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सीधी से 30 जनवरी को गए थे मैहर, लटके मिले मां-बेटे बन गए कंकाल, ज्वेलर्स का नाम-पता लिखा पर्स जरिया बना

 

✍🏻 विकास तिवारी

सीधी/मैहर। रामगढ़ में शेषमणि साकेत पत्‍नी और दो जवान बेटों की मौत से अनजान उनकी लौटने की राह देखता रहा। पांच माह पहले तीनों मैहर के लिए निकले थे। शेषमणि साकेत बोले- अक्‍सर 10 से 20 दिन रुकते थे यहीं सोचकर पति शेषमणि साकेत ने सोचा कि भक्ति में लीन होंगे। आखिरी बार बात हुई तो घर के हालचाल और खेत में लगे गेहूं काटने को कहा था। इसके बाद राजकुमार और दीपक दोनों के मोबाइल बंद हो गए। इसके बाद फिर बात नहीं हुई।

मैहर में देवी मंदिर के पीछे मिले कंकालों की शिनाख्त

मैहर के सीएसपी राजीव पाठक बोले-शेषमणि ने बताया कि तीनों खाने-कमाने के मकसद से अक्सर मैहर आते थे। महिला छोटकी का पति शेषमणि अस्थमा का मरीज है, इसलिए वह अपने गांव रामगढ़ में ही रहता था। इस बार दोनों बेटे और मां मैहर के लिए निकले थे। वे अक्सर ऐसा करते थे इसलिए घर वालों ने भी पुलिस में कोई गुमशुदगी ये सोचकर दर्ज नहीं कराई कि कुछ दिन बाद वे लौट आएंगे।

सीधी के एक ज्वेलर्स का नाम-पता लिखा पर्स जरिया बना

कंकाल में तब्दील हो चुके शवों की शिनाख्त में महिला के पास सीधी के एक ज्वेलर्स का नाम-पता लिखा पर्स जरिया बन गया। मैहर देवी मंदिर के पास प्रसाद की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने भी पुलिस को एक मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया। पुलिस ने संपर्क करके फोटो मंगाई तो उसमें तीनों उन्हीं कपड़ों में दिखे जिनमें उनके कंकाल मिले थे।

कंकालों से शरीर के कई अंग भी गायब

घर से निकलने के लगभग साढ़े 5 महीने बाद मिले कंकालों से शरीर के कई अंग भी गायब थे। शवों को रात में मॉर्चुरी में रखवा दिया गया था। उनका पोस्टमॉर्टम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम से कराया जा रहा है।छोटकी की ननद कुसुमकली साकेत, भतीजे भोला साकेत ने बताया कि मां और दोनों बेटे अक्सर मैहर आ कर महीनों रुकते थे। वे पूजा-पाठ, भक्ति भी बहुत करते थे। पुलिस आत्महत्या मानकर जांच कर रही है।

तीन बार मैहर गए ढूंढने

शेषमणि साकेत ने बताया कि छुटकी और दोनों बेटे को ढूंढ़ने के लिए साले और दामाद को तीन बार मैहर भेजे, लेकिन नहीं मिले। मुझे लगा कहीं बैठकर माता का ध्यान कर रहे होंगे। मैहर एवं सीधी के किसी थाने में हमने इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराई। अन्य जगह इसलिए ढूंढने नहीं गए कि यह कभी कहीं नहीं जाते थे।

अब घर आने की टूट गई आस, अब कैसे जीएंगे हम

घर में मां शारदा की पूजा कई वर्षों से परिवार के सभी सदस्य करते रहे हैं। छुटकी और राजकुमार साकेत को मां शारदा की सवारी आती थी। यह घर में पूजा करते समय समस्या का समाधान करते रहे। यह बात शेषमणि साकेत कहते बताते हुए रो पड़े। बताया कि बेटा राजकुमार मिस्त्री (घर बनाने), दीपक कम्प्यूटर की दुकान में काम कर अपना जीवन यापन करते थे।

नौ दिन का व्रत रखकर मां शारदा को प्रसन्न करते थे

शेषमणि साकेत ने बताया कि यह सिलसिला पिछले 12 बर्ष से चलता आ रहा है। अभी ऐसा नहीं सोचा था की इस तरह की घटना होगी। शुरुआत के तीन साल तक हम दोनों बच्चों और पत्नी के साथ जाते थे। उस समय करीब दस दिन तक वहां रहकर सभी कोई पूजा करते थे। पूजा करने के दौरान मां प्रसन्न होती थीं। खूब आशीर्वाद मिलता रहा।

अब टूट गई उम्मीद

रोजाना सुबह-शाम पत्नी और बच्चों के आने की राह देखने की उम्मीद अब टूट गई। पांच महीने यह सोचकर जिंदा थे कि अब इस दुनिया में रहकर कैसे जीएंगे। यह कहकर शेषमणि साकेत जमीन पर गिर गया। घर वालों का रो-रोकर हाल बेहाल है। अब घर में अकेले रहकर क्या करेंगे। इस तरह के तमाम सवाल जबाव वह खुद करता रहा है। यह सोचकर रोजाना सोता था कि सुबह जब वह जागेंगे तो उनका पूरा परिवार घर आ जाएगा। पांच महीने से यह उम्मीद टूटती गई।

गांव में मचा हड़कंप

इस घटना की जानकारी लगते ही गांव में कोहराम मच गया है। घर परिवार वालों का रो- रो कर बुरा हाल है। घटना को लेकर लोग तरह-तरह के बातें कर रहे हैं। इस पूरे घटना को लेकर पुलिस गंभीरता से जांच में जुट गई है। साइबर सेल के जरिए जानकारी जुटाने की कोशिश भी की जा रही है। हालांकि परिवार वालों ने किसी व्यक्ति पर कोई आशंका नहीं जताई है।

इन्होंने क्या कहा-

रामगढ़ गांव के रहने वाले मां और दो बेटे शव मैहर में मिला है। इनके द्वारा गुमशुदगी की शिकायत नहीं की गई थी। पुलिस घटना की जानकारी होने के बाद जांच में जुट गई।

अभिषेक उपाध्याय प्रभारी सिटी कोतवाली सीधी

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