पर्यावरणआलेख/ विचारमंदसौरमध्यप्रदेश
पर्यावरण के सबसे बड़े दुश्मन पन्नी-पाउच-पोलीथीन के कारखाने जब तक कानूनन प्रतिबंधित नहीं होगे-लाख प्रयास हो पर्यावरण शुद्ध नहीं होगा
5 जून पर्यावरण दिवस विशेष-
पर्यावरण के सबसे बड़े दुश्मन पन्नी-पाउच-पोलीथीन के कारखाने जब तक कानूनन प्रतिबंधित नहीं होगे-लाख प्रयास हो पर्यावरण शुद्ध नहीं होगा
-बंशीलाल टांक
योग गुरू मन्दसौर
आज सम्पूर्ण संसार पर्यावरण दिवस मना रहा है जहां अन्य दिवसों को चाहे वे अंतर्राष्ट्रीय हो अथवा राष्ट्रीय उन्हें महोत्सव के रूप में आयोजित किया जाता है ताकि आमजन को उनके प्रति ध्यान आकर्षित हो परन्तु मेरा मानना है, इसे केवल पर्यावरण दिवस न कहते हुए यदि इस दिवस को पर्यावरण विनाश दिवस कहा जाये तो लोगों का विशेष ध्यान जायेगा कि विनाश शब्द क्यों प्रयुक्त किया गया।
कारण स्पष्ट है कि अन्य अंतर्राष्ट्रीय दिवसों की तरह पर्यावरण दिवस भी विगत कई वर्षों से जब से पर्यावरण प्रदूषित हुआ मनाते आ रहे है परन्तु क्या कभी किसी ने यह सोचने-समझने की कोशिश की है कि पर्यावरण में सुधार हुआ है या हो रहा है, दिन पर दिन ओर बिगाड़ता जा रहा है।
प्रतिवर्ष केवल 5 जून एक दिवस ही नहीं समय-समय पर पूरे विश्व को जिसने अदृश्य डायनोसोर भयंकर दैत्य की तरह अपने आगोष में ले रखा है उससे पिण्ड छुड़ाने जगह-जगह सेमीनार-कार्यशालाएं प्रदर्शन नाटक-रेलियां-क्या-क्या नहीं किया जा रहा है पर्यावरण को बचाने के लिये परन्तु स्थिति जस की तस नहीं रहकर ओर भयावह होती जा रही है। सम्पूर्ण विश्व और विश्व की प्रमुख संस्था संयुक्त राष्ट्र स्वयं चिन्तित है। नये-नये अविष्कार-अणु-परमाणु हाइड्रोजन जैविक बमों का अविष्कार, आकाश में सेटेलाइट-जहरीली गैसों से पूरा नभ मण्डल, अंतरीक्ष आच्छादित हो जाना- लगभग 2 साल से रूस-यूक्रेन युद्ध में नये-नये हथियारों-मिसाईलों से सम्पूर्ण वायुमण्डल जहरीला हो गया, साल भर से इजराईल-हमास संघर्ष और जुड़ गयाहै। अमेरीका-नाटो-चीन-इरान आदि परमाणु शक्ति देश भी इनमें सहभागी बनने के मन-मन ही सपने संजोते रहते है। सोचो ये जितने शस्त्रों का प्रयोग और उनसे जो जहरीले धुआं के आग के गुब्बारे/गोले छोड़े जा रहे है ये आग के गोले कोई बर्फ-आईस्क्रीम के गोले और धुआं किसी इत्र का गुब्बार तो है नहीं जो वायुमण्डल शीतल ठण्डा और सुगंधित हो जायेगा।
युद्ध की विभिषिकाओं को छोड़ों हम तो हमारे आस-पास चाहे बमों-मिसाईलों का जहरीला धुआं-धरती-आकाश को थर्राने वाली गर्जना नहीं हो परन्तु इन सबसे बढ़कर एक ओर जो बड़ा दुश्मन है वह है प्लास्टिक-पन्नी-पाऊच-पोलीथीन जहां देखो वहीं पहाड़ सरीखे ढेर पड़े मिल जायेंगे। एक रिपोर्ट अनुसार समुद्र की बात करें तो 1.10 टन करोड़ कचरा तो तल में जमा हो चुका है और यह बढ़ता जा रहा है। भारत में प्रतिदिन 25940 टन कचरा निकलता है जिसका ढेर लाल किले के समान पहाड़ केा रूप ले लेता है। जिसकी वजह से मानव ही नहीं पशु पक्षी भी इनकी चपेट में आकर अकाल मृत्यु के ग्रास बन रहे है और विडम्बना यह है कि इनके उत्पादन के कारखाने जड़ मूल से बंद होने के बदले और बढ़ते जा रहे है। पन्नी-पाऊच-पोलीथीन न तो सड़ते है और नहीं गलते है और धरती पर इनके अम्बार ने धरती माता में जाकर धती माता की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर जहां अस्त्र-शस्त्रों के प्रहार के धुएं से आकाश-वायुमण्डल प्रदूषित हुआ- हो रहा है वहीं पन्नी-पाऊच-पोलीथीन के कचरे ने धरती को बर्बाद कर दिया है। इसलिये सरकारों चाहे यूएस हो या चाहे राष्ट्रीय हो जहां-जहां भी इनके कारखाने संचालित है उन्हें तत्काल कानूनन प्रतिबंधित कर देना चाहिये और यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब खेत खलिहान धन-धान्य से भरे हुए नहीं और बाग बगीचे फूलों-फलों से गुलजार नहीं बल्कि पन्नी-पाऊच-पोलीथीन-प्लास्टिक के पहाड़ों (अम्बार) से ढके हुए दिखेंगे।
म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहनजी यादव ने हाल ही में म.प्र. के समस्त नदी नालों-बावड़ियों-बगीचों आदि को 5 जून पर्यावरण दिवस से 15 जून तक स्वच्छ रखने- इनसे अतिक्रमण हटाने के लिये सभी कलेक्टर्स को निर्देशित किया है। यह सराहनीय कदम है। इसलिये माननीय मोहनजी का साधुवाद है परन्तु इसके साथ ही पर्यावरण जिससे सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहा है राजस्थान की तरह म.प्र. में भी पन्नी-पाऊच-पोलीथीन को कानूनन प्रतिबंधित कर देना चाहिये। इससे प्रदेश प्रदूषण से बच जायेगा।
कारण स्पष्ट है कि अन्य अंतर्राष्ट्रीय दिवसों की तरह पर्यावरण दिवस भी विगत कई वर्षों से जब से पर्यावरण प्रदूषित हुआ मनाते आ रहे है परन्तु क्या कभी किसी ने यह सोचने-समझने की कोशिश की है कि पर्यावरण में सुधार हुआ है या हो रहा है, दिन पर दिन ओर बिगाड़ता जा रहा है।
प्रतिवर्ष केवल 5 जून एक दिवस ही नहीं समय-समय पर पूरे विश्व को जिसने अदृश्य डायनोसोर भयंकर दैत्य की तरह अपने आगोष में ले रखा है उससे पिण्ड छुड़ाने जगह-जगह सेमीनार-कार्यशालाएं प्रदर्शन नाटक-रेलियां-क्या-क्या नहीं किया जा रहा है पर्यावरण को बचाने के लिये परन्तु स्थिति जस की तस नहीं रहकर ओर भयावह होती जा रही है। सम्पूर्ण विश्व और विश्व की प्रमुख संस्था संयुक्त राष्ट्र स्वयं चिन्तित है। नये-नये अविष्कार-अणु-परमाणु हाइड्रोजन जैविक बमों का अविष्कार, आकाश में सेटेलाइट-जहरीली गैसों से पूरा नभ मण्डल, अंतरीक्ष आच्छादित हो जाना- लगभग 2 साल से रूस-यूक्रेन युद्ध में नये-नये हथियारों-मिसाईलों से सम्पूर्ण वायुमण्डल जहरीला हो गया, साल भर से इजराईल-हमास संघर्ष और जुड़ गयाहै। अमेरीका-नाटो-चीन-इरान आदि परमाणु शक्ति देश भी इनमें सहभागी बनने के मन-मन ही सपने संजोते रहते है। सोचो ये जितने शस्त्रों का प्रयोग और उनसे जो जहरीले धुआं के आग के गुब्बारे/गोले छोड़े जा रहे है ये आग के गोले कोई बर्फ-आईस्क्रीम के गोले और धुआं किसी इत्र का गुब्बार तो है नहीं जो वायुमण्डल शीतल ठण्डा और सुगंधित हो जायेगा।
युद्ध की विभिषिकाओं को छोड़ों हम तो हमारे आस-पास चाहे बमों-मिसाईलों का जहरीला धुआं-धरती-आकाश को थर्राने वाली गर्जना नहीं हो परन्तु इन सबसे बढ़कर एक ओर जो बड़ा दुश्मन है वह है प्लास्टिक-पन्नी-पाऊच-पोलीथीन जहां देखो वहीं पहाड़ सरीखे ढेर पड़े मिल जायेंगे। एक रिपोर्ट अनुसार समुद्र की बात करें तो 1.10 टन करोड़ कचरा तो तल में जमा हो चुका है और यह बढ़ता जा रहा है। भारत में प्रतिदिन 25940 टन कचरा निकलता है जिसका ढेर लाल किले के समान पहाड़ केा रूप ले लेता है। जिसकी वजह से मानव ही नहीं पशु पक्षी भी इनकी चपेट में आकर अकाल मृत्यु के ग्रास बन रहे है और विडम्बना यह है कि इनके उत्पादन के कारखाने जड़ मूल से बंद होने के बदले और बढ़ते जा रहे है। पन्नी-पाऊच-पोलीथीन न तो सड़ते है और नहीं गलते है और धरती पर इनके अम्बार ने धरती माता में जाकर धती माता की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर जहां अस्त्र-शस्त्रों के प्रहार के धुएं से आकाश-वायुमण्डल प्रदूषित हुआ- हो रहा है वहीं पन्नी-पाऊच-पोलीथीन के कचरे ने धरती को बर्बाद कर दिया है। इसलिये सरकारों चाहे यूएस हो या चाहे राष्ट्रीय हो जहां-जहां भी इनके कारखाने संचालित है उन्हें तत्काल कानूनन प्रतिबंधित कर देना चाहिये और यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब खेत खलिहान धन-धान्य से भरे हुए नहीं और बाग बगीचे फूलों-फलों से गुलजार नहीं बल्कि पन्नी-पाऊच-पोलीथीन-प्लास्टिक के पहाड़ों (अम्बार) से ढके हुए दिखेंगे।
म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहनजी यादव ने हाल ही में म.प्र. के समस्त नदी नालों-बावड़ियों-बगीचों आदि को 5 जून पर्यावरण दिवस से 15 जून तक स्वच्छ रखने- इनसे अतिक्रमण हटाने के लिये सभी कलेक्टर्स को निर्देशित किया है। यह सराहनीय कदम है। इसलिये माननीय मोहनजी का साधुवाद है परन्तु इसके साथ ही पर्यावरण जिससे सबसे ज्यादा प्रदूषित हो रहा है राजस्थान की तरह म.प्र. में भी पन्नी-पाऊच-पोलीथीन को कानूनन प्रतिबंधित कर देना चाहिये। इससे प्रदेश प्रदूषण से बच जायेगा।