वन्यजीव रहवास विकास एवं पेयजल प्रबंधन हेतु 02 दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

गांधीसागर- 29/08/2024 चारागाह विकास एवं उनका प्रबंधन , वन्य प्राणी प्रबंधन का एक अभिन्न अंग किसी भी जीव को जीवन व्यापन के लिए मुख्य रूप से – भोजन, पानी एवं आवास की आवश्यकता होती हैं!
घने जंगल आवास के लिए, बहती नदियां, तालाब पानी के लिएऔर घांस के मैदान भोजन के लिए! ये तीनों मिलकर वन्य प्राणी प्रबंधन के उद्देश्य को पूर्ण करते है !
घांस के मैदान जिनके बारे में सबसे कम सोचा जाता है या जो सबसे अधिक जैविक दबाव झेल रहे हैं चाहे वह अतिक्रमण का दबाव हो या अवैध चराई का, बहुत कम चर्चा के विषय होते है!
गांधीसागर अभयारण्य में स्थित वर्तमान चारागाह क्षेत्रों के प्रबंधन एवं चारागाह क्षेत्रों की मात्रा बढ़ाने के उद्देश्य से 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 28 एवं 29 अगस्त को किया गया, जिसमें राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर के सेवा निवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं चारागाह विशेषज्ञ डॉ आर. के. पांडेय एवं वन विभाग में मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवा निवृत्त चारागाह एवं वन्य प्राणी विशेषज्ञश्री रवि कांत मिश्रा द्वारा अभयारण्य के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को चारागाह क्षेत्रों के समुचित प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण दिया गया!
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य वन्य प्राणियों हेतु खाने योग्य एवं नहीं खाने योग्य घांस प्रजाति की पहचान करना, चारागाह क्षेत्रों में पाए जाने वाले खरपतवारों की पहचान कर उनका समूल उन्मूलन, चारागाह क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सूक्ष्म प्रबन्ध योजना का निर्माण तथा चारागाह क्षेत्रों में खाने योग्य घांस प्रजाति व जंगली दलहनी फसलों की मात्रा को बढ़ाने हेतु क्या क्या प्रयास किए जा सकते है ताकि शाकाहारी वन्य जीवों को वर्ष भर हरी घांस मिलती रहे!
प्रशिक्षण के दौरान वन मंडल अधिकारी श्री संजय रायखेरे , अधीक्षक गांधीसगर अभयारण्य , वन परिक्षेत्र अधिकारी एवं समस्त स्टाफ उपस्थित रहा!