पृथ्वी से सहनशीलता की शिक्षा मिलती है – स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती

मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा मंदसौर पर दिव्य चातुर्मास पूज्यपाद 1008 स्वामी आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ऋषिकेश के सानिध्य में चल रहा है। स्वामी जी द्वारा प्रतिदिन प्रात: 8.30 से 10 बजे तक श्रीमद् भागवद् महापुराण के एकादश स्कन्द का का वाचन किया जा रहा है।
मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी श्री आनन्दस्वरूपानंदजी सरस्वती ने कहा कि हमें पृथ्वी से सहनशीलतो सीखना चाहिए। पृथ्वी पर हम कितने भी अत्याचार करते है लेकिन यह पृथ्वी बिना किसी भेदभाव के हम पालती है। आपने बताया कि हमारे जीवन में भी सहनशक्ति को बहुत महत्व है लेकिन आज कल यह देखा जा रहा है कि लोगों के जीवन में सहनशक्ति का अभाव होता जा रहा है। माता पिता बच्चों को कुछ कह दें तो विष पी लेते है ऐसे तो आजकल चल रहा है इसलिए हमें पृथ्वी से सहनशक्ति की शिक्षा लेना चाहिए।
आपने बताया कि वायु से हमें एक समान बनें रहने की शिक्षा मिलती है वायु में गंधक भी संगत करती है तो वायु उसे अपने में मिलाकर अपने आप त्याग देती है और खुशबु को भी अपने अंदर लेकर उसे भी त्याग देती है अर्थात सदैव समान व्यवहार रखें। पहाडों से हमें परोपकार की शिक्षा मिलती है, पहाड हमें सदैव देते है वे कभी हमशे कुछ नहीं मांगते इसलिए पहाडों से परोपकार की शिक्षा मिलती है।
स्वामी जी ने कहा कि इंद्रियां जो चाहती है वह कभी मत करों वह करोंगे तो अस्वस्थ्यता को प्राप्त करोंगे इसलिए इंद्रियों को नियंत्रण में रखने का प्रयास करो।
कार्यक्रम के अंत में भगवान की आरती उतारी गई एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर जगदीशचन्द्र सेठिया, कारूलाल सोनी, पं शिवनारायण शर्मा, घनश्याम भावसार, दिनेश खत्री, रामचंद्र कोकन्दा, राधेश्याम गर्ग, सी एस निगम, कन्हैयालाल रायसिंघानी, घनश्याम सोनी, भगवती लाल पिलौदिया, जगदीश भावसार, महेश गेहलोद, राजेश तिवारी, राजेश देवडा, प्रवीण देवडा, आर सी पंवार, मदनलाल देवडा, प्रवीण देवडा, जगदीश गर्ग , सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।