चंबल संभागरतलाम

बजट में उठाई मांग:- बहुजन गरीब कल्याण योजना लागू करो

 

बहुजनों यानी SC, ST, OBC वर्गों के 10 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को चिन्हित करके उन्हें एक लाख रुपए प्रति परिवार सालाना दिए जाएं।

 

आजादी के 77 साल के बाद भी देश का बहुजन- SC, ST, OBC वर्ग अत्यंत गरीबी के हालात में घुटन का जीवन जीने के लिए मजबूर है। तमाम योजनाओं के बावजूद भी हम अपने इन वर्गों को देश की मुख्य धारा और संसाधनों में उचित हिस्सेदारी नहीं दिलवा पाएं हैं। इस बजट में समाज कल्याण एवं अधिकारिता मंत्रालय का बजट मात्र 13000 करोड़ रुपए है, जो कुल बजट का मात्र 0.27% है, जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट भी 13000 करोड़ रुपए है। इसे भी जोड़ लें तो दोनों का मिलाकर 26000 करोड़ रुपए बनता है जो कुल बजट 48.20 लाख करोड़ रुपए का लगभग 0.54% ही है। जबकि इन वर्गों की जनसंख्या में 80% से ज्यादा हिस्सेदारी है। ये सरासर अन्याय है जिसे बहुजन समाज अब और सहन नहीं करेगा। इन वंचित वर्गों के लिए अब कुछ बहुत बड़ा करना होगा।

मेरा प्रस्ताव है कि इन वर्गों के आर्थिक उत्थान के लिए सरकार एक बड़ी योजना की घोषणा करे। इस योजना में बहुजनों यानी SC, ST, OBC वर्गों के 10 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को चिन्हित करके उन्हें एक लाख रुपए प्रति परिवार सालाना दिए जाएं। इस योजना पर कुल 10 लाख करोड़ रुपए का खर्चा सालाना आएगा। जो इस बजट का लगभग 20% प्रतिशत होगा परंतु फिर भी यह इन वर्गों की 80% जनसंख्या के अनुपात में यह बहुत कम होगा परंतु एक शुरुआत इससे की जा सकती है। इस क्रांतिकारी योजना से SC, ST, OBC वर्ग के इन करोड़ों परिवारों को आत्मसम्मान का जीवन अवश्य मिल जाएगा।

 

अब आप प्रश्न ये पूछेंगे कि यह पैसा कहां से आएगा। पिछले दस सालों में ही धन्नासेठो का 16 लाख करोड़ रुपया माफ कर सकते हो, कॉरपोरेट टैक्स घटाकर लाखों करोड़ रुपए का चूना सरकारी खजाने को लगा सकते हो, PLI स्कीम के नाम पर लाखों करोड़ रुपए कॉरपोरेट घरानों पर लुटा सकते हो, उन्हें इंसेंटिव के नाम पर तरह-तरह की छूट दे सकते हो, पिछले 10 सालों में लगभग 120 लाख करोड़ रुपए का कर्जा ले सकते हो, पेट्रोल डीजल पर दस गुना तक एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर वसूली कर सकते हो, RBI से लाखों करोड़ रुपए का डिविडेंट ले सकते हो तो गरीबों को पैसा क्यों नहीं दे सकते।

 

आज हमारी अर्थव्यवस्था मांग की कमी से जूझ रही है। यदि 10 लाख करोड़ रुपया गरीब बहुजन परिवारों को मिलेगा तो इससे अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी, इससे निवेश बढ़ेगा, रोजगार बढ़ेगा और अंततः सरकार का टैक्स भी बढ़ेगा।

 

एक लाख रुपए सालाना मिलने से एक झटके में ये 10 करोड़ परिवार गरीबी रेखा से ऊपर आ जाएंगे, इनके बच्चों में कुपोषण खत्म होगा, इन्हें अच्छी शिक्षा मिलेगी, महिलाओं को एक सम्मानजनक जीवन मिलेगा। इससे वास्तव में सबका साथ, सबका विकास का नारा सार्थक होगा। इससे परम् पूज्य बाबा साहेब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी के समतामूलक समाज के सपने को साकार करने में भी मदद मिलेगी।

अब चंद लोगों की तराजू से देश के संसाधन नहीं बंटेंगे। अब संसाधनों का बंटवारा संख्या के आधार पर होगा।

ना तो अब ‘वोट हमारा, राज तुम्हारा’ चलेगा, और ना ही ‘वोट हमारा, नोट तुम्हारा’ चलेगा।

प्रसंग अंबेडकरवादी भीम आर्मी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) राष्ट्रीय अध्यक्ष नगीना सांसद एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद

                           उप सरपंच मुकेश सूर्यवंशी ग्राम पंचायत गलियारा M.p

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