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नई दिल्ली:- दिल्ली को एक बार फिर महिला मुख्यमंत्री मिलने जा रही है. अरविंद केजरीवाल सीएम पद छोड़ रहे हैं और उनकी जगह आम आदमी पार्टी ने मंत्री आतिशी को सीएम पद की कमान सौंपने का फैसला किया है. बैठक में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा और उनके नाम पर मुहर लगी. सभी विधायकों ने खड़े होकर प्रस्ताव को स्वीकार किया. आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित इस पद पर काबिज हो चुकी हैं.
दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आतिशी सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहीं. मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद अरविंद केजरीवाल ने 9 मार्च 2023 को आतिशी और सौरभ भारद्वाज को कैबिनेट मंत्री बनाया था. मौजूदा सरकार में आतिशी के पास शिक्षा, जल, वित्त, PWD, बिजली, कानून समेत कुल 14 मंत्रालय हैं. आतिशी अकेली ऐसी मंत्री हैं जिनके पास इतने विभागों की जिम्मेदारी है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे आतिशी का नाम चल रहा था. आतिशी को अरविंद केजरीवाल की सबसे भरोसेमंद मंत्रियों में से एक माना जाता है. यही वजह है कि जब मुख्यमंत्री के जेल में रहते 15 अगस्त को झंडा फहराने का मौका आया तो अरविंद केजरीवाल ने जेल से दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए अपनी तरफ से आतिशी का नाम भेजा था.
आतिशी के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह पहली बार 2020 में कालकाजी विधानसभा से जीतकर विधायक बनीं। उन्होंने बीजेपी के धर्मवार सिंह को हराया था। आठ जून, 1981 को आतिशी का जन्म एक पंजाबी राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे हैं। आतिशी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं। अन्ना आंदोलन का हिस्सा रहीं आतिशी ने जुलाई 2015 से 17 अप्रैल 2018 तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के सलाहकार के तौर पर काम किया है। 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान वह पार्टी का घोषणापत्र तैयार करने वाली मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य रह चुकी हैं। वह पार्टी प्रवक्ता की भी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। पिछले साल जब सिसोदिया को शराब घोटाले में जेल जाना पड़ा तो उनकी जगह आतिशी को शिक्षा मंत्री बनाया गया। तेज तर्रार आतिशी ने धीरे-धीरे केजरीवाल का भरोसा जीता और दिल्ली की ऐसी मंत्री बन गई जिसके पास सबसे ज्यादा मंत्रालय हैं। अब एक बार फिर आप संयोजक ने उनपर भरोसा जताते हुए उनके हाथ में सत्ता की चाबी सौंप दी है।
केजरीवाल की भरोसेमंद:
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भरोसेमंद और नजदीकी के अलावा कई बातें आतिशी को खास बनाती हैं. आतिशी न सिर्फ दिल्ली सरकार में इकलौती महिला मंत्री हैं बल्कि उनके पास इस वक्त दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभागों की 14 जिम्मेदारी भी हैं. जिनमें शिक्षा विभाग, PWD, जल विभाग, राजस्व, योजना और वित्त जैसे अहम विभाग शामिल हैं.
राजनीतिक करियर:
आतिशी आम आदमी पार्टी की शुरुआत के समय ही पार्टी में शामिल हो गई थीं. 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के मैनिफेस्टो का मसौदा समिति की अहम सदस्य थीं और पार्टी के गठन और नीतियों को निर्धारण में भी अहम भूमिका निभाई. बाद में आतिशी ने आम आदमी पार्टी के मुद्दों को रखने के लिए प्रवक्ता के तौर पर जिम्मेदारी निभाई. आतिशी ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में भी काम किया और उनके जेल जाने के बाद शिक्षा मंत्रालय का भी काम संभाला.
आतिशी से जुड़ी बातें:
आतिशी दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और त्रिप्ता वाही के घर पैदा हुईं. आतिशी ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली स्प्रिंगडेल स्कूल से की, सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शेवनिंग स्कॉलरशिप पाकर मास्टर की डिग्री हासिल की. कुछ साल बाद, उन्होंने शैक्षिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप में ऑक्सफोर्ड से अपनी दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की. आतिशी ने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में 7 साल बिताए, जहां वह जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा प्रणालियों से जुड़ीं साथ ही कई NGO के साथ भी काम किया.
52 दिन सीएम रही थीं सुषमा स्वराज
स्वर्गीय सुषमा स्वराज पहली महिला थीं जिन्हें राजधानी दिल्ली की सत्ता की कमान मिली थी। बीजेपी ने उन्हें 1998 में मुख्यमंत्री बनाया था। उनसे पहले साहिब सिंह वर्मा सीएम थे जिन्हें प्याज के बढ़ते दामों की वजह से कुर्सी छोड़ना पड़ी थी। स्वराज केवल 52 दिन ही मुख्यमंत्री रह पाई थीं क्योंकि इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें बीजेपी को करारी हार मिली। पार्टी केवल 15 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस को भारी बहुमत मिला। बता दें कि दिवंगत केंद्रीय मंत्री अक्टूबर में सीएम बनीं थी और उन्हें दिसंबर में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
15 साल सीएम रहीं शीला दीक्षित
सुषमा स्वराज के बाद स्वर्गीय शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं। 1998 में बहुमत मिलने पर कांग्रेस ने उन्हें राजधानी का कार्यभार सौंप दिया। इसके बाद 2003 और 2008 के चुनाव में भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला। पार्टी ने उनपर भरोसा बनाए रखा और वे लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। 2013 ही वह साल था जब अन्ना आंदोलन से आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ और पार्टी ने चुनाव लड़ा था। जनता ने नई पार्टी को 28, कांग्रेस को 8 और बीजेपी को 34 सीटें दी थीं। यानी किसी भी पार्टी के पास सरकार बनाने का बहुमत नहीं था। तब आप और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई और केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।