आध्यात्ममंदसौर जिलासीतामऊ

हमारी श्रवण शक्ति बहुत तेज है अभिमन्यु ने मां के गर्भ में ही ज्ञान प्राप्त लिया था इसलिए अच्छा पढ़ें अच्छा सुनें – श्यामा दीदी

 

सीतामऊ। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में एक दिवसीय बौद्धिक एवं मेडिटेशन का आयोजन मंदसौर संचालिका ब्रह्माकुमारी श्यामा दीदी के अतिथि में दिप प्रज्वलित कर आयोजित किया गया।

इस अवसर पर श्यामा दीदी ने अपने ज्ञानामृत में कहा कि हमारी श्रवण शक्ति बहुत तेज है अभिमन्यु ने मां के गर्भ में ही ज्ञान प्राप्त किया था। इसलिए हम बाहर ही नहीं मां के गर्भ में भी सुन सकते हैं। इसलिए माताएं बहनें अपने अच्छे परिवार के लिए अच्छी पुस्तकें पढ़ें तथा अच्छा श्रवण करें जैसा सुनेंगे वैसा हम करेंगे और हमारे बच्चे करेंगे।

दीदी ने कहा कि एक हट्टा-कट्टा व्यक्ति को एक सेठ अपने यहां काम करने ले गया। वहां लकड़ी काटने को कहा तो चार दिन में चार क्विंटल लकड़ी काटी तो सेठजी ने युवक कि तारिफ कि फिर चार दिन बाद 15 क्विंटल लकड़ी काटी तो फिर सेठ ने तारीफ कि पर जब अगले चार दिनों में मे उसकी लकड़ी काटने का काम कम पड़ गया सेठ जी ने पूछा थक गए युवक ने कहा कि नहीं। तो सेठजी ने कहा तुमने कुल्हाड़ी को धार लगाई तो उसने कहा नहीं। कुल्हाड़ी को धार नहीं लगाई कि फिर कैसे तेज कट पायेगा इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले केवल देख कर ही नहीं करना चाहिए बल्कि उनको सोचने समझने और अपने बडो़ कि सलाह लेकर करना चाहिए जीवन में हम कोई भी काम करतें हैं तो मन को शांत एकाग्र होकर फिर काम करें तो अच्छा कर सकते हैं।

श्यामा दीदी ने अपने जीवन पर कहा कि बाबा से हर कोई नहीं जुड़ सकता है इससे जुड़ने के लिए हमारे भाव होने चाहिए जैसा हमारा भाव होगा वैसा बाबा का हमें आशीर्वाद प्राप्त होगा हमने परिवार से मुक्त होकर समस्त मानव जीवन के कल्याण का भाव जागृत करते हुए बाबा के शरण में आने का भाव जागृत किया तो बाबा ने अपनी शरण में हमको बुलाया और आज हम बाबा की सेवा में लगे हुए हैं।

इस अवसर पर श्रीपाल मालवीय ने कहा कि जीवन में रात और दिन होते हैं वैसे ही सुख और दुख भी आते हैं। जिस प्रकार से शाम होकर रात आ जाती हैं। और हम सारे काम बंद हो जाते हैं वैसे ही सुख जब जाता है।तो धीरे धीरे विपत्ति संकट आने लगते हैं घन घोर रात कि तरह विपत्तियां भी चारों ओर से घेर लेती है। घोर अंधेरी रात में हम सो जाते हैं वैसे ही जब विपत्ति आती है तो उसे सहन करने के लिए बाबा का ध्यान योग में लीन हो जाना है।घनी अंधेरी रात के बाद धीरे-धीरे उजाला आने लगता है सुख कि किरण दिखाई देने लगती है और अपने जीवन में सुख का सुरज उग आता है।

इस अवसर पर पूर्व शिक्षिका श्रीमती गुणवती कोठारी ने उपस्थित भ्राता बहिनों को एक्यूप्रेशर के माध्यम से शरीर को कैसे स्वस्थ रखा जाता है विभिन्न एक्यूप्रेशर क्रियाओं को प्रयोग करके विस्तार से बताया।

समारोह को संचालिका कृष्णा दीदी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि बाबा ने यह जीवन हम सबको आनंद में जीने के लिए दिया है हम केवल अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर एक जेल में कैदी की तरह जीवन यापन कर रहे हैं हम अपने शरीर को स्वार्थ की जेल से मुक्त कराकर बाबा के धाम आकर जीवन को स्वर्ग में बनाना है।

समारोह में भ्राता मोड़ी राम पंथी ने बाबा कि साधना के पांच ध्यान चक्रों को बताया।समारोह में सीतामऊ, लदुना नाटाराम, खेड़ा, कयामपुर दलावदा आदि स्थानों से आए भ्राता बहिनों को सेटर कि और से बाबा का प्रसाद और उपहार प्रदान किया गया। समारोह का संचालन भ्राता गौरव जैन ने किया

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