भारतीय संस्कृति की पहचान है गंगा माँ

भारतीय संस्कृति की पहचान है गंगा माँ
आज 16 जून माँ गंगा के प्रकटोत्सव पर हम जल संरक्षण का संकल्प ले
-रविन्द्र पाण्डे
प्रांत सचिव सक्षम मालवा मंदसौर
महाराज भगीरथ को ब्रह्माण्ड की पवित्र नदी माँ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने का पुण्य प्राप्त हुआ था पुण्य सलिला, पापमोचिनी और सदियों से मोक्ष दिलाने वाली गंगा को भगीरथ अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे। माँ गंगा ने मानव की कई पीढ़ियो का उद्धार कर दिया और यह सब संभव हुआ राजाभगीरथ की कठोर तपस्या से।
माँ गंगा का जन्म भगवान विष्णु के चरणकमलों से हुआ है मां गंगा अपने भयानक वेग के कारण भगवान महादेव की जटाओं में निवास करती हैं। माँ गंगा मंे स्नान, पूजन और दर्शन करने से मनुष्यों के सभी पापों का नाश होता है और व्याधियों से मुक्ति मिलती है। परम पावनी गंगा मइया की महिमा तो अपरम्पार है। बड़े भाग्य से गंगा मइया के दर्शन होते हैं और उससे भी उत्तम भाग्य हो तो मिलता है उनके जल में डुबकी लगाने का अवसर। अपनी दैवीय शक्तियों और विशाल हृदय के कारण ही गंगा को मां का स्थान मिला है. मनुष्यों के जाने-अनजाने तमाम पापों को नष्ट करने की चमत्कारी शक्ति गंगा जल में है।
गंगा जल का रोगाणुरोधी प्रभाव वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार, गंगा जल में बैक्टीरियोफेज (बैक्टीरिया को मारने वाले वायरस) होते हैं जिसके कारण गंगा जल में रोगाणुरोधी गुण होते हैं। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा मुख्य रूप से जल संरक्षण का संदेश देने वाला पर्व है। यह जीव के जीवन में जल के महत्व को परिभाषित करता है। लोगों को नदियां, तालाब, पोखर को स्वच्छ और शुद्ध और स्वच्छ रखने की प्रेरणा और गंगा नदी के समान निरंतर कर्म पथ पर बढ़ते रहने की प्रेरणा भी देता है।