धर्म संस्कृतिमंदसौर जिलाशामगढ़

इस बार निर्जला एकादशी व्रत 17 जून सोमवार को

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पांचवा धाम सार्वभौम हिंदू धर्म श्री 24 अवतार तत्वज्ञान मंदिर महातीर्थ

*** फलाहार आम का है***

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व भीम एकादशी के नाम से जाना जाता है।

-पंडित दिपक पुरोहित शामगढ़

 

 

इस बार निर्जला एकादशी व्रत 17 जून 2024, सोमवार को रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी पूजा विधि-: निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए।निर्जला एकादशी व्रत में किसी प्रकार का अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता।यदि आप अस्वस्थ है और बिना कुछ खाए पिए व जल के बिना नहीं रह सकते तो आप दिन में फल, फ्रूट, दूध इत्यादि ग्रहण कर सकते हैं।सबसे पहले घर के मंदिर में शुद्ध गाय के घी का दीप प्रज्वलित करना चाहिए।भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फल- फूल और तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए।भगवान को सात्विक चीजों का भोग तुलसी दल के साथ लगाना चाहिए।इसके बाद आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी या सुननी चाहिए।

इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

निर्जला एकादशी व्रत के दिन दान का महत्व-: इस दिन बच्चों व बुजुर्ग पुरुष व महिलाओं को दूध, फल, फ्रूट इत्यादि बाटें।

यदि आप सक्षम है तो मंदिरों, अस्पताल, धर्मशाला आदि सार्वजनिक जगहों पर ठंडे पानी का कूलर लगाएं सार्वजनिक स्थान मंदिर, धर्मशाला, अस्पताल में पंखे कूलर इत्यादि लगवाएं।पशु पक्षियों व गायों के लिए चारा, दाना, पानी की व्यवस्था करें।मंदिर के पुजारी व किसी सात्विक व पवित्र आचरण वाले ब्राह्मण को फल, फ्रूट, वस्त्र, छाता, चप्पल, पानी का घड़ा, पानी की बोतल, पंखे, कूलर , दक्षिणा इत्यादि भेंट करें।

एकादशी के दिन घर की बहन- बेटियों को भी फल- वस्त्र- दक्षिणा इत्यादि जरूर दें।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व-: पौराणिक कथा है कि भीम की भूख अत्यंत तीव्र थी वे भूखा नहीं रह सकते थे इसके कारण कभी व्रत नहीं रखते थे. तब वेद व्यास जी ने उनको बताया था कि वर्ष में सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा. निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी व्रत विधिपूर्वक संपन्न करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ में स्थान मिलता है.।

एकादशी के दिन करें जप तप-: इस दिन ज्यादा से ज्यादा भगवान के पवित्र नामों का जाप करें।श्री गायत्री मंत्र का जप, श्रीरामचरितमानस पाठ, गीता का पाठ, हरे कृष्ण महामंत्र का जप,श्री विष्णु सहस्त्रनाम, अपने गुरु से प्रदत्त मंत्र का जप करें। जहां तक संभव हो सके कम बोलें, मौन धारण करें।।*नोट-:सनातन शास्त्र में निर्जला एकादशी के दिन का विशेष महत्व है, अतः प्रत्येक सनातनी को निर्जला एकादशी के दिन संभव हो सके तो व्रत करना चाहिए। यदि आप इस दिन व्रत नहीं रख सकते तो इस दिन आप पवित्र आचरण रखें, सात्विक व पवित्र भोजन करें, छल- कपट- लोभ- काम- अहंकार जैसे विकारों से दूर रहें और अधिक से अधिक मौन का पालन करें, कम बोलें, भगवान नाम का जप करें।

⭕ध्यान रहे, एकादशी तिथि के दिन तामसिक भोजन व चावल खाना बिल्कुल निषेध है।

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