जिम्मेदार कम्बल ओढ़ कर पी रहे घी,
आलोट। तहसील में लकड़ी माफियाओं को किसी का डर नही रहा है। क्षेत्र में दिन दहाड़े रात दिन हर रोज काटे जा रहें हरे भरे पेड़ जितने पेड़ साल भर में तैयार नही हो पाते है। उससे कही ज्यादा प्रतिबंधित हरे पेड वन विभाग तथा राजस्व विभाग की मिलीभगत के कारण लकड़ी माफिया काटकर उजाड रहें है। जिससे हरियाली खत्म हो रही इन माफियाओ पर ना तो वन विभाग कार्रवाई करता दिख रहा है और ना ही राजस्व विभाग एवं पुलिस को इसकी कोई परवाह नही है।
सरकारे लाखो रूपए खर्च करके हर वर्ष गांव-गांव में पड़े लगावाने पर जोर दे रही है ताकि जन जागरूकता के माध्यम से पर्यावरण को हरा भरा बनाए रखने में मदद मिल सके वही दुसरी और क्षेत्र में बड़ी बेरहमी से पेड़ो की कटाई की जा रही है। जानकार बताते है कि वन विभाग और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से ही आलोट क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हरे भरे क्षेत्र को रेगिस्तान में तब्दील कर रहे है लकड़ी माफिया।
वही क्षेत्र में संचालित आरा मशीनों पर भी अनुमति से कई गुना अधिक गीली एवं सुखी लकड़ियों का स्टाक रखा हुआ है। जिनकी जांच कर कार्रवाई करने वाला कोई नही है। क्षेत्र में शासकीय जंगलात की भूमियों से ही अधिक बिना अनुमति के हरे पड़े काटे जा रहे है।