श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर जनकूपुरा के संबंध में न्यायलय ने दिया अहम फैसला

मंदसौर :- पिछले पांच सालो से मंदिर के बाहर अतिक्रमण और मंदिर के अंदर पुजारी की मनमानी और मंदिर में लेकर अनियमितता की शिकायते चल रही थी जो तहसील ऑफिस से लेकर नगर पालिका और एस डी एम ऑफिस कलेक्टर ऑफिस और न्यायलय तक चली गई ! अतिक्रमणकर्ताओं को बचाने के लिए मंदिर पुजारी व अतिक्रमणकर्ताओं के साथ कुछ धर्म विरोधी लोगो ने प्रशासन के ऊपर राजनेतिक दबाव बनवा कर दबा देते थे और नगर पालिका पुलिस और जिला प्रशासन को अपना काम नही करने देते थे यहां तक कि मंदिर के गर्भ गृह के पीछे दीवाल पर बने सार्वजनिक पेशाब घर व मंदिर परिसर में बने लेट बाथ तक को हटाने नही देते थे लेकिन सनातन धर्म में लिखा है कि जो व्यक्ति सत्य की लड़ाई लड़ेगा उसके सारथी स्वयं माधव बनेंगे मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जिन जिन नेताओं और व्यक्तियों ने मंदिर के खिलाफ और पुजारी और अतिक्रमणकर्ताओ के पक्ष में फोन लगाया और अधिकारियों को कार्यवाही नही करने को कहा वो सभी लोग अपने जीवन का अगला चुनाव हार गए या कुछ को जैल में रहना पड़ा जिसमे कुछ पार्षद और नगरपालिका अध्यक्ष से लेकर विधायक जैसे व्यक्ति भी रहे जिन अधिकारियों ने पैसे लेकर व किसी ने भाउकता में और रिश्ते नाते की कहानियों पर भरोसा कर कर मंदिर के खिलाफ कार्य किया उन्हें भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा
अब निर्णय के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु -(1 )मंदिर के बाहर बनी दुकानें नगर पालिका की भूमि पर है जिसे नगर पालिका अपने अधिपत्य में ले (2) मंदिर शासन द्वारा संधारित है और प्रबंधक कलेक्टर महोदय हे (3) पुजारी ने आज तक जितना भी किराया लिया है उसका हिसाब लेकर वसूली की जावेगी क्योंकि मंदिर के बाहर दुकानों के अलावा मंदिर परिसर में रह रहे किराया दार परिवारों के अलावा अन्य संपत्ति से भी पुजारी ने मोटी रकम वसूली है उन सब की भी वसूली की जावेगी (4) प्रदीप पिता नेमीचन्द्र जैन को नल कनेक्शन दिलाने के लिए पुजारी ने शपथ पत्र में दुकान को अपने स्वामित्व की बताई थी पुजारी को झूठा शपथ पत्र देने का आरोपी माना गया और लिखा प्रमोद खीरे स्वामी नही है (5) मंदिर भी राजस्व रिकार्ड में नगरपालिका भूमि स्वामी दर्ज है इसका मतलब यह हुवा की मंदिर की जनकुपूरा में जितनी भी संपत्ति है उसकी मालिक नगर पालिका है (6) और दुकान दारो से भी किराया वसूल किया जा सकता है…!