वेद, उपनिषेद व पुराणों का निचौड़ हैं भागवत-पं. शास्त्री

कनावटी में कलश यात्रा के साथ हुआ भागवतकथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का आगाज
नीमच, 18 अगस्त (नप्र)। शहर के समीपस्थ ग्र्राम कनावटी में समस्त ग्रामवासियों द्वारा आयोजित 7 दिनी श्रीमद भागवतकथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का सोमवार को मंगल कलश यात्रा के साथ आगाज हुआ। दोपहर में ग्राम के चार भुजानाथ मंदिर से कलश यात्रा प्रारंभ हुई जो गांव के मुख्य मार्गेां व मंदिरों का भ्रमण करते हुए कथा स्थल श्रेष्ठा पेराडाइज रिसोर्ट पहुंची। तत्पश्वात शाम करीब 6 बजे कथावाचक पं. भीमाशंकर शास्त्री ने व्यास पीठ पर भागवतकथा विराजमन कर विधि विधान से स्थापना की और उसके बाद कथावाचन शुरू किया।
पहले दिन उन्होंने श्रीमद भागवत कथा के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भागवत में पहले फल बताया जाता है। यह 4 अक्षर में ही पता चल जाता है। जिसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य ओर त्याग है। सत्संग करने से स्वर्ग और अपवर्ग की प्राप्ति होती है। धार्मिक प्रसग के माध्यम रस भाव को पाने के बारे में विस्तार से बताया। महाभाव से महारस की प्राप्ति की जा सकती है। भागवत जी में कनावटी का नाम भी है। इस बारे में भी कथावाचक पं. शास्त्री ने श्रोताओं को ग्रंथ में वर्णित भाषा का अर्थ समझाते हुए बताया। उन्होंने आगे कहा गुरु कृपा हो तो स्वर्ग और बेकुंठ तक को प्राप्त किया जा सकता है। गुरुदेव के चरणों को आत्मसात करो । अनंत फल की प्राप्ति सदगुरु से होती है। गुरु और गोविंद दोनों खड़े तो पहले गुरुजी को प्रणाम करेंगे। गोविद से गुरु का पद क्यों बडा बताया इस बारे में भी कारणों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कथा कभी पूर्ण नहीं होती हैं। इसको निरतर ग्रहण करते रहे। ऐसा विश्व में कुछ भी नही हैं जो भागवत जी में नही है। कथा सुनने वाले या जिज्ञासुओं को सुनाई जाती हैं ,सौदा करने वाले को नही। भागवत कथा वहीं सुनते हैं जिन्हें सांवरा सेठ चुनते है। 4 वेद, उपनिषद, पुराणों का निचोड़ भागवतजी है। 7 दिन में परमात्मा के साथ रहने का संकल्प ले। कथा श्रवण से मुक्ति मिलती हैं ग्रंथों में वर्णन है। कथा के प्रारंभ में मुख्य आयोजक यजमान नाथूलाल पाटीदार परिवार सदस्यों ने शुभारंभ आरती का लाभ लिया। इस अवसर कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में ग्रामवासी व अन्य लोग मौजूद थे।
बताए कथा श्रवण के नियम-
पं. शास्त्री ने कथा सुनने के नियमों के बारे में भी बताया और 7 दिनों तक उनका पालन करने को कहा। नियम से सुने तो ज्यादा अच्छा है।
सदाचार के सारे नियम का पालन करना चाहिए। भगवान के लिए भागवत जी सुन रहे है।
भजनों से धर्ममय हुआ कथापांडाल-
कथावाचन के दौरान पं. शास्त्री जी द्वारा अब आन मिलो सांवरा सेठ, बहुत दिन बीत गए….., म्हारे गुरु चरणन की लगन लागे…जैसे कई संगीतमय भजनों की प्रस्तुति दी और जयकारें भी लगवाए। जिससे कथा पांडाल धर्ममय हो उठा। भजनों व मंत्रों के साथ ही भगवान का स्मरण किया और उन्हें आमंत्रित किया। सामुहिक हनुमान चालीसा का पाठ भी कराया गया।