नीमचमध्यप्रदेश
‘वैदिक संगोष्ठी समापन के साथ देवशिशु के निर्माता माता पिता पुस्तक का विमोचन हुआ’
उज्जैन/मंदसौर/रतलाम–दिनांक 29-06-2024 प्राध्यापक पीठ अरविंद सोसायटी उज्जैन के दो दिवसीय वैदिक संगोष्ठी के द्वितीय दिवस विषय प्रवर्तन के अवसर पर सर्व प्रथम दिव्यांश स्थान पर ध्यान उपरांत पीठ की उपादेयता एवं दिव्य स्थल की ऐतिहासिकता पर विचार किया गया।
भगवत् पाद आद्यगुरू शंकराचार्य जब वैदिक धर्म की पुर्नस्थापना के लक्ष्य से ‘’वेदोव:शिव:’’ भगवान महाकाल के आशीष प्राप्ति हेतु पधारे उस विश्राम स्थान पर वेद प्राध्यापक पीठ का निर्माण एवं महर्षि अरविंद की दार्शनिकता,रहस्योंदघाटन प्रतीकों की संस्थापना निश्चित रूप से शोध का विषय है। श्रेष्ठ भारत समर्थ भारत को साकार करने में नव पीढी की भूमिका एवं अनुभवी मार्गदर्शन का सहयोग अपेक्षित है, इसके निर्माण में ‘’ देव शिशु के निर्माता माता पिता ’’ पुस्तक विमोचन हुआ पुस्तक का योगदान समाज में संभाव्य है।
इस अवसर पर श्रीअरविंद सोसायटी उज्जैन के आद्य संस्थापक स्व.श्री सुखदेव प्रसाद जी ठाकुर साहब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बहुविध आयाम पर ऋतम उपाध्याय रतलाम द्वारा प्रकाश डाला गया।
श्रीअरविंद एवं श्रीमाँ की परम कृपा प्राप्त श्रीसुखदेव सिंह चौहान द्वारा आद्या भगवती मॉं के चर्तुयुगीन स्वरूपों का श्रीमॉं के प्राकट्य एवं उसे साक्षात् करने की अभीप्सा में श्रृद्घा एवं समर्पण की आवश्यकता को प्रतिपादित किया।
कार्यक्रम को म.प्र.ईकाई के चेयरमेन श्री मनोज शर्मा ने संबोधित करते हुए श्रीअरविंद के साहित्य एवं विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने हेतु प्राध्यापक पीठ के प्रयास की सफलता की कामना की इस अवसर पर अन्नपूर्णा प्रसादम् का शुभारंभ भी किया गया।
विषय प्रवर्तन श्री विभाष उपाध्याय द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन श्री मधुसुदन श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में आनंदमोहन पण्ड्या,राजेन्द्र शर्मा गुरू जी,मनोज जोशी,डॉ.कविता उपाध्याय,डॉ.लतिका व्यास,मुकेश व्यास,उर्वशी पण्ड्या,नीलेन्द्र निगम,संदीप याग्निक,चिमनदास लखानी,डी.पी.कौशिक श्री स्वामी जी सहित वेदानुरागी एवं श्री अरविंद के विचार एवं साहित्य के शोधकार्य में संलग्न शिक्षार्थी बडी संख्या में उपस्थित रहे। यह जानकारी पीठ निदेशक डॉ.आर.पी.शर्मा द्वारा दी गई।