद का उद्देश्य हर मनुष्य को सम्मानपूर्ण जीवन प्रदान करना है। सफलता का बेहतर पैमाना ‘ अंत्योदय ‘ है, यानी क्या हमने समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े इंसान के जीवन को बेहतर बनाया है।
जनजातीय कार्य प्रमुख विजेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि सरलता और सादगी की प्रतिमूर्ति पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिश्रम और पुरुषार्थ का पर्याय था। वह कुशल संगठक एवं मौलिक चिंतक थे। सामाजिक सरोकार एवं संवेदना उनके संस्कारों में रची-बसी थी।
मानव सेवा समिति अध्यक्ष मोहनलाल पाटीदार मुरलीवाला ने कहा कि भारतीय जीवन-दृष्टि केवल शक्तिशाली के अस्तित्व की रक्षा में नहीं, अपितु सबके अस्तित्व की रक्षा में जीवन और जगत का कल्याण देखती है।
समाजसेवी गोविंद काकानी ने कहा कि आज के युवाओं को दीनदयालजी के विचारों को आत्मसात कर अंत्योदय के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए । समाज के अंतिम व्यक्ति को मूलभूत सुविधा मिलना अंत्योदय है ।
स्वयंसेवी प्रकोष्ठ जिला संयोजक राजेश रांका ने कहा कि उपाध्याय जी के अनुसार मन बुद्धि आत्मा और शरीर इन चारों का समुच्चय है हम उनको टुकड़ों में बताकर विचार नहीं कर सकते मानव की यही समग्रता या पूर्णता उसे समाज के लिए उपयुक्त बनती है ।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन विकासखण्ड समन्वयक शैलेन्द्रसिंह सोलंकी मंच संचालन जिला समन्वयक रत्नेश विजयवर्गीय द्वारा तथा आभार विकासखण्ड समन्वयक शिवशंकर शर्मा के द्वारा व्यक्त किया गया ।
कार्यक्रम में विकासखण्ड समन्वयक रतनलाल चरपोटा, महावीरदास बैरागी, परामर्शदाता, प्रस्फुटन नवांकुर समिति सदस्य, सीएमसीएलडीपी कार्यक्रम के विद्यार्थी, प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र के युवा युवतियां तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।