आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश

व्यक्ति को समुद्र की तरह शांत और गंभीर होना चाहिए – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती

 

मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
सोमवार को धर्मसभा में स्वामी श्री आनन्द स्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि समुद्र से हमें कई प्रकार की शिक्षा और ज्ञान मिलता है जिसे हमें हमारे जीवन में उतारना चाहिए। समुद्र मौन रहता है प्रसन्न रहता है गंभीर रहता है और अपने अंदर बहुत गहराई समायें रखता है। आपने कहा कि व्यक्ति को भी समुद्र से सिखते हुए मौन रहना चाहिए जीतना आवश्यक हो उतना ही बोलना चाहिए अनावश्यक नहीं बोलना चाहिए। ज्यादा बोलने वाले व्यक्ति की कद्र भी नहीं की जाती है। स्वामी जी ने बताया कि समुद्र प्रसन्न रहता है जब उसके ज्वार भाटा आते है तो लगता है कि समुद्र कितना प्रसन्न है हमे भी जीवन में प्रसन्नता रखना चाहिए समुद्र गंभीर होता है अपने अंदर गहराई समाए रखता है हमें भी अपने जीवन में गंभीर होना चाहिए।
स्वामी जी ने बताया कि महात्माओं को कभी क्रोध नहीं आता वे सभी में ईश्वर इच्छा को मानते है महात्मा भी बहुत गंभीर और अपने अंदर अथा ज्ञान को समेटे हुए रहते है लेकिन जहां जरूरत होती है वहीं अपने ज्ञान का प्रदर्शन करते है महात्मा वहीं है जो समय आने पर अपने ज्ञान को प्रकट करें। आपने कहा कि जिस प्रकार समुद्र को पार करना कठिन है नदी को पार किया जा सकता है लेकिन समुद्र को पार करना बेहद जटिल है उसी प्रकार जीवन में भागवत कृपा को प्राप्त करना कठिन है लेकिन जो व्यक्ति ठान लेते वह भागवत कृपा को भी प्राप्त कर लेता है।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर जगदीशचंद्र सेठिया, कारूलाल सोनी, मदनलाल गेहलोत, जगदीश गर्ग,आर सी पंवार, पं शिवनारायण शर्मा, राजेश देवडा, घनश्याम भावसार, रामचंद्र कोकन्दा, बाल किशन चौधरी, भगवतीलाल पिलौदिया, राधेश्याम गर्ग, महेश गेहलोद सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे। बडी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे।

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