भ्रष्ट अधिकारी- कर्मचारी के मामलों में अब आसानी से दर्ज होंगे प्रकरण

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मध्यप्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज मामलों में लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) सहित अन्य जांच एजेंसियां अब आसानी से विवेचना और कार्रवाई कर सकेंगी।भ्रष्टाचार के मामलों में फसे अधिकारी-कर्मचारी के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की समिति गठित हो गई है। मध्य प्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को जारी आदेश में कहा है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति ही भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के विरूद्ध दर्ज मामलों में विधि एवं विधायी कार्य विभाग और प्रशासकीय कार्य विभाग के अभिमत में भिन्नता पाकर ऐसे प्रकरणों में विचार करके अभियोजन जारी करेगी। यानि की समिति लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में दर्ज भ्रष्टाचार के प्रकरणों की पेंडेंसी को प्राथमिकता देकर निपटाएगी अभियोजन स्वीकृति देने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की समिति गठित भ्रष्ट कर्मचारी के मामलों में अब आसानी से दर्ज होंगे प्रकरण
गठित समिति में अध्यक्ष और सदस्य
राज्य शासन द्वारा गठित की गई समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं। समिति का सदस्य क्रमशः उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सम्पतिया उईके को बनाया गया है। तो समिति सचिव प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा होंगी।
लोकायुक्त ने 5 वर्ष में भ्रष्टाचार के 75 प्रकरण किए दर्ज
जानकारों की मानें तो लोकायुक्त ने बीते 5 वर्ष में करीब 75 सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रकरण दर्ज किए हैं। लोकायुक्त को इनमें से 6 प्रकरणों में अभियोजन की स्वीकृति का इंतजार है। लोकायुक्त 62 प्रकरणों में अभी जांच कर रही है। तो 2 प्रकरणों में खात्मा कार्यवाही और 4 प्रकरणों में न्यायालय में चालान पेश किया है। इसके अलावा एक मामले में जल्द ही न्यायालय में चालान पेश होगा। वहीं ईओडब्ल्यू ने बीते 5 वर्ष में 90 कर्मचारियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किए हैं।