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आलोट नगर में चहुंओर अवैध निर्माण और अवैध कारोबार का बोल बाला, अधिकारी नही करते ठोस कार्रवाई

 

✍️ राजेन्द्र देवड़ा

आलोट -नगर में चहुंओर अवैध निर्माण और अवैध कारोबार का बोल बाला है जिसे देखो वह बिना परमिशन तथा शुल्क जमा कर, बिना अनुमतियो तथा नक्शा पास कराऐ मेडिकल तथा अस्पताल, काॅलोनियो काट रहा है जिन्हे नियोमों का जरा भी पता नही है।

आलोट नगर के जगदेवगंज रोड सैट्रल बैक के पीछे की भूमि सर्वे 477/ 2/ 2/ 1, 477/ 1/ 2/ 1 का रकबा 0,146 है , सर्वे क्रमांक 478 रकबा 0,057 है सर्वे क्रमांक 579 है, भूमि पर आवासीय अनुमोदन कार्यालय उप संचालक नगर तथा ग्राम निवेश रतलाम से करवाया गया था । जिस पर जैन आर्किड नामक कॉलोनी के भूखण्ड क्रमांक ई 10 से 12 व्यावसायिक दुकानो का निर्माण कर लिया गया ।

जबकि कॉलोनी की अनुमति आवासीय प्रयोजन हेतु ली गई थी काॅलोनाइजर संजय कुमार पिता शान्तिलाल जैन ने कार्यालय उप संचालक से संशोधित नक्शा अनुमोदन करवाया किन्तु उसमे प्लांट की साइज छोटी करने का उल्लेख किया। न कि दुकाने बनाकर उसका व्यावसायिक उपयोग करने का, । काटी गई कॉलोनी जैन आर्किड पूर्णतः अवैध तरीके से विकसित कर इसमे दुकानो का निर्माण कर लिया जिसकी नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय रतलाम से कोई परमिशन नही ली गई और नही नगर परिषद आलोट से परमिशन है।

शिकायत को दो माह बीत गये जांच प्रतिवेदन एस.डी.एम.कार्यालय नही पहुंचा-

जिसकी शिकायत जागरूक पत्रकार राजेन्द्र देवड़ा 26/ 4/ 24 को अनुविभागीय अधिकारी उपखण्ड आलोट को करने पर भी जांच प्रतिवेदन शिकायतकर्ता को अब तक नही मिला जिससे यह प्रतीत होता है कि काॅलोनाइजर का एसडीएम कार्यालय से गहरा गठजोड प्रतीक होता है। शिकायत को दो माह बीत गये है जांच प्रतिवेदन आज दिनांक तक अनुविभागीय कार्यालय तक नही पहुंच पाया कहा रास्ते में अटक गया या कही धुल खा रहा शिकायतर्ता एसडीएम कार्यालय में अपनी चप्पले तोड़ रहे है।

इन तथाकथित अवैध निर्माणकर्ताओ ने राजस्व विभाग तथा नगर परिषद से गठजोड बना रखा है। नगर में अवैध खनन अवैध रेत को लेकर कई बार खबरे प्रकाशित कि गई परन्तु राजस्व विभाग में बैठै सेटिंगबाजो ने शिकायतो को दबाकर निर्माणकर्ताओ से कपटसंधी और मिलीभगत कर नोटिस नोटिस का खेल परवान पर है जिससे निर्माणकर्ता के हौसले बुलंद है। जांच अधिकारी बना मौका मुआयना करे बिना और परमिशन तथा दस्तावेज जांचे वही दफ्तर में बैठै जांच प्रतिवेदन बनाकर अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं। आला अधिकारी प्रतिवेदन को सही मान कर शिकायत नस्ति बंद कर देते है। शिकायत और प्रतिवेदन का परीक्षण नही होता अधिकारी शिकायत तथा जांच प्रतिवेदन पर नही करते ठोस कार्रवाई के आदेश नही देते

अनुविभागीय कार्यालय आलोट में एक दर्जन से अधिक शिकायते जांच के लिए तहसीलदार कार्यालय में तहसीलदार सोनम भगत के यहा धु खा रही है या रद्दी में चली गई है। ? खासबात तो यह है कि शिकायत एसडीएम कार्यालय में होने के बाद नोटिस तो संबधित विभाग को मिलता परन्तु जांच प्रतिवेदन में महिनो महिनो लग जाते जिससे शिकायतकर्ता की चपल तक खिस जाती तथा एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट कर धक जाता है।

शिकायते आलोट एसडीएम कार्यालय को करने पर जांच तहसीलदार सोनम भगत को देने पर नतीजा ढांक के तीन पात तक ही सीमित रहा कोई उचित कार्यवाही होते नही दिख रही है।

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