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मुख्यमंत्री आवास योजना में हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा,नाम निरस्त करने के बाद भी कैसे मिल गया मुख्यमंत्री आवास
दोषियों व ज़िम्मेदारों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की रखी मांग
ये है घोटाला – रहवासी आलोरी गरवाडा का मुख्यमंत्री आवास ले लिया रतनगढ़ में
जावद। जावद विधानसभा में भाजपा के राज में नित नए घटनाक्रम देखने व सुनने को मिल रहे है। नगर परिषद रतनगढ़ में तो हालत ये हो रहे है की जो व्यक्ति रतनगढ़ सम्बंधित क्षेत्र का मूल निवासी नहीं है उसके बाद भी राजनीतिक दबाव व जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में अपात्र व्यक्ति को मुख्यमंत्री आवास दे दिया गया जब की पात्र लोग आवास के लिए धक्के खा रहे है। ऐसा ही मामला जावद विधानसभा के रतनगढ़ क्षेत्र में देखने को मिला। यहां राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण में अवैधानिक कार्य को वैध बताकर अपात्र व्यक्ति को मुख्यमंत्री आवास दे दिया। जिसकी शिकायत स्थानीय रहवासी दिनेश पिता लालूराम गाड़ी लोहार ने जावद क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी को करते हुए नगर परिषद रतनगढ़ तहसील सिंगोली के वार्ड क. 14 के क. 166 पर जारी मुख्यमंत्री आवास योजना 2017 के तहत राजेन्द्र पिता चुन्नीलाल चारण निवासी आलोरी गरवाडा को जारी फर्जी व अवैध पटटे का निरस्त करने की मांग के साथ ही संबंधितों के विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने की बात शिकायत में लिखी है। वहीं इस संबंध में नीमच कलेक्टर को भी शिकायत हुई है जिसमें उन्होंने जांच करवाकर उचित कार्यवाही करने की बात कही है।
ये है मामला-
शिकायतकर्ता दिनेश ने अपने आवेदन में लिखा कि प्रार्थी रतनगढ़ तहसील सिंगोली का निवासी है। प्रार्थी ने दिनांक 23/05/2023 को अनुविभागीय अधिकारी जावद को एक प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर नगर परिषद क्षेत्र रतनगढ में मुख्यमंत्री आवास योजना 2017 के तहत राजेन्द्र पिता चुन्नीलाल चारण निवासी आलोरी गरवाडा को रतनगढ के वार्ड क 14 में दिया फर्जी व अवैध पटटे को निरस्त कर आपराधिक मामला पंजीबद कराने का निवेदन किया था। इस प्रार्थनापत्र पर अनुविभागीय अधिकारी जावद ने पत्र 4112 / शिकायत 23 जावद दिनांक 24/05 / 2023 को मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद रतनगढ को फर्जी पटटे की जांच के विषय पर प्रतिवेदन चाहा था। नगर परिषद रतनगढ से दिनांक 01/06/2023 को दिये प्रतिवेदन में प्रकट किया कि पटटेदार राजेन्द्र सर्वे सूची में अपात्र था। राजेन्द्र चारण रतनगढ़ का निवासी न होकर आलोरी गरवाडा का है। पटटे पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी के हस्ताक्षर भी नही है। तथा रतनगढ नगर की मतदाता सूची में पट्टेदार राजेन्द्र चारण निकाय रतनगढ का मतदाता नही है। निकाय स्तर पर सुधारित सूची में राजेन्द्र चारण के नाम के सम्मुख अपात्र का उल्लेख है । इस जांच प्रतिवेदन के अतिरिक्त भी प्रक. 41 / बी 121/18-19 का अवलोकन करने से ज्ञात हुआ कि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जावद के. के. मालवीय ने इस प्रकरण में दिनांक 23/01/2019 नगर परिषद रतनगढ द्वारा अनुमोदित सूचीनुसार 49 पटटे स्वीकृत किये । दिनांक 23/11/2018 को राजेन्द्र कुमार का पटटा प्रदान करने की कोई स्वीकृती नहीं दी। दिनांक 23/01/2019 के आदेश में नगर परिषद रतनगढ के सर्वेक्षण प्रतिवेदन में क. 166 पर राजेन्द्र चारण को अपात्र व आवेदन निरस्तगी की अनुशंसा की गई है। 6 से 183 के व्यक्तियो के अपात्र होने से आवेदन निरस्त किये जाकर अपात्र किये जाने का उल्लेख है। जिसमें क 166 शामिल है। अर्थात अनुविभागीय अधिकारी जावद ने राजेन्द्र का पट्टा आवेदन अपात्र होने से निरस्त किया। अनुविभागीय अधिकारी जावद ने दिनांक 23/01/2019 को नगर परिषद रतनगढ की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर राजेन्द्र कुमार के आवेदन को अपात्र मानकर निरस्त किया। तब इसी प्रकरण क 41 / बी 121/18-19 दिनांक 23/11/18 को राजेन्द्र चारण के पास पटटा कहां से आया । इस दिनांक का यह पटटा फर्जी है। जो राजेन्द्र ने अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय से मिलकर हासिल करना प्रतीत होता है। क्योकि इस पर अनुविभागीय अधिकारी जावद की मौहर लगी है। जब प्रकरण क 41 / बी 121 / 18-19 में दिनांक 23/01/2019 को अंतिम आदेश हो रहा है। तो पूर्व दिनांक 23/11/2018 को राजेन्द्र चारण पट्टा कैसे हासिल हो सकता है ? कथित पट्टा प्रारूप पुरा भरा हुआ भी नही है। पूर्व में जो पटटा राजेन्द्र चारण ने प्रकट किया उस पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद रतनगढ के हस्ताक्षर भी नहीं थे। उसने बाद में करा लिये। दोनों पटटे की कापिया मौजुद है । पट्टा देने की दिनांक तक अंकित नहीं है। तथा सारे कालम खाली है। यह पट्टा पुरी तरह से फर्जी है। इन सभी बिंदुओ पर आज तक जांच नही हुई है। न पट्टा निरस्त हुआ है। जब कि यह गंभीर मामला है अनुविभागीय अधिकारी जावद अपने आदेश में पट्टा अपात्रता के कारण निरस्त कर रहे । दुसरी ओर पट्टा गृहिता फर्जी पटटा लेकर भूमि पर अवैध कब्जा कर रहा है। शिकायतकर्ता ने आवेदन में लिखा कि
फर्जी पट्टा निरस्त कर पट्टाग्रहिता से मूल फर्जी पट्टा जप्त कर उनके विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।