हमारे प्राचीन ग्रंथों में कई जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों का उल्लेख
हमारे प्राचीन ग्रंथों में बहुत सी जड़ी-बूटियों के औषधीय और उपचार करने वाले गुणों के बारे में उल्लेख किया गया है जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से पेट के फ्लू या गैस्ट्रोएंटेराइटिस के प्राकृतिक उपचार में किया जाता है। जैसे कि:
1. गिलोय: गिलोय एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर है जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह पाचन तंत्र को शांत करने में मदद करता है।
2. हरीतकी: इस फल को चबाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और अगर इसका पेस्ट बना लिया जाए तो यह आंतों को साफ करने में मदद करता है।
3. विडंग: यह आंतों से सभी प्रकार के जीवाणु संक्रमण को दूर करता है।
4. मुलेठी: यह आंतों की सूजन को कम करती है और पाचन को सही रखती है।
5. बिल्वा: यह दस्त और पेचिश का प्रभावी ढंग से इलाज करता है।
6. बिना दूध की चाय बनाये उसमें निम्बू डालकर पिये
7. हराधनिया ओर पोधिना का शर्बत बनाकर पिये
8. अदरक को सुपारी की तरह मुह में रखे रस निगल ले
नोट-– भोजन शाम का 6से 8 बजे तक करे 200 कदम चले भोजन के तुरंत अधिक पानी नहि पिये , रात्रि 12 से पहिले सोए, 8 घण्टे की नींद लेवे,