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सनातन धर्म मे पति की दीर्घायु के लिये किया जाने वाला स्त्रियों के लिए विशेष वट सावित्री व्रत एवं पर्यावरण संरक्षण 2024

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वट सावित्री व्रत –

 

-ज्योतिषाचार्य पंडित यशवंत जोशी

जय दुर्गा ज्योतिष सेवा संस्थान

एवं अनुष्ठान केंद्र मंदसौर

7024667840,8085381720

21 जून 2024 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। सनातन धर्म में बताए गए व्रत त्योहार और उपासना कर्म प्रकृति के प्रति प्रेम आस्था और विश्वास को दर्शाते हैं,हमारे ऋषि मुनियों ने पर्यावरण सुरक्षा एवं वृक्षारोपण को लेकर शास्त्रों में विभिन्न प्रसंग द्वारा जनमानस को प्रकृति प्रेम के प्रति जागरूक किया है, पूजा-पाठ हवन वृक्षारोपण इत्यादि द्वारा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक करते हुए प्रकृति को ही परम शक्ति के रूप में पूज्य बताया है।

इसी क्रम में महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाने वाला तीन दिवसीय व्रत वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है। इस संदर्भ में सावित्री द्वारा अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से पुनः प्राप्त करने वाली ऐतिहासिक कथा सामने आती है।इस कथा में राजा अश्वपति को मां सावित्री की आराधना से प्राप्त कन्या सावित्री के नाम से प्रसिद्ध हुई सावित्री का विवाह सत्यवान से हुआ लेकिन विवाह के कुछ समय बाद पता चला कि सत्यवान की आयु मात्र 1 वर्ष ही बाकी है, जब पति की आयु पूर्ण होने का समय आया तो देवी सावित्री ने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति एवं अपने पति की रक्षा के लिए यह व्रत किया था।लेकिन जब सत्यवान का अंतिम समय आ गया और यमराज उसकी आत्मा को ले जाने लगे तब सावित्री अपने पति के मृत शरीर को वट वृक्ष के सानिध्य मे छोड़कर यमराज के पीछे गई (भविष्य पुराण में बताया गया है कि उस समय वट वृक्ष ने सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओ में सुरक्षित रखा था ताकि जंगली जीव मृत शरीर को कोई नुकसान न पहुंच सके),सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की और अपने व्रत तपोबल से अपने पति सत्यवान को पुनः जीवित प्राप्त किया और यमराज ने उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्रदान किया।

यह सब संभव हुआ उसके व्रत, तप, पति व्रता धर्म,उपासना और वट वृक्ष की महिमा के कारण क्योंकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वटवृक्ष में ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों का निवास होता है, और जिस पर इन दिनों की कृपा हो जाए उसके लिए क्या अप्राप्य रह जायेगा,धर्म ग्रंथो में उल्लेख मिलता है कि भारतीय संस्कृति में पांच वट वृक्षों का अधिक महत्व है,अक्षयवट, पंच वट, वंशी वट, गया वट और सिद्ध वट। इन वट वृक्षों की प्राचीनता के बारे में बहुत सी कथाएं प्रचलित है,सनातन धर्म में उक्त पांच वटो को को पवित्र वट वृक्ष की श्रेणी मे रखा गया है,प्रयाद मे अक्षयवट,नासिक मे पंच वट, वृंदावन में वंशी वट, गया मे गया वट और उज्जैन मे पवित्र सिद्ध वट है।

अब जानते हैं वट सावित्री व्रत के बारे में

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि से पूर्णिया तक यह तीन दिवसीय वट सावित्री व्रत किया जाता है क्योंकि पूर्व काल में देवी सावित्री ने द्वादशी से पूर्णिया पर्यंत सौभाग्य को देने वाला यह वट सावित्री व्रत किया था,इस व्रत में स्त्रियां माता सावित्री एवं वटवृक्ष की पूजा करते हैं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है तथा अपने मनोवांछित वरदान को प्राप्त करती है,इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है सुखों में वृद्धि होती है, संतान  धन संपत्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।वट सावित्री व्रत की तिथि को लेकर कुछ भिन्न मतहै,स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण  के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यह व्रत करने का विधान है, जबकि निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को यह व्रत करने का विधान है,मध्य प्रदेश- गुजरात आदि में व्रत शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही किया जाता है। स्त्रियों को शुक्ल पक्ष की द्वादशी को प्रातः काल ही तीन दिवस व्रत का संकल्प लेकर माता सावित्री और वट वृक्ष की विधान से  पूजा करनी चाहिए तथा पूर्णिमा के दिन माता सावित्री को विशेष सौभाग्य सामग्री भेंट करके अपना व्रत पूर्ण करे, (बाद मे यह सामग्री योग्य धर्म-कर्म मे रत ब्राम्हण को दान दे देवे)तथा पूजा करके एक-एक वट वृक्ष अवश्य ही लगाना चाहिए, इससे माता सावित्री के साथ ही त्रिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है,तथा पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण में भी हम अपनी एक मुख्य भूमिका निभा पायेंगे, व्रत उपासना एक प्रकार का त्याग है,हम इसे स्वहितार्थ ही करते हैं।

आने वाली 19,20,21 जून 2024 क्या व्रत किया जाएगा।यह ना समझे की यह व्रत मात्र स्त्रियों के लिए है, पूर्णिमा व्रत शुक्रवार के शुभ अवसर पर यदि आप पांच पीपल के वृक्ष लगाकर उन्हें गोद लेकर लक्ष्मीनारायण का ध्यान करते हुए उनकी पांच परिक्रमा करते है तो निश्चय ही माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बरसती है और सभी प्रकार के धन धान्य ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

 

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