भगवान श्री कृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव, जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
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पंचांग अनुसार इस साल भगवान श्री कृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इसलिए ही हर साल इस दिन पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। जिसे कृष्णाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से जाना जाता है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 27 अगस्त 2024 को 02:19 AM पर होगी।कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। कृष्ण जी की पूजा के लिए निशिता पूजा समय सबसे शुभ माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। जो कोई भी इस व्रत को करता है उसे व्रत से एक दिन पहले यानि की सप्तमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इसके बाद जन्माष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। लेकिन फलाहार ले सकते हैं। पूरे दिन व्रती व्रत रहने के बाद रात में 12 बजे विधि विधान भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इसके बाद व्रत का पारण करते हैं। वहीं कई लोग जन्माष्टमी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं।
पंचांग अनुसार इस साल श्री कृष्ण भगवान का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इसलिए ही हर साल इस दिन पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। जिसे कृष्णाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से जाना जाता है।
अष्टमी तिथि का प्रारंभ 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 27 अगस्त 2024 को 02:19 AM पर होगी।
कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। कृष्ण जी की पूजा के लिए निशिता पूजा समय सबसे शुभ माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। जो कोई भी इस व्रत को करता है उसे व्रत से एक दिन पहले यानि की सप्तमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इसके बाद जन्माष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। लेकिन फलाहार ले सकते हैं। पूरे दिन व्रती व्रत रहने के बाद रात में 12 बजे विधि विधान भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इसके बाद व्रत का पारण करते हैं। वहीं कई लोग जन्माष्टमी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं।
पंचांग अनुसार इस साल श्री कृष्ण भगवान का 5251वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। मान्यताओं अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इसलिए ही हर साल इस दिन पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। जिसे कृष्णाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से जाना जाता है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से होगा और इसकी समाप्ति 27 अगस्त 2024 को 02:19 AM पर होगी।कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की रात 12 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। कृष्ण जी की पूजा के लिए निशिता पूजा समय सबसे शुभ माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है। जो कोई भी इस व्रत को करता है उसे व्रत से एक दिन पहले यानि की सप्तमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इसके बाद जन्माष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता। लेकिन फलाहार ले सकते हैं। पूरे दिन व्रती व्रत रहने के बाद रात में 12 बजे विधि विधान भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इसके बाद व्रत का पारण करते हैं। वहीं कई लोग जन्माष्टमी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं।