राजस्थान।
चूरू की सादुलपुर सीट से शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक मनोज न्यांगली के खाते से साइबर ठगों ने रुपए निकाल लिए। विधायक अपनी पासबुक में एंट्री करवाने के लिए बैंक गए तो उनको ठगी का पता चला। विधायक ने जयपुर के ज्योति नगर थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ साइबर ठगी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।
एएसआई उदयवीर सिंह ने बताया– विधायक मनोज कुमार ने साइबर ठगों के खिलाफ रिपोर्ट दी है। उन्होंने बताया- ज्योति नगर स्थित विद्युत भवन में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ब्रांच में उनका खाता है। 21 अगस्त 2024 को वह पासबुक लेकर ट्रांजैक्शन की एंट्री करवाने बैंक गए थे।
विधायक ने बताया- पासबुक में एंट्री करवाने के बाद उनको पता चला कि 4 अगस्त और 20 अगस्त को उनके खाते से दो ट्रांजैक्शन हुए हैं और करीब 90 हजार रुपए निकाले गए हैं। इस पर उन्होंने बैंक के कर्मचारी से इन ट्रांजैक्शन की जानकारी ली तो सामने आया कि उनके खाते से रुपए दूसरे खातों में ट्रांसफर किए गए हैं।
धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया
एएसआई ने बताया- खाते से रुपए निकालने का पता चलने के बाद विधायक मनोज कुमार पासबुक लेकर थाने पहुंचे और अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धोखाधड़ी की FIR दर्ज कराई। विधायक की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और विधायक के खाते की जांच शुरू कर दी है। विधायक के खाते से रुपए जिस खाते में ट्रांसफर किए गए हैं, उसकी भी जानकारी निकालने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही आरोपी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
फोटो अप्रैल 2024 का है। मनोज न्यांगली और जसवंत सिंह गुर्जर ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंद की मौजूदगी में शिवसेना (शिंदे गुट) जॉइन की थी।
बीएसपी से जीते, शिवसेना में शामिल हुए थे
बता दें कि मनोज कुमार न्यांगली ने 2023 में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के टिकट पर सादुलपुर सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। मनोज न्यांगली ने कांग्रेस की प्रत्याशी कृष्णा पूनिया को 2 हजार 475 वोट से हराया था।
चुनाव जीतने के करीब 4 महीने बाद अप्रैल 2024 में मनोज न्यांगली ने बाड़ी से बसपा विधायक जसवंत सिंह गुर्जर के साथ शिवसेना (शिंदे गुट) जॉइन कर ली थी। दोनों विधायक मुंबई में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में बीएसपी छोड़कर शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हुए थे।
साइबर क्राइम या साइबर ठगी क्या होती है?
1. SMS पर केवाईसी और दूसरे लालच देकर फ्रॉड
इन दिनों कई यूजर्स को पर्सनल लोन, KYC, बैंक ऑफर, गिफ्ट वाउचर या दूसरे लालच वाले SMS आते रहते हैं। इन मैसेज में एक लिंक दिया जाता है। मैसेज में कहा जाता है कि इस लिंक से ऑफर का फायदा उठाएं या KYC को पूरा करें। जैसे ही यूजर इस पर क्लिक करता है, उसके फोन में कोई ऐप या वायरस इंस्टॉल हो जाता है। ये आपके फोन के डेटा और बैंक से जुड़ी डिटेल आसानी से चुरा सकते हैं। इतना ही नहीं, इसी तरह से लोगों के बैंक अकाउंट तक खाली कर लेते हैं।
2. कस्टमर केयर के नाम पर भी फ्रॉड
आजकल हर प्रोडक्ट और सर्विस के लिए कस्टमर सपोर्ट उपलब्ध है। ऐसे में कोई दिक्कत होने पर लोग तत्काल कस्टमर सपोर्ट का नंबर खोजने लगते हैं। साइबर अपराधियों ने पहले से ही इंटरनेट पर कस्टमर सपोर्ट के नाम पर खुद का नंबर डाल रखा है। लोग उसे ही कस्टमर सपोर्ट नंबर समझ कर कॉल कर देते हैं। बाद में फर्जी कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव के तौर पर अपराधी उनकी पर्सनल डिटेल लेकर फ्रॉड को अंजाम देते हैं। डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन जैसे- गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के सबसे ज्यादा फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर इंटरनेट पर डाले गए हैं, जिससे कस्टमर खुद साइबर अपराधियों तक पहुंच रहे हैं।
साइबर ठगी होने पर क्या करें
यदि किसी के साथ साइबर ठगी होती है तो सबसे पहले उसे ऑनलाइन पोर्टल cybercrime.gov.in पर लॉग-इन कर शिकायत दर्ज करवानी होगी और टोल फ्री नंबर 1930 पर सूचना देनी होगी। टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराने के बाद पीड़ित को वारदात के डेढ़ से दो घंटे में संबंधित थाने पर पहुंचकर अपनी शिकायत बतानी चाहिए। अब हर थाने में साइबर अपराध रोकने से जुड़े कुछ पुलिसकर्मी भी तैनात किए हैं। जल्दी शिकायत मिलने पर पुलिसकर्मी अपने सिस्टम के माध्यम से ठगी कर निकाली गई रकम को वापस रिकवर करने में जुट जाते हैंलन करेंगे।