मप्र हाई कोर्ट का आदेश- शिक्षक भर्ती में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के अभ्यर्थियों की लिस्ट बनाकर नियुक्त पत्र दें
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जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2018 में हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए टीचर्स की भर्ती के लिए परीक्षा का आयोजन किया था. लेकिन उस समय ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान नहीं था. इसके अगले साल केंद्र सरकार ने संविधान में बदलाव कर ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू कर दिया. इस मामले में कुछ अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया।
केंद्र सरकार ने 2019 में दिया ईडब्लूएस को आरक्षण
जबलपुर हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने इस मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ईडब्लूएस की विषय सहित सूची बनाकर पात्र अभ्यर्थियों की मेरिट बनाएं और उन्हें स्कूलों में नियुक्ति करें. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन 14 जनवरी 2019 को किया. इसके तहत ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होगा. अब इसका लाभ मिलना चाहिए. याचिका में ये कहा गया कि ईडब्ल्यूएस वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक निर्धारित किए गए थे।
पुनरीक्षण याचिका के लिए सरेंडर करना आवश्यक नहीं
हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट ने अहम आदेश में कहा है कि आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर करने के लिए आवेदक को आत्मसमर्पण करना आवश्यक नहीं है. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सीआरपीसी की धारा 397 के तहत पुनरीक्षण आवेदन पर विचार करने पर कोई रोक नहीं है. उच्च न्यायालय सजा को यथावत रखने या निलंबित करने का आदेश जारी कर सकता है. याचिकाकर्ता संजय नगाइच की तरफ से ये पुनरीक्षण याचिका दायर की गयी थी. याचिका में अपील की सुनवाई के दौरान निचली अदालत द्वारा सजा में बढोत्तरी किये जाने को चुनौती दी गयी थी।