सम्मानमध्यप्रदेशसीतामऊ

छोटी काशी में हिंदी साहित्य मनीषी पंडित गौरीशंकर जी दुबे का हुआ स्वागत अभिनंदन

शिक्षा केवल पास होने के लिए नहीं जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्राप्त किया गया ज्ञान है- श्री दुबे

सीतामऊ। एक नचिकेता नाम का बच्चा था उसके पिता गौ दान करते थे। उसने अपने पिता से कहा पिताजी गौ दान करना ही है तो बूढ़ी नहीं अच्छी गौ माता का दान करना चाहिए। बेटे कि बात सुन उसके पिता को गुस्सा आ गया। उन्होंने कहा मैं तुझे भी दान कर दूॅंगा तो नचिकेता ने कहा आपका अधिकार हैं कर दीजिए। पिता ने नचिकेता को यमराज को दान कर दिया। नचिकेता अपने पिता के घर से यम के द्वार यमलोक चला गया। तीन रात हो गई। जिस पर बालक को यमराज ने तीन वरदान दिए नचिकेता ने तीन वरदान में पहला पिताजी के पास जाने पर वें गुस्सा नहीं करें,दूसरा अग्नि विद्या, तीसरा मनुष्य मरता तो कैसे मरता इसका आत्म ज्ञान दे दो तो यमराज ने मना कर दिया। नचिकेता जानने के लिए जिज्ञासु था तो यमराज ने नचिकेता को मृत्यु का आत्म ज्ञान दिया। कठोपनिषद में नचिकेता कि कहानी से साहस, धैर्य, निश्चय प्रति भक्ति का ज्ञान मिलता है।

दूसरा अर्जुन को अपने परिवार से युद्ध नहीं करने का मोह जाग गया तो अर्जुन को ज्ञान का जिज्ञासु होने पर भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने का जिज्ञासु हो तो ज्ञान देने में आनंद प्राप्त होता है। उक्त उद्बोधन हिंदी साहित्य मनीषी पंडित गौरीशंकर जी दुबे ने न.पं.सभा हाल सीतामऊ में उनके नागरिक अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए।

श्री दुबे ने कहा कि आज छात्र जिज्ञासु नहीं है कहते हैं कि परीक्षा में आए वो खास -खास प्रश्न बता दो वो पढ लेंगे और पास हो जाएंगे। आपने कहा कि शिक्षा केवल पास होने के लिए नहीं जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्राप्त किया गया ज्ञान है। श्री दुबे ने अपने शिष्य गोविंद जी सांवरा की शिक्षा काल कि बात सुनाते हुए कहा कि हस्तलिखित पत्रिका चित्रण तथा कला नाटक आदि में अच्छा कार्य मेरे शिक्षक साथी ब्रजभूषण सक्सेना ने भी इनको समय-समय पर प्रेरित किया। आपने अपने जीवन के सेवाकाल को लेकर कहा कि मेरा जीवन रतलाम नामली में

मेरा जन्म 1940 में सीतामऊ में हुआ मेरी प्रारंभिक शिक्षा सीतामऊ में हुई उसके बाद अजमेर राजस्थान तथा विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में पढ़ाई और शिक्षक बनने पर सर्वप्रथम नामली में तथा उसके बाद सीतामऊ श्री राम विद्यालय में कार्यकाल 17 वर्ष रहा।

अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ शिष्य श्री ओमसिंह भाटी ने कहा कि गुरुजी का दर्शन हो जाए तो धन्य हो जातें हैं। गोविंद जी हम सहपाठी थे। हमारे गुरुदेव ऐसे हैं जिनका नाम गौरीशंकर है जिसमें माता गौरी और पिता शंकर का का आशीर्वाद हमें प्राप्त होता दिखाई देता है। आपने ने अपने शिक्षा काल का बातों को वर्णन सुनाया। श्री भाटी ने कहा कि आप सब लोगों के सहयोग से गुरुदेव का अभिनंदन का अवसर मिला यह गुरुदेव का आशीर्वाद है। अपने शिक्षा काल में के.एल. चौधरी , एन सी दुबे के एम रायजादा केके अग्रवाल, कचरमल डोसी, गौरीशंकर जी दुबे आदि गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

समारोह को संबोधित करते हुए नटनागर शोध संस्थान निदेशक श्री विक्रम सिंह भाटी ने कहा कि ऐसे गुरुवर का सम्मान रखने वाले अभिनंदन मित्र मंडल को बहुत बहुत धन्यवाद।

मेरा गुरुदेव से एक वर्ष पूर्व मिलना हुआ था। आपकी एक पुस्तक सीतामऊ राज्य में साहित्य साधना का देखा तो आपकी उसमें साहित्यिक लेखनी द्वारा बहुत अच्छा स्थान दिया। संस्थान की मोहन विनोद पांडुलिपियों का अध्ययन करते हैं तो यह नगरी कृष्ण कि नगरी रही है । मैं मूलतः राजस्थान का निवासी हूं वहां पर भी गुरुवर दुबे जी का साहित्य में सम्मान जनक नाम लिया जाता है।

समारोह को संबोधन में इतिहासकार श्री के.सी. पांडेय ने कहा कि 1984 में नटनागर शोध संस्थान में संगोष्ठी के पल को सुनाया। कहा अविभाजित मंदसौर जिले में ऐसे-ऐसे विभूतियां हुई जिनमें बी.एल. लुनिया, सहित कई हुए हैं। मेरे द्वारा भी पुस्तकें लिखी गई है। सीतामऊ में तत्कालीन रियासत काल में में रोजाना कविता पाठ किया जाता था।उस कविता पाठ का लिखे पाडूलिपीया संजोकर रखा। आपने हजारों लोगों में ज्ञान कि मशाल को प्रज्वलित किया ।ऐसे मनीषा गुरुदेव का सम्मान करने का अवसर मिला। स्वागत अभिनंदन करता हूं।

समारोह में श्री अमर सिंह कुशवाह ने गुरुजी के सम्मान में पंक्तियां “संत/गुरु मिलन जाइए तजिए माया मोह अभिमान ज्यों – ज्यों पग धरत है त्यों-त्यों कोटि यज्ञ समान” के साथ अपने संबोधन ने कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि सीतामऊ छोटी काशी की धरा पर कई विद्वजन जन्में उनमें आप भी हैं। आपने अपनी शिक्षा दीक्षा के साथ अपने शिष्यों को भी ऐसी शिक्षा प्रदान कि है जिससे सीतामऊ नगर गौरवान्वित महसूस करता है। आज आपके नागरिक अभिनंदन पर आनंद महसूस करते हुए आपका स्वागत अभिनंदन और अच्छे स्वास्थ्य दीर्घायु कि कामना करते हैं। श्री कुशवाह द्वारा आपके शिष्य सेवानिवृत अनुविभागीय अधिकारी श्री अनिल पटवा द्वारा प्रेषित दीर्घायु के शुभ मंगल कामना संदेश को सुनाया।

अनुज पं भोलेश्वर दुबे ने संबोधन में कहा कि आज का दिन पुण्य का दिन हैं । जन्म भूमि के ऋण से कभी उरिण नहीं हो सकतें हैं। दूसरा गुरुदेव के ऋणी है आप सबके गुरु एवं मेरे बड़े भाई गुरुदेव है तीसरा ऋण जहां हम पढ़े राम विद्यालय गुरुकुल है जिसमें हम सब पढ़ें है कोई आगे तो कोई पीछे। सीतामऊ पर पुस्तक लिखने का मन कर रहा है और सोच रहा था कि सीतामऊ भी जाना चाहिए। यह सोच ही रहा था कि भाई साहब को गोविंद जी सांवरा का फोन आया और सीतामऊ आने का समय आ गया 21 सितंबर और आज सबसे मिलने को अवसर मिल गया। सीतामऊ नगर ऐसा है कि ऐसा कही देखने को नहीं मिलता है। यह मान सम्मान से भरा पड़ा है।

श्री दुबे ने कहा मैं जब अपनी मातृ संस्था को देखते गया तो वहां सुनसान मिला।यह देख कर चकित हुआ कि इसकी ये हालत हैं। यहा से कई पढ़ें छात्र उच्च पदों पर पर कार्य कर चुके और कार्य कर रहे हैं। यहां आने को बार बार मन करता है।

समारोह को संबोधित करते हुए श्री गोविन्द सिंह पंवार ने कहा कि रियासत के समय दो नाम चलते थे राजा रामसिंह जी और दूसरा शिक्षा के क्षेत्र में रहे ताऊजी प्रभाशंकर जी दुबे उनके छोटे भाई किशनलाल जी दुबे के सुपुत्र ने आज तक सीतामऊ का सम्मान बनाए रखा यह हमारा सौभाग्य है। आपका जन्म 1940 में सीतामऊ में हुआ आपकी प्राथमिक शिक्षा सीतामऊ में हुई आपने संस्कृत में एम एस अजमेर राजस्थान से किया। आपने राम विद्यालय में1982-83 में सबसे लोकप्रिय शिक्षक रहे आपका उस समय सम्मान किया गया। मेरे पिताजी ने भी आपके ताऊजी प्रभाशंकर जी से शिक्षा प्राप्त की।श्री पंवार ने कहा कि आपकी शिक्षा के साथ साथ साहित्य में भी रुचि रही आपने साहित्य के क्षेत्र में भी पुस्तकें स्वाध्याय प्रेरक बातें, अपनों से अपनी बातें आदि पुस्तकें लिखी।हम आज पाश्चात्य संस्कृति की और बढ़ रहें पर आप मालवा के निवासी होकर मालवीय भाषा को अपना स्थान दिया आपने अपने घर में भी मालवीय भाषा में शब्दों को स्थान दिया है।

समारोह में श्री भूपेन्द्र राजगुरु ने संबोधन में कहा कि कोई व्यक्ति नगर से बाहर चला जाएं और फिर आए और उनके सम्मान में शिष्य पलक पांवड़े बिछाए बैठे हो यह एक पहला अद्भुत कार्यक्रम है। मैंने भी गुरु देव से शिक्षा प्राप्त की है। आपकी सादगी सौहार्द पूर्णता की झलक थी।उन दिनों आप और शुक्ला साहब जब दोनों निकलते तो आपकी सादगी झलकती थी।शिक्षक और शिक्षार्थी का अनूठा संगम सीतामऊ के अलावा मुझे ऐसा कही नहीं देखने को मिला।

समारोह का संचालन दिल सागर जैसा रखना नदियां खुद मिलने आ जाएगी के शायरी के साथ श्री गोविन्द सांवरा ने संबोधित करते हुए कहा कि एक व्यक्ति रास्ते ते गुजर रहा था उसको तीन व्यक्ति रास्ते में मिलें पहला व्यक्ति मिला उससे पूछा कि क्या कर रहे हो तो उसने गुस्से में कहा दिखता नहीं क्या कर रहा हूं ।दूसरे से पूछा कि क्या कर रहे हो थोड़ा प्रेम से बोला पेट पालने के लिए काम कर रहा हूं।जब तीसरे से पूछा कि क्या कर रहे हो तो उसने कहा कि मैं भगवान का मंदिर बना रहा हूं। ऐसे ही तीसरे व्यक्ति के समान ज्ञान के ह्रदय सम्राट हमारे गुरु श्री दुबे जी है।कार्यक्रम का आभार शिक्षक श्री मुकेश कारा ने व्यक्त किया।

अभिनंदन समारोह के प्रारंभ में पंडित श्री गौरी शंकर जी दुबे अनुज भोलेश्वर दुबे, श्री किशोरी लाल सोनी,नटनागर शोध संस्थान निदेशक श्री विक्रम सिंह भाटी इतिहासकार श्री कैलाश नारायण पांडे व्याख्याता श्री डॉ दिनेश तिवारी वरिष्ठ समाजसेवी श्री ओम सिंह भाटी आदि ने मां शारदा के तस्वीर पर माल्यार्पण दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया गया।

अभिनंदन समारोह की कड़ी में ओमसिंह भाटी अमरसिंह कुशवाह, गोविंद सांवरा सर मुकेश कारा के द्वारा गुरुजी श्री दुबे का साफा बांध कर शाल श्रीफल भगवान पशुपतिनाथ की रजत प्रतिमा तथा अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया , वहीं समारोह में वरिष्ठ समाजसेवी राधेश्याम जोशी अशोक जैन (विवेकानंद) दिलीप पटवा परमेश्वर सिंह लंगड़ा बापू, चंद्रबिहारी चौहान रसिक बिहारी चौहान, संपादक लक्ष्मीनारायण मांदलिया, भागीरथ भंभोरिया, नवीन विश्वास द्विवेदी, राधेश्याम घाटिया, जगदीश कोठारी, अशोक शर्मा बसई, मोहनसिंह भंसाली, महेश नीमा श्याम शर्मा, रमेश चंद्र सिसोदिया, भूपेंद्र राजगुरु, दीपक गिरी, बंशीलाल सोनावत, सुरेश सोलंकी, गणेश वर्मा, नारायण हरगौड़, मनीष नीमा, अखिल मोहम्मद मंसूरी , संपतलाल भंभोरिया, राजेश पालिवाल पार्षद अरुण सोनी सरकार गणेश टांकवाल ,निशिद बर्डिया नपं सीएमओ जीवनराय माथुर, लेखापाल भुवानीराम मालवीय, इस्माइल खान,इकबाल मंसुरी जाकिर हुसैन पठान सहित कई गणमान्य नागरिकों द्वारा पुष्प माला पहनाकर कर तथा शाल श्रीफल भेंट कर श्री दुबे का स्वागत अभिनंदन वंदन किया। समारोह में दुबे परिवार सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}