
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के समय में कांग्रेस के लिए बड़ी राहत की खबर है। 3567 करोड़ के आयकर नोटिस का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी को फिलहाल आयकर की कार्रवाई से राहत रहेगी। आयकर विभाग ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि चुनाव को देखते हुए आयकर विभाग फिलहाल इस मामले में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
जुलाई तक टली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिये गए इस बयान को आदेश में दर्ज करते हुए कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई 24 जुलाई तक के लिए टाल दी। वैसे कांग्रेस पक्ष की दलील से यह संकेत जरूर मिल गया है कि वह आयकर विभाग की ओर से भेजे गए 3500 करोड़ के नोटिस से भले ही सहमत न हो लेकिन आयकर उल्लंघन के मामले में पेनाल्टी को खारिज नहीं कर रही है।
2016 के आदेश को दी गई चुनौती
कांग्रेस पार्टी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के 2016 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है साथ ही पार्टी ने एक अर्जी भी दाखिल की है जिसमें आयकर विभाग की ओर से डिमांड नोटिस भेजकर विशेषकर मार्च 2024 में, की गई मांगों का मुद्दा उठाया गया है। लेकिन, आगे यह भी कहा कि फिलहाल जो 135 करोड़ रुपये कांग्रेस के खाते से जब्त किए गए हैं उसमें से सिर्फ 20 फीसद ही लिया जाना चाहिए था
सोमवार को मामला न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जार्च मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी। जैसे ही केस सुनवाई पर आया आयकर विभाग की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह कुछ कहना चाहते हैं।
चुनाव को देखते हुए नहीं लेंगे कोई एक्शन
मेहता ने कोर्ट से कहा कि याचिकाकर्ता एक राजनैतिक दल है, अभी चुनाव चल रहे हैं ऐसे में विभाग 1700 करोड़ के भेजे गए डिमांड नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा। कोर्ट इस मामले की सुनवाई जून के दूसरे सप्ताह तक टाल दे। मेहता ने थोड़ा और ब्योरा देते हुए कहा कि आयकर विभाग ने हाई कोर्ट के 2016 के फैसले के आधार पर जिसमें हाई कोर्ट ने आयकर आकलन के मानक तय किये हैं, याचिकाकर्ता (कांग्रेस पार्टी) को 2021 में डिमांड नोटिस भेजा था। उसमें उन्हें 20 फीसद अदा करने का विकल्प दिया गया था लेकिन उन्होंने नहीं दिया और इसके बाद विभाग ने 2024 में 2021 के डिमांड नोटिस पर उसके खाते से 135 करोड़ रुपये वसूल लिए।
चुनाव के दौरान वह किसी दल को परेशान नहीं करना चाहता
इसके बाद विभाग ने हाई कोर्ट के आदेश में तय मानक के आधार पर ही अन्य वर्षों का आंकलन करके मार्च 2024 में याचिकाकर्ता को 1700 करोड़ का और डिमांड नोटिस भेजा है। लेकिन अभी चुनाव चल रहे हैं और चुनाव के दौरान वह किसी दल को परेशान नहीं करना चाहता इसलिए जबतक कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई होती है तब तक 1700 करोड़ के डिमांड नोटिस पर कोई कार्रवाई की जाएगी। ¨सघवी ने कहा कि अभी और नोटिस भेजा गया है कुल 3500 करोड़ के लगभग का डिमांड नोटिस है।
कोर्ट ने सालिसिटर जनरल मेहता का बयान आदेश में दर्ज किया कि फिलहाल 3500 करोड़ के डिमांड नोटिस के संबंध में आयकर विभाग कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा और सुनवाई 24 जुलाई तक के लिए टाल दी। मेहता की ओर से कार्रवाई न करने के बयान की सिंघवी ने सराहना की और कहा वे निशब्द हैं।
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ देंगे चुनौती
हालांकि, सिंघवी ने कहा कि इस मामले में उनकी याचिका में हाई कोर्ट के आदेश में तय किये गए पैरामीटर को चुनौती दी गई है। उन्होंने कहा कि ग्रास रिसीट पर टैक्स नहीं वसूला जा सकता। नियमत: उसमें से खर्च को घटाना होता है। उनका कहना है कि जो 135 करोड़ की वसूली की गई है उसमे भी सिर्फ 20 फीसद ही टैक्स लिया जाना चाहिए था। मेहता ने कहा कि मेरिट पर उन्हें भी बहुत कुछ कहना है लेकिन फिलहाल वह उस पर बहस नहीं कर रहे हैं। सिंघवी ने भी कहा कि मामले की मेरिट पर सुनवाई के दौरान वे अपनी बातें रखेंगे।