जैविक खेती की ओर अग्रसर किसान, आर्थिक बचत के साथ बंजर भूमि को बना रहे उपजाऊ – वीके पटेल

दलौदा (शुभम धोका)
आज के समय में रासायनिक से जमीन मे उपजाऊ क्षमता कोई गुना कम होती जा रही है सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी मात्रा में कमी होने के कारण फसलों पर अनावश्यक रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है । जिसके कारण फसलों पर तरह तरह के केमिकल इस्तेमाल करते आ रहे हैं और उनका असर फसलों पर आता है वहीं इंसान खाते हैं उनका अंश हमारे शरीर में प्रवेश कर शरीर को नुकसान पहुंचाता है जिसको हम आम तौर पर समझ नहीं पाते है जिससे भूमि कड़क और बंजर होती जा रही है।। हरित क्रांति 1965-1968 के आने से पहले गेहूं की फसलों को 2-3 पानी की सिंचाई करने पर फसल परिपक्व हो जाती थी, पर जबसे रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल से गेहूं में 5-6 पानी देना पड़ता है। अधिक मात्रा में रासायनिक खाद देने की मजबूरी बनती जा रही है और बार बार दवाईयों का स्प्रे करना पड़ता है। जिससे किसानों की जेब पर बोझ बढ़ता जा रहा है । जिससे खर्चा अधिक मुनाफा कम होता है।
उक्त संबोधन नवभारत फर्टिलाइजर के कृषि विकास अधिकारी विनोद पटेल ने दलौदा के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहन स्वरूप कही।
पटेल ने कहा कि रासायनिक खेती छोड़कर किसानों को जैविक खेती अपनाना चाहिए। कई किसान वर्तमान में जैविक खेती को लेकर अग्रसर हो रहे हैं। इससे एक ओर वे जमीन को बंजर होने से बचा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कम लागत में अधिक पैदावार ले रहे हैं। पटेल ने किसानों को जैविक खेती करने और किस तरह जैविक प्रोडक्ट का प्रयोग करना है यह भी बताया।