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नवसंवत्सर विशेष : सृष्टि के नवसंवत्सर पर घरों में दीपक जलाएं, सुबह यज्ञ करके प्राणी मात्र के लिए मंगलकामना करें

नवसंवत्सर विशेष : सृष्टि के नवसंवत्सर  पर घरों में दीपक जलाएं, सुबह यज्ञ करके प्राणी मात्र के लिए मंगलकामना करें

(आर्य समाज, देहरी)
पं. नानालाल शर्मा

मंदसौर। सृष्टि का नवसंवत्सर व विक्रम संवत का नववर्ष चैत्रशुक्ल प्रतिपदा सं.2082 को आगमन हो रहा है। उसकी बधाई, स्वागत। प्राणी मात्र के लिए परमात्मा से मंगलकामना करते है। ऐसे पुनीत अवसर की पूर्व संध्या में घरों में दीप जलाएं व प्रात: सृष्टि संवत्सर का १९७२९४९१२७वां वर्ष, कलिकाल का संवत् ५१२६वां, विक्रम संवत का २०८२, शक संवत १९४७ का स्वागत बड़ी ही आत्मीयता, हर्ष गौरव व सौहार्द पूर्ण मनोभाव से चैत्र (मधु) माह, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा रविवार मेष सक्रांति तदनानुसार 30 मार्च 2025 को आगाह व अपेक्षा के साथ स्थानीय स्तर पर धार्मिक, सार्वजनिक, आर्यसमाज, चौपाल या अपने घरों में ओ३म् की पावन पताकाएं फहराएं। दरवाजों पर आम्रपत्तों का वंदनवार- स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। घरों में देशी गाय के गोबर से लीपकर वैदिक यज्ञ करें। बड़े- बूढ़ों से आशीर्वाद प्राप्त कर अनुजों के लिए मंगलकामना करते हुए विशेषकर कन्याओं के चरण छूकर उन्हें उपहार में कुछ भेंट करें। नीम के पत्ते व मिश्री का प्रसाद वितरण करें।
ऐसे सृष्टि संवत् की कुछ विशेषताएं निम्नानुसार है :- यह सृष्टि संवत् केवल हिंदूओं का नववर्ष ही नहीं है, यह न तो प्राचीन काल का, न अर्वाचीन काल का है। यह तो सनातन काल का सृष्टि रचना काल का संम्वत्सर है। वेद, ज्योतिष्य शास्त्रों के प्राचीन ग्रंथों, हेमाद्रि व वाल्मिकी रामायण आदि के प्रमाणानुसार मधु (चैत्र) माह शुक्ल प्रतिपदा मैथुनी सृष्टि का प्रथम दिन है। वेदादि शास्त्रों के संपूर्ण सृष्टि का एक हजार चर्तुयुगी यानी सतयुग १७२८००० वर्ष + त्रेतायुग १२९६००० + द्वापर युग ८६४००० वर्ष + कलियुग ४३२००० वर्ष, कुल ४३,२०,००० के छ: चतुर्युगी में जड़ादि सृष्टि व बाद में ९९४ चतुर्युगी मानव (मैथुनी) सृष्टि का निर्माण होता है। इस प्रकार जड़सृष्टि ६× ४३,२०,००० =२,५9,२०,००० वर्ष और मानव सृष्टि ९९४× ४३,२०,००० = ४,२९,४०,८०,००० दोनों मिलकर ४,३२,००,००,००० वर्ष हुए यानी एक हजार चतुर्युगी में ४,३२,००,००,००० वर्ष हुए यानी एक हजार चतुर्यगी में ४,३२,००,००,००० वर्ष का दिन सृष्टि सर्जन और इतने वर्षो का प्रलय यानी रात होती है। अर्थात ८,६४,००,००,००० वर्ष होते है।

मानव सृष्टि में 14 मन्वन्तर होते है। 1. स्वायम्भुव, 2. स्वरोचिस, 3. औत्तामी, 4. तामस, 5. रैवत, 6. चाक्षुष, 7. वैवस्वत, 8. दक्ष सावर्णि, 9. ब्रह्म सावर्णि,10. धर्म सावर्णि, 11. मेरू सावर्णि, 12. रूद्र सावर्णि, 13. रुचि सावर्णि, 14. भौम।
वर्तमान में सातवां मन्वन्तर वैवस्वत की 28वीं चौकड़ी चल रही है। वेदाड्ंक संवत्सर का परिवत्सर और बार्हस्पत्य संवत्सर का सिद्धार्थी संवत्सर चल रहा है। स्मरण रखने योग महत्वपूर्ण सिद्धांत है कि एक मन्वन्तर में ७१ चतुर्युगी का समय होता है और एक संपूर्ण सृष्टि की १००० चतुर्युगी की हाेती है। वर्तमान मन्वन्तर सृष्टि की कालगणना सम्प्रति चैत्र (मधु) शुक्ल प्रतिपदा वि.सं. 2082 रविवार से पहिले छ: मन्वन्तर व्यतीत होकर सातवें मन्वन्तर (वैवस्वत) की भी २७ चतुर्युगी (११६६४०००० वर्ष) समाप्त होकर 28वें चतुर्युगी का सत- त्रैता- द्वापर के ३८८८००० वर्ष के बाद कलि के ५१२६ वर्ष बीत चुके है। सृष्टि का शेष काल ४३२००००००० – १९७२९४९१२६ भुक्त = २३४७०५०८७४ वर्ष शेष है। इतना विस्तृत, स्वयंभू, प्रमािणत सनातन संवत् की अगवानी चर- अचर कैसे कर रहे है। वनस्पति में नवीनतम, मौसम- सम शीतोष्ण, मधु मास, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा, अश्लेषा नक्षत्र, मेष लग्न, कोयल की कूक, पशुओं में नये बाल उग आना, सांप का केचुली बदलना, बसंत ऋतु, रबी की फसल घरों में आना, खरीफ की तैयारी करना, गुड़ी पड़वा, घट- स्थापना, चैत्र नवरात्रि, शक्ति (शस्त्र) पूजा, मंत्र व सिद्धियों के लिए साधना, व्रत- उपवास करना, शिक्षा सत्र व शासकीय बही खाता भी एक अप्रैल से बदलना। कई महापुरुषों का जन्मदिन, शौर्य दिवस, एतिहासिक तिथि, राज्याभिषेक, नवनिर्माण के शुभ मूहूर्त आदि कई विशेषताएं भरी पड़ी है। ऐसे सनातन संवत् की तुलना में अर्वाचीन संवत् की बिलकुल हाशिये पर ही है। इन अर्वाचीन संवतों में ऐसी एक भी विशेषता नहीं है। अत: विश्व के सभी प्राणी परमात्मा (अर्य) के श्रेष्ठ (आर्य) पुत्र होकर सनातन संवत्सर की अगवानी में उद्यत रहना चाहिए। फ्रांस के राजा चार्ल्स दशम ने सन् 1564 ई. में एक जनवरी को नववर्ष मनाने की राजाज्ञा जारी की। बहुतजनों ने आज्ञा का पालन किया, पर कुछ लोगों ने ऐसा नहीं किया और एक अप्रैल को नववर्ष मनाया तो ऐसे लोगों को मूर्ख (अप्रैल फूल) की उपाधि दी जाने लगी। भारत की भोली विवेक रहित जनता इसे न समझकर एक जनवरी पर काफी धन, समय व श्रम का दुरुपयोग करते है, परमात्मा उन्हें सद्बुद्धि दें।

पं नानालाल शर्मा
9009816811
गांव- देहरी, तह. दलौदा, जिला – मंदसौर।

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