जो पाप करता है उसे सजा अवश्य मिलती है, भीष्म पितामह को 73 वे जन्म में बाणों कि शय्या पर सोने कि सजा भूगतना पड़ी – पं श्री शास्त्री जी
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सीतामऊ। श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिवस कि कथा का ज्ञानामृत पान कराते हुए पं भीमाशंकर जी शास्त्री ने कहा कि अधर्म गलत संगत गलत आचरण दुराचार यह पाप है और पाप का बाप लोभ है पाप का हमारे शरीर में प्रवेश आंखों से देख कर गलत भाव लाने का मार्ग हैं।
श्री शास्त्री जी ने ने कहा कि भागवत में पाप का वर्णन है कि एक लोमस नाम के ऋषि है जिन्होंने 88 वर्ष तप आयु पूर्ण कर उन्होंने मछली के जोड़े को देखा। उनके आस पास मछली के बच्चे घुमते देखा। और उनके मन में अपनी शादी परिवार होने के भाव जागृत हुए। और सोचने लगें कि ऐसा मेरा भी परिवार हो कितना आनंद आएं। उन्होंने अपने साधना से जवान शरीर बना लिया। और विवाह के लिए तैयार हो गये। कहने का अभिप्राय है कि जब भी आंखें देखें और मन गलत सोचे राधा और कृष्ण सांवरे को याद कर लेना उसकी छवि को निहारते हुए कहना कि भगवान से बढ़कर कोई सुंदर नहीं है।नहीं तो यह पाप कहा ले जा सकता है कुछ नहीं कह सकते हैं। आम आख ने देखा तो आंसु भी आंख में ही आएंगे। कोई लाख करें चतुराई करम का लेख मिटे ना भाई रे।
भागवत में कहा कि 73 जन्म पहले भीष्म पितामह ने नाग को कांटों पर फेंक दिया निर्दोष नाग को 6 माह तक कांटों पर रहने के बाद मृत्यु हो गई। उसी का पाप उनको 72 जन्म तो पूण्य से कट गये पर 73 वे जन्म में उनको बाणों कि शय्या पर सोना और पाप का प्रायश्चित करना पड़ा।भीष्म पितामह 58 दिन तक बाणों की शैय्या पर लेटे रहे थे।
इस अवसर पर पं श्री शास्त्री जी ने पांच मंदिरों पर कलश स्थापना पधारें आचार्य ब्राह्मण यजमान दानदाता का व्यास पीठ से अभिनंदन किया। इनमें हनुमान जी और भोले नाथ का अति प्राचीन मंदिर है कब किसने बनायें यह किसी को पता नहीं है पर कलश कि कमी से मंदिर अधुरे लग रहें थे आज कलश स्थापना के साथ मंदिर पूर्ण हुए।
श्री शास्त्री जी ने आगे कथा श्रवण कराते हुए कहा कि हर घर में तुलसी माता होनी चाहिए। जहां तुलसी शालीग्राम भगवान गौ माता है वहां विपदा कभी नहीं आती है। ये परिवार कि आदि व्याधि सभी विपदाएं हर लेती है।
श्री शास्त्री जी ने आडंबर दिखावा करने वाले को लेकर कहा कि एक पंखा दान करते हैं पर पूरे पर अपना नाम लिखा देते हैं।पर यह नहीं समझ रहे कि सब इसका ही है हम तो निमित्त मात्र हैं। उसने जैसा हमें दिया वैसा हमें देना है हम तो केवल एक माध्यम है।
श्री शास्त्री जी ने कहा कि अजामिल नामक एक डाकू ने जीवन भर पाप किया पर उसने अपने बेटे का नाम नारायण रख लिया और उसी नारायण से वह तर गया। अजामिल के आठ संतानों के कुछ भी नाम थे पर नौ वी संतान का नाम नारायण था और उसी नारायण व उसके नाम से वह भगवान नारायण के धाम को प्राप्त हो गये।
श्री शास्त्री जी ने कहा कि अपनी बेटे बेटियों के नाम कुछ मत रखिए, अपने शास्रों में एक से बढ़कर एक कई नाम है। शास्त्री जी ने कहा कि बरसाने का एक मुसलमान बुलाक खान है जिसने अपनी बेटी का नाम राधा रखा।बुलाखखान सारंगी बजाता और बेटी राधा नृत्य करती जो पैसा आ जाता उससे अपनी आजीविका चलाते थे। एक बार अचानक राधा कही चली गई कोई पता नहीं चला बुलाकखान रोते रोते राधा राधा पुकारने लगा उसके भाव से प्रसन्न होकर राधा रानी स्वयं उसकी बेटी बनकर आई और कहा कि में तेरी राधा बेटी आ गई हूं।आज भी बरसाने में बुलाक सखी का चबूतरा बना हुआ है। बेटे बेटियों का अच्छा नाम रखने से ही उद्धार हो जाता है।
श्री शास्त्री जी ने कहा कि भगवत भक्ति करते रहना चाहिए बुढ़ापे में करने कि सोचने वाले का कब मन कहा उलझ जाए पता नहीं चलता है।
पं श्री शास्त्री जी ने कहा कि जीवन में गुरु को कभी नाराज़ तिरस्कार अवेहलना नहीं करना चाहिए। रामचरित मानस के 107-08 वें दोहे में लिखा है कि गुरु के आने पर शिष्य ने सम्मान नहीं दिया महादेव नाराज हो गए और उन्होंने शिष्य को सर्प बनकर वृक्ष कि कोटर में पड़े रहने का श्राप दे दिया।गुरु का अपमान होने पर इंद्र को अपना सिंहासन छोड़कर भागना पड़ा। राक्षसों ने उन्हें भगा दिया।
श्री शास्त्री जी ने देश हुए पेपर लीक घोटाले को लेकर कहा कि बच्चे रात दिन मेहनत कर परिक्षा देते हैं और फिर पेपर लीक कर दें तो उनके उपर क्या गुजरती होगी।पेपर लीक करने वाले को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। श्री शास्त्री जी ने कहा कि आप योगी बनो न बनो पर उपयोगी जरुर बन जाना। आप शासन में रहो न रहो पर अनुशासन में रहना चाहिये। जो अनुशासन हिनता करें उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए।
शास्त्री जी ने विधायक श्री डंग कि प्रसंशा करते हुए कहा कि ये वह डग है जो अपने कामों से डिगते नहीं। जो ठान लेते वो करवा देते हैं। आपने गौ शाला खुलवाने कि बात रखी और पूरे मध्यप्रदेश में गौ शाला खुल गई। हमारे एक छोटे-से आग्रह पर गौ शाला कि जगह कोटेश्वर में गौ अभ्यारण्य कि सौगात दिलाईं। अभी इसमें बहुत काम बाकी है।
इस अवसर पर पोरवाल समाज सीतामऊ अध्यक्ष श्री मुकेश कारा संरक्षक डॉक्टर गोवर्धन लाल दानगढ़ सचिव कैलाश घाटिया काका उपाध्यक्ष राधेश्याम घाटिया डॉ राजमल सेठिया रोहित गुप्ता आदि ने शास्त्री जी को फुल माला पहनाकर शाल श्रीफल भेंट कर वंदन किया।
शास्त्री जी ने सूर्यनगर अफजलपुर से आएं सैनिकों पूर्व सैनिकों तथा सीतामऊ पोरवाल समाज का अभिनंदन किया।