रतलामतालराजनीति

कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त होते देख कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की भाजपा में जाने की होड़ मची – बेमेल विचारधारा से पुराने भाजपाइयों की सोच पर प्रतिकूल प्रभाव?

 

 

ताल –शिवशक्ति शर्मा

विधानसभा क्षेत्र आलोट के कयी स्वार्थी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने की होड़ सी मची हुई है।कारण स्पष्ट है कि कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त होने को अग्रसर है और इनका निहित स्वार्थ पूरा नहीं होते देख समय का भरपूर लाभ उठाने को उद्धत है, तदनुसार आयें दिन कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता भाजपा का दामन थाम रहे हैं। प्रश्न यह है कि इससे भाजपा को कौनसा लाभ हासिल होने वाला है?उल्टा भाजपा के कर्मठ सेवाभावी कार्यकर्ताओं की स्थिति व समर्पण की भावना पर प्रतिकूल प्रभाव दृष्टिगोचर होता दिखाई देता है।यदि इनके भाजपा में शामिल होने से मात्र एक ही लाभ दिखाई देता है कि ये भाजपा का विरोध नहीं करते हुए तठस्थ भूमिका में रहेंगे।

कांग्रेस के जों बड़े बड़े नेता बिना कुछ सोचे आत्म भाव से भाजपा में सम्मिलित हो रहे हैं। उन्हें या तो कांग्रेस में तरजीह नहीं मिल रही है या व्यक्तिगत स्वार्थ निहित होने से प्रेरित होकर भाजपा का दामन थाम रहे हैं!

इसका एक स्पष्ट उदाहरण आलोट के पूर्व कांग्रेसी विधायक मनोज चावला ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है।कारण स्पष्ट है कि उनपर सहकारी उपभोक्ता भंडार पर खाद लूट कांड का केस एम पी एम एल ए न्यायालय इंदौर में चल रहा होकर उनके विरुद्ध भाजपा कार्यकर्ता ही गवाह है।ऊंट किस करवट बैठेगा? यह सोच समझ कर इन्होंने निहित स्वार्थ के कारण कुछ छुटभैया कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।

इन हालातों के मद्देनजर यदि सोचा जाए तो भाजपा के कर्तव्य निष्ठा व समर्पण की भावना से दरियां तक उठाने का व भूखे प्यासे रहकर भाजपा के प्रति समर्पित है, उनकी भावनाओं पर क्या असर हो रहा होगा?इस बात की चिंता किसी को नहीं है।

कुछ बड़े कांग्रेसी नेताओं के भाजपा में सम्मिलित होते ही उन्हें लोकसभा निर्वाचन का प्रत्याशी घोषित कर दिया जो वरिष्ठ व समर्पित व अपना सर्वस्व भाजपा के प्रति समर्पित करने वाले थे उन्हें पार्टी से क्या हासिल हुआ?वे भाजपा के अनुशासित सिपाही होकर समर्पण भाव के कारण मौन धारण किए हुए हैं। उनकी वेदना को कौन समझे?

कुल मिलाकर यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि दल बदलूओं के कारण भाजपा के विरोध में आंशिक कमी जरूर आयेगी,प्रचारकों की तादाद बढ़ेगी लेकिन यह कार्य पुराने व अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ, समर्पित कार्यकर्ताओं पर कुठाराघात ही होगा? इसमें कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।

दल बदल कर भाजपा में सम्मिलित हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का भाजपा में हार्दिक स्वागत तो है पर विचारधारा बेमेल होने से पुराने भाजपाइयों की प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आना चाहिए।इस प्रश्न को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को जहन में रखना नितांत आवश्यक प्रतीत होता है। आशा की जाती है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता भाजपा के पुराने भाजपाइयों की भावनाओं का सम्मान खोने नहीं देंगे?

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