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सभी मनुष्यों में चैतन्य शक्ति एक समान होती है – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती

 

मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
सोमवार को धर्मसभा में स्वामी श्री आनन्द स्वरूपानंदजी सरस्वती ने ज्ञान के के बारे में बताते हुए कहा कि शास्त्रों में भगवान कहते हैं कि जिस व्यक्ति को ज्ञान का बोध हो जाता है वह व्यक्ति संसार से परे हो जाता है। आपने कहा कि शरीर बिना आत्मा के कुछ नहीं है। आत्मा जिसे हमें चैतन्य कहते है वह सभी मनुष्यों में एक जैसी होती है। व्यक्ति कर रंग अलग हो सकता है, व्यवहार, भाव, विचार, मन में भिन्नता हो सकती है लेकिन शरीर के अंदर चैतन्य सबकी एक ही होती है और उसमें ईशवर का वास होता है। जो व्यक्ति इस ज्ञान को जान लेता है वह सांसारिक मोह माया से परे हो जाता है।
आपने कहा कि सांसारिक जीवन कुछ नहीं है, यह मात्र मरू भूमि में जल का आभास होने जैसा है इससे ज्यादा कुछ नहीं जिसने यह जान लिया वह आत्म कल्याण के मार्ग पर निकल जाता है। आत्म ज्ञान होने पर व्यक्ति ससांर से मुक्त हो जाता है। प्रभु भक्ति कर इस ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है। आपने कहा कि पुस्तक में लिखे ज्ञान और विज्ञान में बहुत फर्क होता है। पुस्तक से हमें ज्ञान प्राप्त हो सकता है लेकिन अनुभव नहीं है अनुभव हमें निरंतर अभ्यास करके ही प्राप्त होता है। इसलिए जीवन में जहां से प्राप्त हो वहां से ज्ञान प्राप्त करों आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करों और जीवन के अनुभव में उसे उतारों फिर देखों यह संसार आपको मिथ्या लगने लगेगा और ईश्वर ही सत्य है यह मन मान लेगा।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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