पर्यावरणमंदसौरमध्यप्रदेश

 प्रदेश स्तरीय 03 दिवसीय गिद्ध गणना (द्वितीय चरण) का हुआ समापन

गांधीसागर -प्रत्येक 02 वर्ष में की जाने वाली प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना के द्वितीय चरण अंतर्गत गणना कार्य इस वर्ष 28 अप्रैल से 01 मई के मध्य किया गया।

वन मंडल मंदसौर अंतर्गत अभयारण्य गांधी सागर एवं वन परिक्षेत्र भानपुरा के कुछ क्षेत्र गिद्धों का प्राकृतिक आवास स्थल है जहां पर गिद्ध की कुल 04 स्थानीय प्रजातियां पाई जाती है साथ ही गिद्ध की 03 प्रजातियां यहां का वातावरण अनुकूल होने से यहां पर शीत ऋतु में प्रवास करती है।

गिद्ध गणना प्रथम फेज अंतर्गत हुई गणना मे लगभग 850 से अधिक गिद्ध पाए गए थे जिले में –

-प्रथम फेज अंतर्गत प्रजाति वार गिद्ध गणना के आंकड़े-

(स्थानीय प्रजाति के गिद्ध )

1. भारतीय गिद्ध (लॉन्ग बिल्ड वल्चर)-385

2. इजीपसियन गिद्ध -135

3. राज गिद्ध (एशियन किंग वल्चर )-07

4. सफ़ेद पीठ वाला गिद्ध -161

(प्रवासी गिद्ध )

1. काला गिद्ध (सिनेरियस वल्चर)-02

2. यूरेशियन ग्रिफोंन -55

3. हिमालयन ग्रिफोंन-58

द्वितीय फेज गणना का उद्देश्य- प्रत्येक 02 वर्ष में होने वाली गिद्ध गणना का कार्य पूर्व में एक चरण में किया जाता था किन्तु प्रवासी गिद्धों एवं स्थानीय गिद्ध की सटीक संख्या का आकलन करने के लिए इस वर्ष गिद्ध गणना का कार्य दो चरणों में किया गया |

हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है गिद्ध-

गिद्ध सामान्यतः केवल मरे हुए वन्यजीवों/ मवेशियों खाकर ही अपना भोजन प्राप्त करतें है। इसलिए इन्हें प्रकृति के सफाईकर्मी के रूप में भी जाना जाता है। गिद्धों के पाचन तंत्र में उपस्थित अम्ल- शवों में पाए जाने वाले एंथ्रेक्स एवं बोटूलिस्म जैसे घातक बेक्टेरिया को भी नष्ट कर इनसे जनित रोगों को अन्य जीवों में फैलने से रोकता है |

पर्यावरण अर्थशास्त्री श्री अनिल मार्कंडेय द्वारा गिद्ध पर की गई शोध के अनुसार भारत में गिद्धों कि संख्या में कमी होने कारण , मृत मवेशियों पर श्वान (कुत्तों) का कब्ज़ा हुआ जिसके कारण उनकी संख्या में वृद्धि हुए तथा शहरों में डॉग बाईट (कुत्ते के हमलों) की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई है |

मवेशियों के उपचार हेतु प्रतिबंधित दवाई डिक्लोफेनक के उपयोग से तथा आवास स्थलों की कमी से गिद्ध की संख्या में अचानक से कमी आई थी।

गिद्धों के संरक्षण हेतु उनके नेस्टिंग साइट को पहचान कर उनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है ताकि इनकी संख्या बढ़ सके।

इस वर्ष हुई गिद्ध गणना की ये रही खास बातें

1. इस वर्ष गिद्ध गणना का कार्य पूर्व में हुई एक दिवसीय एवं एक चरण में की जाने वाली गणना की बजाय दो चरणों में एवं प्रत्येक चरण में तीन दिवस तक किया गया।

2. तीन दिवस तक हुई गणना में पूर्व में स्थापित गिद्ध आवास स्थलों के साथ कुछ नए आवास स्थलों पर भी गणना करने का समय मिला।

3. प्रकृति में गिद्धों के महत्व तथा उनकी कम होती संख्या से होने वाले विपरीत परिणामों से लोगों को जागरूक करने में स्वयं सेवकों ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया।

4. बाहर से आये स्वयं सेवकों के अतिरिक्त गाँधीसागर फ्लोटिंग फेस्टिवल अंतर्गत कार्यरत स्वयं सेवको ने भी गिद्ध गणना में सहभागिता की ।

5. तीन दिवसीय गणना के प्राथमिक आंकड़ो के अनुसार 02 वर्ष बाद हुई इस गिद्ध गणना में गाँधीसागर एवं आसपास के क्षेत्रों में गिद्ध के आवास स्थलों में वृद्धि के साथ ही इनकी संख्या में भी वृद्धि हुई है।

6. गिद्ध गणना में पहली बार 30 से अधिक आवास स्थलों पर 100 वन कर्मचारियों एवं सुरक्षा श्रमिक तथा 10 स्वयं सेवकों द्वारा सहभागिता की गई |

7. प्राथमिक गणना आंकड़ो के अनुसार इस वर्ष गाँधीसागर अभ्यारण्य एवं आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रथम चरण में स्थानीय एवं प्रवासी गिद्धों को मिलाकर लगभग 850 से अधिक गिद्ध एवं द्वितीय चरण में 690 स्थानीय प्रजाति के गिद्ध देखे गए।

जो कि पूर्व में वर्ष 2021 में हुई गिद्ध गणना के आंकड़ो 676 से अधिक होकर पारिस्थितकीय तंत्र के लिए शुभ संकेत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}