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श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में सतगुरु टेऊराम चालीहा महोत्सव का हो रहा है आनन्द….


संत समागम तब मिले,जबही जागे भाग। कह टेऊॅ सत्संग बिन, होते न हरि अनुराग ।।
जीवन में प्रसन्नता के लिए योग का माध्यम ही सर्वश्रेष्ठ हैं -योग गुरु सुरेन्द्र जैन

मन्दसौर। सिन्धी हिन्दू समाज की प्रमुख धर्मपीठ श्री प्रेमप्रकाश पंथ की प्रमुख धर्मपीठ मदसौर शाखा श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में सनातन धर्म के प्रवर्तक मंगलमूर्ति आचार्य सदगुरू स्वामी टेऊँराम महाराज के 138 वें जन्म दिवस के अंतर्गत 1 जून  से 11 जून तक सद्गुरू टेऊँराम चालीहा महोत्सव के अन्तर्गत बड़े ही श्रद्धा, समर्पण, उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जा रहा है। प्रतिदिन शाम 5 से 7 बजे तक गुरू दरबार श्री प्रेमप्रकाश आश्रम में संगत उमड़ रही है और महिला मण्डल की प्रमुख श्रीमती पुष्पा पमनानी व महिला मण्डली प्रेमप्रकाश ग्रंथ एवं श्रीमद् भगवत गीता की अमृतमयी वाणी के सत्संगो कि वर्खा कर रही है।
इस आशय की जानकारी श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शिवानी ने देते हुए बताया कि चालिहा महोत्सव के अन्तर्गत 28वें दिवस सिन्धु महल के झूलेलाल धाम मन्दिर में तो 31वंे दिवस भगवान श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में नमः शिवाय एवं सतनाम साक्षी के उदघोष के साथ दादी पुष्पा पमनानी के साथ महिला मण्डली ने संगत की सत्संग के माध्यम से प्यास बुझा दी तो वहीं 3 जून व चालिहा महोत्सव के 33 वे दिवस गुरू दरबार के सत्संग हाल में खचाखच संगत को सत्संग के साथ-साथ दशपुर योग संस्था के संस्थापक अध्यक्ष योग गुरु श्री सुरेन्द्र जैन का प्रेरणा दायक उद्बोधन मिला। आपने मानव जीवन में योग के महत्व को अत्यंत ही सरल भाषा में समझाया और कहा कि आपको अपने जीवन सहज रहना चाहिए परम परमात्मा ने प्रत्येक प्राणी,को अपने जीवन में सहन शक्ति प्रदान की है, आपको केवल उसकी पहचान कर कद्र  करना चाहिए। आपको हमेशा अपने आप से प्रसन्न रहना चाहिए इसके लिए योग का माध्यम ही सरल, सहज व श्रेष्ठ है। योग गुरु श्री सुरेन्द्र जैन द्वारा नगर में योग के माध्यम से अपनी सेवाओं के लिए आपकि उपस्थिति संगत ने प्रसंशा कि और दादी पुष्पा पमनानी ने श्रीमती सोरभ व सुरेन्द्र जैन को आशीर्वाद कि पखर प्रसाद देकर सम्मानित किया व संस्था के उपाध्यक्ष जितेश फरक्या व प्रिया फरक्या, कोषाध्यक्ष प्रीति जैन, सचिव लोकेंद्र जैन का भी सम्मान कर स्वागत किया।
दादी पुष्पा पमनानी ने अपने मुखारविंद से अपनी अमृतमयी वाणी में कहा कि युग पुरुष सतगुरु स्वामी टेऊराम जी महाराज का चालीहा उत्सव के शुभ दिवस चल रहे है। इन दिनों में संगत के श्रद्धालु सदगुरू व भगवान की कामना करके जो भी आराधना, साधना व तपस्या करते है वो अवश्य पूर्ण होती है। टेऊँराम जी महाराज की माता कृष्ण ने भी साधुओं के वेश में पधारे, भगवान के वरदान से 40 दिवस तक भगवान शिवशंकर के प्रति व्रत रखकर आराधना की थी कि योगिया मेरी कोख से का अवतार हो उसका परिणाम था कि भगवान स्वरूप टेऊँराम महाराज का अवतार हुआ। देश के विभाजन के पूर्व गिनती के 3-4 आश्रम ही थे किन्तु आज हमारी दूसरी बादशाही सद्गुरू स्वामी सर्वानन्द महाराज की तपस्या व मेहनत का परिणाम है जो देश विदेश के हर प्रमुख शहर में श्री प्रेमप्रकाश आश्रम की शाखा है और सनातन धर्म का खूब प्रचार कर पंथ का डंका गूंज रहा है।  आपने संगत को 40 दिवस में गुरू आराधना से मानव सेवा नर नारायण सेवा, लोभ व अहंकार त्यागने की प्रेरणा दी। आभार प्रदर्शन जेठानंद, हरीश होतवानी एवं पुरुषोत्तम भावनानी ने प्रकट किया।
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151 परिवारो में श्री प्रेम प्रकाश ग्रन्थों का चल रहा है पाठ
मन्दसौर। श्री प्रेमप्रकाश सेवा मण्डली के अध्यक्ष पुरूषोत्तम शिवानी ने बताया कि 138 वें जन्मोत्सव पर पंचम पिठाध्वेश्वर स्वामी भगतप्रकाशजी महाराज की आज्ञा, आशीर्वाद एवं प्रेरणा से मंदसौर में 151 परिवारों ने अपने-अपने निवास स्थानों पर श्री प्रेम प्रकाश ग्रन्थों की स्थापना की है। प्रतिदिन अपने परिवार के साथ इकट्ठा बैठकर सामूहिक श्रवण कर रहे है।
11 जुलाई  को आचार्य टेऊँराम महाराज के 138वें जन्मोत्सव के पावन अवसर पर 151 श्री प्रेम प्रकाश ग्रन्थों कि सामूहिक भोग सम्पन्न होगा।

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