मंदसौर के दो भाइयों ने किया बैलों का पिंडदान: बेटा बनकर गंगा में अस्थियां की विसर्जित; 3000 लोगों को कराएंगे तेरहवीं का भोज

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मध्यप्रदेश में दो किसान भाइयों ने बेटा बनकर अपने बैलों का पिंडदान किया। रविवार को उत्तर प्रदेश में भगवान वराह की नगरी सोरों में उन्होंने पिंड दान कर उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित कीं। किसान भाइयों ने बताया कि 26 दिसंबर को दोनों बैलों की तेरहवीं का भोज कराया जाएगा। इसमें 3 हजार लोग शामिल होंगे।
मामला मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के गांव बाग का खेड़ा तहसील भानपुरा के रहने वाले दो भाई भवानी सिंह और उल्फत सिंह के दो जोड़ी बैल थे. भवानी सिंह के बैल माना की मौत तीन महीने पहले जबकि दूसरे बैल श्यामा ने 16 दिसंबर को दुनिया छोड़ दी. उल्फत सिंह के बैल 8 वर्ष पूर्व कुएं में गिरने के कारण दुनिया छोड़ गए थे. उल्फत सिंह भी कुएं में गिर गए थे, वह बच गए लेकिन उनके बैलों बैल माना और श्यामा की मौत हो गई थी। तीन महीने पहले माना और 16 दिसंबर 2023 को श्यामा की मौत हो गई थी दोनों ही बार किसान परिवार ने बैलों का अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान के साथ किया। उनका दाह संस्कार किया गया। लेकिन उन्होंने तब से अस्थियों को संचित करके रखा हुआ था. दोनों किसानों ने बैलों का दाह संस्कार पूरे विधि-विधान के साथ किया.
माना और श्यामा को मानते थे पिता के समान
भवानी सिंह ने बताया, ‘हमने 30 साल पहले दो बैलों को पाला था। उनका नाम माना और श्यामा रखा था। इन बैलों से खेती का काम कराते थे। वे हमारे परिवार का भरण-पोषण करते थे, इसलिए हम उन्हें पिता की तरह सम्मान देते थे। रविवार को बैलों की अस्थियां लेकर यहां आए। पूजा-पाठ के बाद हरि की पौड़ी गंगा में अस्थियों का विसर्जन किया।’
सनातन में सभी जीवों को एक समान माना गया
बैलों की अस्थियां विसर्जन कराने वाले सोरों के पंडित उमेश पाठक ने कहा, ‘सनातन में सभी जीवों को एक समान माना गया है। सभी परमात्मा के अंश हैं। किसान बैलों को अपने पुत्र और पिता की तरह मानते हैं।
भवानी सिंह और उल्फत सिंह ने बैलों के मरने के बाद उनका इंसानों की तरह अंतिम संस्कार किया है। बेटे की तरह बैलों की अस्थियों का विसर्जन किया है। ये अच्छी बात है। हर किसी को इसी तरह का कर्म करना चाहिए।’