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भगवान श्री राम का नाम लेने से मुख पवित्र हो जाता हैं -सन्त लोकेश
प्रेमप्रकाश आश्रम में श्रीमद् भागवत गीता एवं श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ के पाठों का भोग का आयोजन हुआ
मन्दसौर। श्री प्रेम प्रकाश आश्रम मंदसौर में रविवार 28 अप्रैल को भगवान श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव एवं सतगुरु स्वामी टेऊँराम महाराज द्वारा स्थापित 103वें चैत्र मेले के निमित्त स्थापित श्रीमद् भागवत गीता एवं श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ के पाठों का भोग का आयोजन किया गया। जहां गीताजी के अन्तिम अध्याय का श्रीमती पुष्पा पमनानी एवं श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ के अंतिम अध्याय शांति के दोहों का उच्चारण संत श्री लोकेश प्रेमप्रकाशी ने किया तथा श्रद्धा का रुमाल पुष्पा पमनानी, श्रीमती देवकी कोठारी एवं श्रद्धालु संगत ने अर्पित कर भोग संपन्न किया।
इस आशय जानकारी श्री प्रेम प्रकाश सेवा मंडली के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शिवानी ने देते हुए बताया कि आचार्य सतगुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज द्वारा अविभाजित हिंदुस्तान के टण्डा आदम में इस चैत्र मेले की स्थापना की गई थी, जो इस वर्ष 103 वे मेले के रूप में जयपुर स्थित अमरापुर में 22 से 26 अप्रैल तक मनाया गया जिसमें मन्दसौर कि संगत ने सम्मिलित होकर सेवा, संगत का लाभ प्राप्त किया।
इस पावन अवसर को श्री प्रेमप्रकाश सेवा महिला मण्डली एवं संगत ने बड़े ही श्रद्धा, समर्पण, एवं भक्ति भाव के साथ सामूहिक रूप में सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ किया एवं टेऊँराम चालीसा का भी पाठ कर वातावरण को धार्मिक भाव से सम्पन्न किया।
इस अवसर पर श्री प्रेम प्रकाश आश्रम (धमतरी) छत्तीसगढ़ से पधारे संत श्री लोकेश प्रेम प्रकाशी ने अपने मुखारविंद से अमृतमयी वर्खा में कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में भगवान श्री राम का भजन करना चाहिए। राम के बिना जीवन वेस्ट है और राम नाम में जीवन बेस्ट है, जब तक आप भजन भाव व सत्संग में अपने मन को नहीं लगाएंगे तब तक आपके जीवन का उद्धार होना संभव नहीं है। संत श्री लोकेश ने कहा कि मनुष्य को यह जो जीवन मिला है उसे अपने मन को भगवान से जोड़कर रहना चाहिए। आचार्य सतगुरु स्वामी श्री टेऊराम जी महाराज ने अपने जीवन को परमात्मा एवं सतगुरु कि भक्ति भाव में इतना लगा दिया कि वे आज भगवान स्वरूप पूजे जा रहे हैं। आपने भजन प्रस्तुत किया कि-
राम भजन कर भटक मत जग में,झूठा है संसार।
राम भजन बिन संग न कोई, मतलब का है परिवार।।
इस अवसर पर भगवान श्री राम, संकट मोचन हनुमान का अति सुंदर एवं मनमोहक दीवान सजाया गया था। तथा भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, आचार्य सदगुरु स्वामी टेऊँरामराम जी महाराज का श्री मन्दिर को सजाकर सुन्दर वस्त्रो एवं ज्वेलरी पहनावा कर श्रृंगार का मनोरथ तो देखते ही बन रहा था। अंत में संत श्री लोकेश ने अपने मुखारविंद से सुख समृद्धि एवं शांति का पल्लव प्रकार कार्यक्रम को संपन्न किया आभार प्रदर्शन श्रीमती देवकी मेघराज कोठारी ने प्रकट किया।