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एक पंछी टावर या 875 वृक्ष, क्या लाभदायक और क्यों ये फैसला नगरवासियों का

मन्दसौर। हाल ही में पंछी बचाओ अभियान के ऊर्जावान ,जागरूक साथियों ने द्वारा पंछियों के प्रति संवेदनशीलता की भावना का परिचय देते हुवे पंछी घर (टावर) का भूमि पूजन सम्पन्न किया गया। निश्चित ही यह संस्था विगत कई वर्षों से अच्छे काम कर रही है जो सराहनीय और स्वागत योग्य है। परंतु इस टावर के निर्माण में कुछ तथ्य और वास्तविकताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
उक्त बात कहते हुए असअद अंसारी ने इस संबंध में कुछ तर्कसंगत प्रश्न किये जिसमें  दिन ब दिन बढ़ते तापक्रम में जब टॉवर का टेम्परेचर50 डिग्री के आसपास होगा पंछी इस सीमेंट कंक्रीट के घरौंदे में रह सकेंगे? जो पक्षी प्राकृतिक ए.सी. रूपी वृक्ष पर रहता है,क्या वो इस घोंसले को अपना आश्रय ग्रह बना पाएगा? इस टावर की लागत लगभग 7 लाख होगी। 7 लाख रु.के उपयोग से 800 रु.प्रति पौधे के मान से 875 पौधे लगाए जा सकते हैं जो लगभग 3 वर्ष में पेड़ का रूप ले लेते हैं। 875 पेड़ों पर औसतन प्रति पेड़ 50 पंछियों का बसेरा होता है तो 43750 पक्षियों को प्राकृतिक बसेरा मिल सकेगा।  एक वृक्ष 24 घण्टे में औसतन 60 लीटर ऑक्सीजन देता है तो 875 पेड़ों से 52500 लीटर ऑक्सीजन 24 घण्टे में प्राप्त होगी।
एक पेड़ औसतन 25  किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड सोंखता है तो 875 वृक्ष 21875 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड सोखेंगे जिससे निश्चित ही धरती का तापक्रम कम होगा। इसके अतिरिक्त वृक्षों से अनेक फ़ायदे होते है।
अंत में यह  फ़ैसला नगर के बुद्धिजीवियों और पर्यावरण प्रेमियों को पंछी बचाओ अभियान अभियान के साथियों के साथ मिल कर करना है,हाँ मगर इस सम्बंध में मन्दसौर के आदरणीय ज़िला कलेक्टर महोदय को भी संज्ञान लेना चाहिए।

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