लाड़ली बहनों की उदासीनता ने बढ़ाई भाजपा का चिंता
किश्त की राशि बढ़ोत्री में छाया संशय, योजना पर भी हो सकता है पुनर्विचार
भोपाल। हर माह सरकार से अपने खाते में साढ़े बारह सौ रुपए डलवाने वाली लाड़ली बहनों की मतदान के प्रति उदासीनता अब चर्चा में है। प्रदेश की 29 सीटों पर चार चरणों में हुए मतदान में लाड़लियों के वोट प्रतिशत में पुरुषों के मुकाबले साढ़े छह प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट रही। बहनों के कम वोट प्रतिशत ने जहां भाजपा को चिंतित कर दिया है। बहनों की राशि तीन हजार बढ़ाने में भी लोगों को आशंका लग रही है। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना को शुरू किया था। एक हजार रुपए प्रतिमाह से शुरू हुई इस योजना में अब 1250 रुपए दिए जा रहे है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के वक्त ही इस राशि को 3 हजार तक बढ़ाने की घोषणा की थी। अपने ही गढ़ में बहनों द्वारा दिए गए झटके के बाद संभव है राशि बढ़ाना तो दूर योजना पर ही पुनर्विचार शुरू हो जाए।
चुनाव प्रचार में योजना पर था जोर
2023 के विधानसभा चुनाव में इस योजना का ना सिर्फ जोर शोर से प्रचार किया गया बल्कि हर सभा रैली में खास पोस्टर बैनर लेकर बड़ी तादाद में महिलाएं आभार व्यक्त करते देखी गई थी। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसी योजना पर फोकस रखा। प्रदेश में नेतृत्व परिर्वतन के बाद योजना के बंद होने पर सवाल खड़े होने लगे। कांग्रेस ने अपने प्रचार में यह कहना शुरू कर दिया था कि चुनाव बाद योजना बंद हो जाएंगी। मुख्यंमत्री डॉ मोहन यादव दमदारी से इसका खंडन करते रहे। अपने भाषणों में डॉ यादव यह विश्वास दिलाना नहीं भूलते कि योजना कभी बंद नहीं होगी। कई मंचों से उन्होंने योजना की राशि बढ़ाने की भी बात कही थी। उधर पूर्व मुख्यमंत्री चौहान पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर है और लाड़ली बहना योजना पर ही वे ज्यादा फोकस कर रहे है।
वोट प्रतिशत घटने का कारण की हो रही खोज
महिलाओं के वोट प्रतिशत घटने के कारणों की खोज ना सिर्फ भाजपा बल्कि चुनावी विशेषज्ञ भी करने में जुट गए है। कुछ का मानना है कि महिलाएं घर का कामकाज निपटा कर दोपहर के वक्त वोट डालने जाती है। भीषण गर्मी के प्रकोप के चलते उनके वोटों में कमी रही, शाम को तेज बारीश ने भी महिला वोटर्स को घर से निकलने ना दिया। सरकार ने 4 मई को बहनों के खाते में पैसा जमा किया था, कांग्रेस ने इसे अंतिम किस्त कहते हुए प्रचारित किया था, जानकारों के मुताबित एक कारण यह भी हो सकता है।
बहनों को मिल चुकी है अब तक 12 किश्त
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अति महत्वाकांक्षी योजना की 12 किश्तों का लाभ प्रदेश की बहनों को मिल चुका है। बारहवी किश्त हाल ही में 4 मई को खाते में जमा हुई थी। मुख्यमंत्री डॉ यादव के भाषणों और बयानों के मुताबिक 13वीं किश्त 4 जून के बाद जारी हो सकती है यानी आचार संहिता खत्म होने के बाद।
महिला प्रत्याशी होने का भी असर नहीं
भाजपा ने प्रदेश में कुल 6 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। बालाघाट सीट को छोड़ शेष 5 सीट पर महिला वर्ग का मतदान कम रहा। यानी महिला प्रत्याशी होने का भी महिला मतदाताओं पर असर नहीं हुआ। त्रिकोणिय संघर्ष वाली बालाघाट पर भारती पारधी को भाजपा ने मैदान में उतारा था। जानते है शेष सीटों पर कितना अंतर रहा।
शहडोल –
प्रत्याशी – हिमाद्री सिंह
महिला मतदान – 1.48 प्रतिशत कम
बालाघाट –
प्रत्याशी – भारती पारधी
महिला मतदान – 0.06 प्रतिशत ज्यादा
भिंड –
प्रत्याशी – संध्या राय
महिला मतदान – 6.63 प्रतिशत कम
सागर –
प्रत्याशी – लता वानखेड़े
महिला मतदान – 9.85 प्रतिशत कम
रतलाम –
प्रत्याशी – अनिता नागरसिंह चौहान
महिला मतदान – 4.07 प्रतिशत कम
धार –
प्रत्याशी – सावित्री ठाकुर
महिला मतदान – 5.76 प्रतिशत कम
यह है प्रदेश का वोट प्रतिशत
कुल मतदान
71.72 प्रतिशत
पुरुष मतदान
75.01 प्रतिशत
महिला मतदान
68.45 प्रतिशत
कुल अंतर
6.56 प्रतिशत