सनातन धर्म की अगर रक्षा चाहते हो तो अन्तर्जातीय विवाह से बचें -स्वामी श्री यज्ञ मणि महाराज
सनातन धर्म की अगर रक्षा चाहते हो तो अन्तर्जातीय विवाह से बचें -स्वामी श्री यज्ञ मणि महाराज
पालसोड़ा-श्रीमद् भागवत में वर्णित ओम नमो भगवते वासुदेवाय भक्ति का महामंत्र है इसी महामंत्र का जाप करते हुए बालक द्रोण भगवान श्री विष्णु को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न कर संसार में सर्वाधिक अलभ्य अचल पद प्राप्त किया था। स्वामी यज्ञमणि महाराज मैं उक्त विचार ग्राम पालसोड़ा में दहिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव तृतीय दिवस पर कहीं आगे श्री स्वामी ने राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति तथा सुरुचि एवं बालक ध्रुव की कथा के सरस वर्णन में श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। ध्रुव चरित्र वर्णन के साथ आज की कथा में शिव और सती के विवाह, भगवान श्री विष्णु के वामन अवतार श्री कृष्ण जन्म, प्रभु श्री राम जन्म के साथ गजेंद्र मोक्ष वाली गज और ग्राह की कथा का भी विशद वर्णन किया। स्वामी यज्ञमणि महाराज ने आगे कहा कि सनातन धर्म की रक्षा अगर आप चाहते हो तो सबसे पहले वर्ण विवाह की व्यवस्था की रक्षा करनी पड़ेगी। तभी सनातन धर्म बच पाएगा। इसलिए जिसकी सनातन धर्म में निष्ठा है वह प्रयास करें कि वर्ण व्यवस्था नष्ट ना हो। और प्रयास करें कि अन्तर है जातिय विवाह से बचें। अन्तर्जातीय विवाह के कई दुष्परिणाम है जिसे हमें हमारे समाज को बचाना है अपने-अपने वर्ण के अनुसार ही विवाह करने चाहिए तभी हम सनातन धर्म को बचा पाएंगे। स्वामी जी ने इस अवसर पर उपस्थित जन समूह को कई वृतांत बताएं। एवं विस्तार पूर्वक समझाएं। दहिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा की अमृत वर्षा प्रतिदिन 11 से 3 बजे तक भैषासरी माताजी के मंदिर पर हो रही है। आसपास क्षेत्र के सभी भक्त जन अधिक से अधिक संख्या में पधारे एवं श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा का अमृत रसपान करें। स्वामीजी श्री यज्ञमणि जी महाराज के जन्म दिवस पर बधाई देनेवाले भक्तजनों की भीड़ उमड़ी बधाई दी एवं गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया।