मंदसौरमंदसौर जिला
देव, गुरू, धर्म की अवहेलना कभी मत करो, ज्ञान दर्शन चारित्र का महत्व समझो- योग रूचि विजयजी म.सा.

मन्दसौर । जैन धर्म व दर्शन में गुरू व धर्म की विशिष्ट महत्ता बताई गई है। जैन शास्त्रों का स्पष्ट मत है कि देव, गुरू व धर्म की अवहेलना कभी नहीं करनी चाहिये अर्था हमें तीर्थंकरों के बताये मार्ग पर चलना चाहिये, गुरू की आज्ञा का पालन करना चाहिये तथा धर्म की कभी निंदा नहीं करना चाहिये। जो भी ऐसा कर्म करते है उन्हें जीवन में पछताना पड़ता है।
उक्त उद्गार परम पूज्य जैन संत पन्यास प्रवर योग रूचि विजय जी म.सा. ने आराधना भवन नईआबादी के हॉल में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने गुरूवार को यहां आयोजित धर्मसभा में आचार्य हरिभद्रसूरिश्वरजी म.सा. ने परम हंस व उसके भाई जो की दोनों ही गुरू भक्त थे उनका वृतान्त श्रवण कराते हुए कहा कि जीवन में कभी भी गुरू की आज्ञा की अवहेलना मत करो। गुरू जो कार्य करने की मना करे वह मत करो। बार-बार गुरू की आज्ञा की अवहेलना करोगे तो जीवन में विवेक खो दोगे और तुम्हारे पास पछताने के अलावा कुछ नहीं रहेगा। गुरू आज्ञा तीर्थंकरों की आज्ञा के समान महत्वपूर्ण हैं यदि उसकी अवहेलना होगी तो आपका बल, बुद्धि व धन कम या नष्ट हो सकता है। आपने कहा कि भगवान महावीर से गौथालक शत्रुता रखता था उसे तीर्थंकर भगवान की आज्ञा से विमुख होने के कारण मृत्यु को प्राप्त होना पड़ा इसलिये जीवन में तीर्थंकरों ने हमें जो मार्ग बताया है उस पर शंका मत करो। आपने कहा कि रीपाल सुंदरी के वृतान्त में श्रीपाल का जो चरित्र है वह भी हमें गुरू भक्त बनने की प्रेरणा देता है। गुरू की अवज्ञा के कारण श्रीपाल को कई वर्षों तक कष्ट सहन करने पड़े तथा उसे कुष्ठ रोग से भी पीड़ित होना पड़ा। इसलिये गुरू का अपमान कभी मत करो।
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श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में हुये नवकार महामंत्र के जाप, बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने की सहभागिता
मन्दसौर। स्थानकवासी जैन समाज में चातुर्मास के उपलक्ष्य में विविध धार्मिक गतिविधियां आयोजित हो रही है। नईआबादी शास्त्री कॉलोनी स्थित जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. आदि ठाणा 4 चातुर्मास हेतु विराज रही है। प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक साध्वीजी के प्रवचन हो रहे है। साध्वीजी की प्रेरणा व पावन निश्रा में प्रतिदिन प्रवचन में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकायें आ रहे है और साध्वीजी के मुखारविन्द से प्रवचन श्रवण कर धर्मलाभ ले रहे है। कल गुरूवार को प्रातः 9 से 10 बजे तक प्रवचन समय में नवकार महामंत्र के जाप का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में धर्मालुजनों ने सहभागिता की। जाप के उपरांत श्रीमती सागरबाई स्व. शांतिलालजी रांका परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई।
जाप के उपरांत साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने कहा कि नवकार महामंत्र संसार का श्रेष्ठ मंत्र है जो भी व्यक्ति पूरे मनोभाव से इसका जाप करता है वह मनोवांछित फल पाता है लेकिन आवश्यकता पूर्ण समर्पण भाव से जाप करने की है। जैसे अन्न का प्रत्येक कण हमारे शरीर को पौष्टिक करता है, उसी प्रकार नवकार महामंत्र का प्रत्येक अक्षर इतना प्रभावशाली है कि वह हमारे कई जन्मों के पापकर्म को क्षय करने की शक्ति रखता है। नवकार महामंत्र के जाप से हम पर आने वाली विपदाएँ टल जाती है। इसलिये इस महामंत्र को श्रद्धापूर्वक जप करना चाहिये।
1 अगस्त को भक्ताम्बर के जाप होंगे- साध्वी श्री चंचलाश्रीजी म.सा. ने कहा कि अगले गुरूवार 1 अगस्त को भक्ताम्बर के जाप प्रातः 9 से 10 बजे तक जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में होंगे। सभी धर्मालुजन जाप में भागीदारी कर धर्मलाभ लेवे।
उक्त उद्गार परम पूज्य जैन संत पन्यास प्रवर योग रूचि विजय जी म.सा. ने आराधना भवन नईआबादी के हॉल में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने गुरूवार को यहां आयोजित धर्मसभा में आचार्य हरिभद्रसूरिश्वरजी म.सा. ने परम हंस व उसके भाई जो की दोनों ही गुरू भक्त थे उनका वृतान्त श्रवण कराते हुए कहा कि जीवन में कभी भी गुरू की आज्ञा की अवहेलना मत करो। गुरू जो कार्य करने की मना करे वह मत करो। बार-बार गुरू की आज्ञा की अवहेलना करोगे तो जीवन में विवेक खो दोगे और तुम्हारे पास पछताने के अलावा कुछ नहीं रहेगा। गुरू आज्ञा तीर्थंकरों की आज्ञा के समान महत्वपूर्ण हैं यदि उसकी अवहेलना होगी तो आपका बल, बुद्धि व धन कम या नष्ट हो सकता है। आपने कहा कि भगवान महावीर से गौथालक शत्रुता रखता था उसे तीर्थंकर भगवान की आज्ञा से विमुख होने के कारण मृत्यु को प्राप्त होना पड़ा इसलिये जीवन में तीर्थंकरों ने हमें जो मार्ग बताया है उस पर शंका मत करो। आपने कहा कि रीपाल सुंदरी के वृतान्त में श्रीपाल का जो चरित्र है वह भी हमें गुरू भक्त बनने की प्रेरणा देता है। गुरू की अवज्ञा के कारण श्रीपाल को कई वर्षों तक कष्ट सहन करने पड़े तथा उसे कुष्ठ रोग से भी पीड़ित होना पड़ा। इसलिये गुरू का अपमान कभी मत करो।
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श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में हुये नवकार महामंत्र के जाप, बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने की सहभागिता
मन्दसौर। स्थानकवासी जैन समाज में चातुर्मास के उपलक्ष्य में विविध धार्मिक गतिविधियां आयोजित हो रही है। नईआबादी शास्त्री कॉलोनी स्थित जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. आदि ठाणा 4 चातुर्मास हेतु विराज रही है। प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक साध्वीजी के प्रवचन हो रहे है। साध्वीजी की प्रेरणा व पावन निश्रा में प्रतिदिन प्रवचन में बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकायें आ रहे है और साध्वीजी के मुखारविन्द से प्रवचन श्रवण कर धर्मलाभ ले रहे है। कल गुरूवार को प्रातः 9 से 10 बजे तक प्रवचन समय में नवकार महामंत्र के जाप का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में धर्मालुजनों ने सहभागिता की। जाप के उपरांत श्रीमती सागरबाई स्व. शांतिलालजी रांका परिवार की ओर से प्रभावना वितरित की गई।
जाप के उपरांत साध्वी श्री रमणीककुंवरजी म.सा. ने कहा कि नवकार महामंत्र संसार का श्रेष्ठ मंत्र है जो भी व्यक्ति पूरे मनोभाव से इसका जाप करता है वह मनोवांछित फल पाता है लेकिन आवश्यकता पूर्ण समर्पण भाव से जाप करने की है। जैसे अन्न का प्रत्येक कण हमारे शरीर को पौष्टिक करता है, उसी प्रकार नवकार महामंत्र का प्रत्येक अक्षर इतना प्रभावशाली है कि वह हमारे कई जन्मों के पापकर्म को क्षय करने की शक्ति रखता है। नवकार महामंत्र के जाप से हम पर आने वाली विपदाएँ टल जाती है। इसलिये इस महामंत्र को श्रद्धापूर्वक जप करना चाहिये।
1 अगस्त को भक्ताम्बर के जाप होंगे- साध्वी श्री चंचलाश्रीजी म.सा. ने कहा कि अगले गुरूवार 1 अगस्त को भक्ताम्बर के जाप प्रातः 9 से 10 बजे तक जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में होंगे। सभी धर्मालुजन जाप में भागीदारी कर धर्मलाभ लेवे।