कर्मकाण्डीय विप्र परिषद की बैठक सम्पन्न,शास्त्र विधानानुसार एकमत से हुआ श्राद्ध तिथि निर्णय
नीमच। कर्मकांडीय विप्र परिषद नीमच की एक आवश्यक वृहद बैठक स्थानीय भूतेश्वर महादेव मंदिर परिसर कें अन्नपूर्णा दरबार में सोमवार 9 सितंबर 2024 को सम्पन्न हुई।
कर्मकांडीय विप्र परिषद के अध्यक्ष पं.राधेश्याम उपाध्याय ने बताया कि आगामी 17 सितम्बर से प्रारंभ हो रहे पितृ पक्ष में कुछ श्राद्ध तिथियों को लेकर जनमानस में संशय की स्थिति बनी हुई थी, जिसे दूर करने के लिए शास्त्र अनुसार प्रमाणिक निर्णय हो, ताकि आगामी श्राद्ध कर्म षास्त्र विधानानुसार करके सभी श्रद्धालु पितरो की कृपा से उत्तम फल प्राप्त कर सकें इस हेतु परिषद की बैठक में धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, भारत के प्रसिद्ध प्रमुख पंचांगों के अवलोकन के साथ ही आध्यात्म एवं ज्योतिष के विश्वप्रसिद्ध केन्द्र धर्मनगरी उज्जैन के विद्वानों द्वारा लिए गए सर्वसम्मत निर्णय को भी शास्त्रसम्मत व प्रामाणिक मानते हुए उसका समर्थन किया गया। तदअनुसार श्राद्ध पक्ष तिथियों का एकमत से निर्णय लिया गया। नीमच के स्थानीय सूर्योदय, अपरान्ह काल व तिथि को भी दृष्टिगत रखते हुए श्राद्ध सूची निम्नानुसार प्रकाशित है –
(1) पूर्णिमा श्राद्ध – 17 सितम्बर 2024, मंगलवार (दोप. 11.45 के पश्चात)
(2) एकम श्राद्ध – 18 सितम्बर 2024, बुधवार (चन्द्रग्रहण विदेषों में दृश्य हैं, भारत में नहीं)
(3) द्वितीया श्राद्ध – 19 सितम्बर 2024, गुरूवार
(4) तृतीया श्राद्ध – 20 सितम्बर 2024, शुक्रवार
(5) चतुर्थी श्राद्ध – 21 सितम्बर 2024, शनिवार
(6) पंचमी श्राद्ध – 22 सितम्बर 2024, रविवार
(7) षष्ठी श्राद्ध – 23 सितम्बर 2024, सोमवार (दोप. 1.51 तक)
(8) सप्तमी श्राद्ध – 24 सितम्बर 2024, मंगलवार (दोप. 12.39 तक)
(9) अष्टमी श्राद्ध – 25 सितम्बर 2024, बुधवार (दोप. 12.11 तक)
(10) नवमी श्राद्ध – 26 सितम्बर 2024, गुरूवार (दोप. 12.26 तक)
(11) दशमी श्राद्ध – 27 सितम्बर 2024, शुक्रवार (दोप. 1.21 तक)
(12) एकादशी श्राद्ध – 28 सितम्बर 2024, शनिवार (दोप. 2.50 तक)
(13) द्वादशी श्राद्ध – 29 सितम्बर 2024, रविवार (सन्यासीनां श्राद्ध)
(14) त्रयोदशी श्राद्ध – 30 सितम्बर 2024, सोमवार
(15) चतुर्दशी श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार (शस्त्रादि मृत एवं अग्नि से मृत लोगों का श्राद्ध)
(16) सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2024, बुधवार
(17) मातामहादि श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2024, गुरूवार
नोट – 18 सितम्बर को चन्द्रग्रहण भारत में दृष्य नहीं होगा इससे भारत में इस ग्रहण से सम्बंधित कोई भी यम-नियम-सूतक आदि मान्य नहीं होंगे।
श्राद्ध कर्म अनिवार्य है – कुछ लोगों में यह भ्रामक प्रचार है कि गया श्राद्ध करने के बाद श्राद्ध आदि करने की आवश्यकता नहीं। यह विचार पूर्णरूप से गलत है। क्योंकि – श्राद्धं न कुरूते मोहात् तस्य रक्तं पिबन्तिते (पद्म पुराण)….. पितरस्य शापम दत्वा प्रयान्तिते। पितृ तृप्तिम् प्रकुर्वीत……. नैवं श्राद्धं विवर्जयेत्। अर्थात् जो व्यक्ति मोहवश अपने पितृं का श्राद्ध नहीं करते हैं, पितर उनका रक्त पान करते हैं और श्राप देकर रूष्ट होकर चले जाते हैं। अतः पितृं को यथासाध्य श्राद्ध आदि से तृप्त करना चाहिए। कभी भी श्राद्ध का त्याग न करें। क्योंकि पितृं के कारण ही हमारा अस्तित्व है। श्राद्ध कर्म में प्रातःकाल तर्पण आदि कर्म तथा मध्यान्ह काल में श्रद्धानुसार 1 या 3 ब्राम्हणों को उत्तम भोजन व दक्षिणा आदि से सन्तुष्ट कर प्रसन्न करें।
इस महत्वपूर्ण बैठक में परिषद के पं.मालचंद शर्मा, पं.प्रेमप्रकाश शर्मा (गोटू महाराज), पं.शिवशंकर शुक्ल कनावटी, पं.रामेश्वर शर्मा, पं.घनश्याम शास्त्री चल्दू, पं.दशरथ शास्त्री, पं.महेश शर्मा, पं.दिनेश धर्म (शास्त्री), पं.नरेन्द्र शास्त्री कचौली वाले, पं.लक्ष्मण शास्त्री, पं.राकेश शास्त्री, पं.दुर्गाशंकर नागदा, पं.सुनील शर्मा, पं.जगदीश प्रसाद शर्मा, पं.मनोज शर्मा, सहित अन्य सभी विद्वान, पंडित, पुरोहित कर्मकर्ता, मंदिरो के पुजारी, ज्योतिषी उपस्थित थे। उक्त जानकारी परिषद के मंत्री पं.जगदीश शर्मा ने प्रदान की।